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हार के बाद मायावती पार्टी को सुधारने में व्यस्त

अपने राजनैतिक भविष्य को लेकर नर्वस हैं बसपा सुप्रीमो
प्रदीप कपूर - 2017-05-12 16:46 UTC
लखनऊः पिछले विधानसभा में शर्मनाक हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती अपनी पार्टी के संगठन में बदलाव कर रही हैं, ताकि उनके कार्यकत्र्ता अन्य पार्टियों की ओर रुख न करें। अनेक नेताओं से अनेक दौर की बातचीत के बाद मायावती ने अपनी पार्टी के एक बहुत ही मजबूत नेता नसीमुद्दीन सिद्दकी को बाहर का रास्ता दिखा दिया। उनके बेटे को भी पार्टी से निकाल दिया गया। गौरतलब हो कि नसीमुद्दीन सिद्दकी बहुजन समाज पार्टी का मुस्लिम चेहरा हुआ करते थे।

एक जैसी है शिंझियांग और कश्मीर की समस्या

भारत को कश्मीर समस्या हल करने के लिए चीन से सबक लेनी चाहिए
नन्तू बनर्जी - 2017-05-09 10:36 UTC
चीन की मुस्लिम आबादी ढाई करोड़ है और उसकी आधी अकेले शिंझियांग प्रांत में रहती है। इसके कारण चीन का यह पश्चिमी प्रांत सांप्रदायिक रूप से सबसे ज्यादा संवेदनशील प्रांत है। यह वहां का भौगोलिक रूप से सबसे बड़ा प्रांत भी है। यहां प्रचुर प्राकृतिक संपदा है और चीन के अन्य हिस्से की तरह इसका भी तेज विकास हुआ है, लेकिन विकास के साथ साथ यहां चीन की हान आबादी को भी भारी पैमाने पर बसाया गया है। गौरतलब हो कि स्थानीय मुस्लिम आबादी मूल रूप से उइगर जनजाति की है।

दिल्ली के चुनाव में यह तो होना ही था

केजरीवाल ने 2015 के जनादेश का गलत मतलब निकाला
अनिल जैन - 2017-05-08 12:17 UTC
दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी के चुनाव नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी को खुश होने और जश्न मनाने का एक और मौका दे दिया। तीनों नगर निगमों (दक्षिण दिल्ली, पूर्वी दिल्ली और उत्तरी दिल्ली) पर भाजपा ने भारी बहुमत से लगातार तीसरी बार अपना कब्जा बरकरार रखा है। करीब दो साल पहले दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को बुरी तरह धूल चटाकर सत्ता में आई आम आदमी पार्टी की हालत इस चुनाव में लगभग वैसी ही रही जैसी दो साल पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की हुई थी। उस चुनाव में ऐतिहासिक जीत और बहुमत हासिल करके भाजपा और कांग्रेस को हाशिये पर पहुंचा देने के बाद आम आदमी पार्टी अन्य राज्यों में भी अपने पांव फैलाने को बेताब थी। लेकिन पंजाब और गोवा में उसकी हसरतें परवान नहीं चढ सकीं। दोनों राज्यों में चोंट खाने के बाद वह दिल्ली की जनता से मरहम की उम्मीद कर रही थी लेकिन दिल्ली के मतदाताओं ने उसके जख्मों पर मरहम लगाना तो दूर, उसे सहानुभूति लायक भी नहीं समझा।

व्यापम पर सीबीआई रिपोर्ट

मुख्यमंत्री चौहान की छवि चमकी
एल एस हरदेनिया - 2017-05-06 10:14 UTC
भोपालः मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नर्मदा यात्रा के दौरान दो ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि में सुधार ही नहीं हुआ है, बल्कि उसकी चमक काफी बढ़ गई है।

भारत में विपक्षी एकता: विचारधारा की उलझनें

विपक्षी पार्टियों के पास मोदी-विरोध का कोई साझा मुद्दा नहीं
अनिल सिन्हा - 2017-05-05 13:30 UTC
दिल्ली के कंस्टीच्यूशन क्लब में 1 मई को लगी विपक्षी नेताओं की जमघट असरदार थी। कई पार्टियों ने इसमें हिस्सा लिया। समाजवादी अंादोलन के शीर्ष नेताओं में से एक मधु लिमये की जयंती पर आयोजित इस सभा का विषय भी मौके के मुताबिक ही था-प्रगतिशील ताकतों की एकता।

उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत और उसके बाद

क्या सपा और बसपा का गठबंधन संभव है?
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-05-04 11:31 UTC
उत्तर प्रदेश में भाजपा के हाथों भारी पराजय पाने के बाद विपक्षी पार्टियां महागठबंधन की बात करने लगी हैं। उन्हें लगता है कि यदि भाजपा को हराना है, तो उन सबको एक साथ आना ही होगा। उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए वे कहते हैं कि वहां यदि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस द्वारा प्राप्त मतों को जोड़ दिया जाय, तो वे करीब 50 फीसदी होते हैं, जबकि लगभग 40 फीसदी पाकर ही भाजपा ने 403 में से 325 सीटों पर जीत हासिल कर ली।
भारत

कांग्रेस संगठन में जान फूंकना आसान नहीं

सोनिया को अपने पद पर बने रहना होगा
कल्याणी शंकर - 2017-05-03 09:00 UTC
क्या सोनिया गांधी एक बार फिर अपनी पार्टी के मुख्य मोर्चे पर आ गई हैं? 2013 में राहुल गांधी को कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाने के बाद वह पृष्ठभूमि में चली गई थीं और पार्टी के निर्णय लेने का जिम्मा राहुल के ऊपर आ गया था। पर अब पार्टी के अंदर कोई भी राहुल को अध्यक्ष बनाने की बात नहीं कर रहा है, क्योंकि पार्टी में हौसलापस्ती का माहौल है। पार्टी के अंदर राहुल के खिलाफ असंतोष बढ़ता जा रहा है। पुराने और नये लोगों के बीच की लड़ाई भी जारी है।
भारत

माओवाद से संबंधित सरकार की नीति में स्पष्टता नहीं

गृह मंत्रालय को सुकमा की घटना से सबक लेनी चाहिए
हरिहर स्वरूप - 2017-05-02 12:32 UTC
माओवादी समस्या से निपटने के लिए केन्द्र सरकार के पास कोई स्पष्ट नीति नहीं है, इसका पता सुकमा की घटना से लगता है, जिसमें केन्द्रीय सुरक्षा पुलिस बल के 25 जवान मारे गए थे। स्पष्ट रणनीति का अभाव और केन्द्रीय बलों पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता ने माओवादियों के खिलाफ किए जा रहे संघर्ष को कुंद बना दिया है।

लाल बत्ती पर सरकार का निर्णय जनहित में सराहनीय कार्य

भरत मिश्र प्राची - 2017-05-01 13:43 UTC
देश में आत्मगौरव एवं सर्वोच्य प्रतिष्ठा का परिचायक बनी वी आई पी संस्कृृति से जुड़ी लाल बŸाी की गाड़ी से लाल बत्ती हटाये जाने का केन्द्र सरकार का देश हित में लिया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे केन्द्र सरकार के प्रति आम जन में विश्वसनीयता बढ़ी है। केन्द्र सरकार के इस महत्वपूर्ण फैसले से पूर्व पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरिन्दर सिंह एवं यू.पी. के मुख्यमंत्री आदित्य नाथ योगी ने लाल बत्ती की गाड़ी का त्याग कर सही मायने में सही जनप्रतिनिधि बनने का परिचय दिया है, जिसकी देश की आम जनता सच्चे मन से सराहना कर रही है। इस तरह के कदम से निश्चित तौर पर लाल बत्ती में बैठकर आमजन के बीच रूतबा जमाने वालों पर लगाम कसेगी एवं इसकी आड़ में पनप रहे अपराध को विराम लगेगा।

भगवा लंपटवाद से योगी को शर्मिंदगी

हिन्दुत्ववादी उत्तर प्रदेश में नियंत्रण से बाहर
प्रदीप कपूर - 2017-04-29 09:29 UTC
लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कानून व्यवस्था की भारी समस्या का सामना कर रही है। यह समस्या सबसे ज्यादा भगवा संगठन खड़ी कर रहे हैं। पिछले एक महीने से वे समस्या खड़ी करने में विशेष रूप से सक्रिय हैं।