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तृणमूल कांग्रेस के लिए असम में खतरा नहीं

मुस्लिम आधार को बनाए रखने पर सत्तारूढ़ दल की नजर
बरुण दास गुप्ता - 2011-03-29 12:57
कोलकाताः जब तृणमूल कांग्रेस ने यह घोषणा की कि वह असम की सभी 126 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारेगी, तो बहुत लोगों को आश्चर्य हुआ। इसका कारण यह है कि सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस भी कुल 118 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतार रही है। तृणमूल कांग्रेस का वहां न तो कोई संगठन है और न ही उसके किसी नेता की कोई पहचान है। उसके पास कोई कार्यकर्त्ता भी नहीं है। एक सर्वे में पाया गया कि वहां के लोग किसी भी तृणमूल नेता का नाम तक नहीं जानते। एक ने तो कहा कि यदि तृणमूल के उम्मीदवारों में से किसी एक की भी जमानत बच गई, तो उसे बहुत आश्चर्य होगा।

इस खुलासे पर आश्चर्य कैसा

केन्द्र सरकार को अपने दामन पर लगे दाग छुड़ाने चाहिए
अवधेश कुमार - 2011-03-28 11:42
जिन लोगों को लोकसभा में 22 जुलाई 2008 का दृष्य याद होगा उनके लिए विकिलिक्स के खुलासे पर आश्चर्य करने का कोई कारण नहीं है। उस दिन मनमोहन सिंह सरकार ने विश्वास मत जीत लिया था, लेकिन मतदान के पूर्व भाजपा के तीन सांसदों द्वारा लोकसभा की मेज पर एक हजार के नोटों से भरी अटैचियां रखने का शर्मनाक नजारा दुनिया के सामने आ चुका था। भारतीय संसद के इतिहास में वह इस किस्म का पहला कालादिन था। इसके पूर्व कभी ऐसा नहीं हुआ था।

मायावती समय से पहले विधानसभा का चुनाव करा सकती हैं

विपक्षी पार्टियां भी अब चुनाव के लिए तैयार हो रही हैं
प्रदीप कपूर - 2011-03-26 10:16
लखनऊः राजनैतिक पंडित अनुमान लगा रहे हैं कि मुख्यमंत्री मायावती विभाजित विपक्ष का फायदा उठाने के लिए तय समय से पहले ही राज्य विधानसभा का आमचुनाव करवा सकती हैं। गौरतलब है कि तय समय के अनुसार उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव 2012 की पहली छमाही में होना है।

केरल: कांग्रेस की बढ़त बनी हुई है

अच्युतानंदन की उम्मीदवारी से एलडीएफ का मनोबल बढ़ा
कल्याणी शंकर - 2011-03-26 10:12
केरल का विधानसभा चुनाव इस बार इस मायने में दिलचस्प है कि पहली बार सीपीएम एक विभाजित पार्टी के रूप में चुनाव लड़ रही है। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव के समय भी अंदरखाने मनमुटाव था, लेकिन इस बार तो मुख्यमंत्री वी एस अच्युतानंदन और राज्य सचिव पी विजयन के बीच कलह साफ साफ सतह पर आ गया है।

केरल में कांग्रेसी मोर्चे को झटका

दो ईसाई ग्रुप मोर्चे के खिलाफ हुए
पी श्रीकुमारन - 2011-03-26 10:09
तिरुअनंतपुरमः गुटबाजी और टिकट वितरण के मामले पर पहले से ही संकट का सामना कर रहे कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे को एक और बड़ा झटका लगा है। यह झटका उच्च न्यायालय के एक फैसले के रूप में सामने आया है। अदालत ने निर्वाचन आयोग के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसके तहत राज्य सरकार द्वारा चलाई गई दो रुपए प्रति किलो चावल की योजना के अमल को रोक दिया गया था।

