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यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार क्षेत्र संधि के लिए समय सही नहीं

भारत को अपने हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए
अंजन राय - 2013-04-21 02:08
पिछले सप्ताह जब भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जर्मनी में थे, तो यूरोपीय संघ की ओर से उनपर लगातार दबाव पड़ रहा था कि भारत उसके साथ मुक्त व्यापार क्षेत्र संधि पर दस्तखत को जल्द से जल्द अंजाम पर पहुंचाए। यूरोपीय वाइन और स्कॉटिश व्हिस्की के उत्पादक, जर्मनी के मोटर उत्पादक और यूरोप के वित्तीय सेवा प्रदान करने वाले मुक्त व्यापार क्षेत्र संधि को जल्द से जल्द संपन्न करने के लिए खासतौर पर बेकरार दिख रहे थे। वे सभी भारत में अपने उत्पादों के लिए कर मुक्त प्रवेश चाहते हैं। बदले में वे भारत से चाहते हैं कि यहां बौद्धिक संपत्ति अधिकारों के कानून सख्त बनाए जाएं। वे यूरोप के अपने बाजार को भारत के कृषि उत्पादों के लिए खोलना भी नहीं चाहते हैं और आई टी सेवा प्रदान करने वाले भारतीयों के यूरोप में मुक्त विचरण की इजाजत भी नहीं देना चाहते।

लंका विरोधी प्रस्ताव में लिट्टे की ज्यादतियों का जिक्र नहीं

तमिल संकट पर अपने स्वार्थ की रोटियों सेंक रहा है डीएमके
हरिहर स्वरूप - 2013-03-25 09:39
लिबरेशन टाइगर्स आफ तमिल एलम (लिट्टे) अब तक का सबसे अधिक भयावह आतंकवादी संगठन रहा है। दुनिया का किसी अन्य आतंकवादी संगठन ने मानवाधिकारों को उस तरह नहीं कुचला है, जितना लिट्टे ने। अपने 26 साल के इतिहास में इसने न केवल श्रीलंका को बल्कि भारत को भी गहरे जख्म दिए हैं। श्रीलंका के गृहयुद्ध में एक लाख से ज्यादा नागरिकए 22 हजार से ज्यादा जवान और 30 हजार से ज्यादा लिट्टे विद्रोही मारे गए। सुसायड बेल्ट का ईजाद भी लिट्टे ने ही किया।

भारत और इटली के रिश्ते बिगड़े

प्रधानमंत्री संबंधों की समीक्षा पर अड़े
अशोक बी शर्मा - 2013-03-19 10:39
नई दिल्लीः जमानत पर छोड़े गए अपने दो जलसैनिकों को भारत दुबारा भेजने से इटली द्वारा इनकार किए जाने के बाद भारत के साथ उसके रिश्ते अब सामान्य नहीं रह गए हैं। इन दोनों सैनिकों पर केरल के दो मछुआरों की हत्या का मुकदमा भारत की एक अदालत में चल रहा है।

भारत को श्रीलंका के खिलाफ मतदान करना चाहिए

श्रीलंका के युद्ध अपराधी बेनकाब हो चुके हैं
कल्याणी शंकर - 2013-03-16 10:43
इस महीने के अंत में जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की बैठक होने जा रही है। उस बैठक में श्रीलंका के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया जाना है। भारत की यूपीए सरकार के ऊपर इसके एक घटक डीएमके के दबाव है कि वह इस प्रस्ताव के पक्ष में यानी श्रीलंका के खिलाफ वहां मतदान करे। डीएमके और तमिलनाडु की अन्य पार्टियां ही नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी ने भी संसद में इस मसले पर इसी तरह का रवैया अपनाया था।

इस्लामी कट्टरवाद बनाम बंगाली राष्ट्रवाद

शाहबाग ने की इतिहास दुरुस्त करने की मांग
अमूल्य गांगुली - 2013-02-27 10:17
ढाका के शाहबाग चैक पर पिछले 8 फरवरी को उदारवादी मुसलमानों और कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों के बीच जो टकराव हुआ उसका परिणाम चाहे जो भी हो, वह सिर्फ बांग्लादेश की सीमा तक सीमित नहीं रह सकता।

क्या बांग्लादेश बड़ी ताकतों के खेल का मैदान बन गया है?

पश्चिमी देशों ने हमेशा इसके मामलों में दखल दी है
आशीष बिश्वास - 2013-02-25 11:56
ढाका के राजनैतिक क्षेत्रों में आजकल इस बात को लेकर बहुत ही हलचल है कि अमेरिकी एजेंसी फेडरल ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन या किसी अन्य एजेंसी का वहां दफ्तर खुलने वाला है। अमेरिकी अधिकारियों की अनेक यात्राओं के बाद इस तरह का प्रस्ताव आने की खबर है।

म्यान्मार से संबंध सुधारने के मामले में भारत की प्रगति धीमी

’’पूरब की ओर देखो’’ की नीति सिर्फ कागजों पर
आशीष बिश्वास - 2013-02-24 04:26
कोलकाताः भारतीय अर्थव्यवस्था को म्यान्मार के लिए खोलने के मसले पर बहुत लंबी-चैड़ी बातें की गई थीं। लेकिन उससे संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओ पर लगभग नही के बराबर प्रगति हुई है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की नजर भारतीय मजदूरों पर

औद्योगिक संबंधों में बदलाव की सलाह
शंकर रे - 2013-02-16 18:15
अब तक अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) ने कभी नहीं किया, वह अब कर रहा है। उसकी नजर में अब भारत के 47 करोड़ मजदूर कर्मचारी आ गए हैं, जो आगामी 20 और 21 फरवरी को दो दिवसीय हड़ताल का आयोजन कर रहे हैं। उस हड़ताल में देश के सभी कर्मचारी और मजदूर संघ शामिल हैं। आइएलओ ने सेंटर फाॅर लेबर स्टडीज के चेयरमैन प्रोफेसर शांति के भौमिक को इस हड़ताल की पृष्ठभूमि के बारे में अपने ग्लाॅबल काॅलम में लिखने के लिए कहा।

पद्मा नदी पर बन रहे पुल पर भारत चीन का सहयोग

बाग्लादेश इस प्रोजेक्ट मे पश्चिमी निवेश का मुहताज नहीं
आशीष बिश्वास - 2013-02-05 16:22
कोलकाताः पश्चिमी देशों के साथ बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद का मौन युद्ध जारी है। स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि बांग्लादेश अब पद्मा नदी पर बन रहे करीब 3 अरब डालर की लागत वाले पुल के निर्माण के लिए विश्व बैंक से सहायता की मांग भी नहीं कर रहा है।

रोहिंग्या मुसलमानों की समस्या का कोई अंत नहीं

दुनिया में कोई भी देश उनका नहीं है
आशीष बिश्वास - 2013-01-28 13:45
रोहिंग्या मुसलमानों की समस्या का कोई अंत दिखाई नही पड़ रहा है। म्यान्मार से उन्हें निकाला जा रहा है। वे वहां से भागकर बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश करते हैं। उन्हें वहां से भी वापस खदेड़ दिया जाता है। सिंगापुर में शरण लेने की उनकी कोशिश भी विफल हो रही है। उन्हें वहां से भी भगा दिया जाता है। अब उनके पास जाने के लिए कोई देश नहीं है। दुनिया में ऐसा कोई समुदाय नहीं है, जिसकी हालत रोहिंग्याई मुसलमानों जैसी हो।