बस्तरः हिंसा का खत्म न होने वाला सिलसिला
आदिवासियों को शांतिपूर्ण लड़ाई के लिए कौन संगठित करेगा?
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2017-04-28 13:15 UTC
माओवादी हिंसा में कमी के मुख्यमंत्री रमन सिंह के हाल के दावों के बीच बस्तर के सुकमा में 25 अप्रैल, 2017 को हुई सीआरपीएफ के 25 जवानों की मौत ने सरकार की नींद उड़ा दी है। महीना भर पहले, 11 मार्च को इसी इलाके में सीआरपीएफ के 12 जवान मारे गए थे। इस घटना ने एक बार और साबित किया है कि बस्तर में बरसों से चल रहा हिंसा का तांडव थमा नहीं है और न ही इसके थमने के आसार है। सुकमा में हुई दोनों घटनाओं के बारे में जिस तथ्य पर गौर करना सबसे ज्यादा जरूरी है कि ये घटनाएं सड़क-निर्माण को सुरक्षा देने वाले जवानों पर आक्रमण के रूप में सामने आई हैं। सरकार इन इलाकों को सड़क से जोड़ने पर अमादा है, लेकिन स्थानीय आदिवासी इसका विरोध कर रहे हैं। माओवादी इस विरोध को आवाज द रहे हैं और बदले में हिंसा पर आधारित अपनी राजनीति के लिए समर्थन हासिल कर रहे हैं।