आम बजट का देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

यह दीर्घकाल को घ्यान में रखकर तैयार किया गया है
उपेन्द्र प्रसाद - 2011-03-26 10:06
पिछले 28 फरवरी को पेश बजट में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कोई वैसा प्रावधान तो नहीं किया, जिसे हम लोकप्रियतावादी कहते हैं और जिसे हमारे वित्त मंत्री चुनावों को ध्यान में रखते हैं, हालांकि आने वाले महीने में देश के 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो रहे है। सच कहा जाए तो अपने बजट में श्री मुखर्जी ने देश की अर्थव्यवस्था के निरंतर विकास को घ्यान में रखने की कोशिश की है। बजट महंगाई की पृष्ठ भूमि में पेश किया गया था। उम्मीद की गई थी कि महंगाई को दूर करने की कोई ऐसी घोषणा की जाएगी, जिससे वित्तमंत्री लोगों की बाहबाही लूटते नजर आएंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया, क्योंकि वित्त मंत्री की नजर तत्कालिक सफलता से ज्यादा देश के निरंतर और उच्च आर्थिक विकास का है।
भारत

असम में कांग्रेस को दिख रही है जीत

विपक्ष के बिखराव का उसे मिल रहा है लाभ
बरुण दास गुप्ता - 2011-03-22 11:23
कोलकाताः अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अपनी जीत दिखाई पड़ रही है। पिछले दो विधानसभाओं के कार्यकाल से कांग्रेस के तरूण गोगोई मुख्यमंत्री बने हुए हैं और उन्हें उम्मीद है कि वे इस बार जीत की तिकड़ी लगाकर रहेंगे।
भारत

मुख्यमंत्री अच्युतानंदन की उम्मीदवारी

प्रकाश कारत और विजयन की किरकिरी
पी श्रीकुमारन - 2011-03-21 09:44
तिरुअनंतपुरमः आखिरकार सीपीएम ने मुख्यमंत्री वी एस अच्युतानंदन को विधानसभा का चुनाव लड़ने का टिकट दे ही दिया। इस पूरे प्रकरण में राज्य ईकाई के सचिव पी विजयन की किरकिरी हो गई। उनके साथ पार्टी महासचिव प्रकाश कारत की भी भद्द पिटी।
भारत

मनमोहन सिंह एक बार फिर कटघरे में

केन्द्र सरकार की मुसीबतों का अंत नहीं
उपेन्द्र प्रसाद - 2011-03-19 19:52
अमेरिकी राजनयिकों द्वारा भारत से संबंधित किए गए संवाद को विकीलीक्स द्वारा लीक किए जाने के बाद केन्द्र की मनमोहन सिंह सरकार एक बार फिर कटघरे में खड़ी हो गई है। केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के पद पद पी जे थॉमस की नियुक्ति के मामले पर प्रधानमंत्री की अच्छी खासी फजीहत हो चुकी है। उन्हें लोकसभा में अपनी गलती माननी पड़ी और कहना पड़ा कि नियुक्ति से संबंधित निर्णय लेने में उनसे गलती हो गई थी। अब उन्हें यह कहना पड़ रहा है कि 2008 में वामदलों द्वारा उनकी सरकार से समर्थन वापस लिए जाने के बाद सरकार बचाने के लिए जो खरीद फरोख्त हुई, उसके बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं है और वैसा करने के लिए उन्होंने किसी को अधिकृत नहीं किया था।
भारत

जगन का भविष्य अभी भी अनिश्चित

तेलंगना आंदोलन पर बहुत कुछ निर्भर
कल्याणी शंकर - 2011-03-18 10:56
आंध्र प्रदेश में नई पार्टी बनाने वाले कोई पहले व्यक्ति नहीं हैं जगन मोहन। उनके पहले भी अनेक लोगों ने पार्टियां बनाई हैं और उन पार्टियों का भविष्य एक जैसा नहीं रहा है। एनटीआर ने अपनी पार्टी का गठन कर 9 महीनों के अंदर ही राज्य की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। एक उदाहरण के चन्द्रशेखर राव का भी है, जिन्होंने तेलंगना राष्ट्र समिति बनाकर कुछ समय तक केन्द्र सरकार में सत्ता का सुख भोगा। एक अन्य उदाहरण प्रजा राज्यम पार्टी के निर्माता चिरंजीवी का भी है, जिन्होंने कुछ विधानसभाओं में ही अपनी पार्टी को जीत दिलाई। सवाल उठता है कि जगन मोहन की पार्टी का क्या भविष्य होगा।