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भारी पड़ सकता है जयराम को अन्य मंत्रालयों से पंगा लेना

एस एन वर्मा - 2010-05-10 09:38
नई दिल्ली। दस जनपथ के करीबी मंत्रियों को लगता है कि उन्हें बेलगाम बोलने की आजादी मिल गयी है।मणिशंकर अयैर के नक्शे कदम पर अब जयराम रमेश चलने लगे हैं।पहले वह देश मे बोलते थे लेकिन इस बार वह विदेश ,वह भी चीन में अपने ही देश के एक मंत्रालय के खिलाफ बोल गए हैं। जयराम रमेश को इसी तरह का बड़बोलापन एक दिन भारी पड़ सकता है।शशि थरूर को फालतू बोलने की सजा सुनंदा प्रकरण के साथ जुड़ कर मिल चुका है।अब जयराम रमेश की बारी आ रही है।बीजेपी ने उनसे इस्तीफा मांगा है। कांग्रेस भी उनके साथ नहीं है। सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री भी उनको झिड़की लगा चुके हैं।

आईपीएल यानी लूट का आयोजन

भारत को सम्पूर्ण लूट से बचाने के लिए संघर्ष की आवश्यकता है
अवधेश कुमार - 2010-05-08 08:25
पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रिय शशि थरुर की मंत्रिमडल से विदाई एवं उसके बाद आईपीएल के जन्मदाता माने जाने वाले ललित मोदी का निलंबन। इन दोनों व्यक्तियों को अलग करने मात्र से आईपीएल विवाद का अंत हो जाएगा, ऐसा मानना बेमानी है। हां, सरकार एवं क्रिकेट तंत्र से जुड़े नेताओं, व्यवसायियों, अधिकारियों एवं सितारों ने इन दोनों की बलि चढ़ाकर विवाद का अंत मान लेने का संदेश देने की अवश्य कोशिश की। वैस भी इन दोनो के खिलाफ कार्रवाई में खेल की भूमिका कहीं नहीं है।

आरबीआई का मध्यमार्ग

अशोक हांडू - 2010-05-08 08:11
नीतिगत दरों में बहुत अधिक वृद्धि से बचते हुए और उसी के साथ थोड़ी सी वृद्धि कर भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह आर्थिक वृद्धि पर बगैर कोई प्रभाव डाले मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए तत्पर है। सरकार के लिए सबसे बड़ी चिंता हाल के महीनों में मुद्रास्फीति में बहुत अधिक वृद्धि रही है क्योंकि मुद्रास्फीति दहाई अंक तक पहुंच गयी है जो 17 महीनों में सबसे ऊंचे स्तर पर है। खाद्य मुद्रास्फीति की दर तो 17 फीसदी तक पहुंच गयी है।

कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों में तालमेल नहीं

बजट सत्र में यूपीए का खराब रंग उभरा
कल्याणी शंकर - 2010-05-07 10:55
बजट के वर्तमान सत्र में यूपीए का बदरंग चेहरा दिखाई पड़ा है। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के बीच समय समय पर मतभेद उभर कर सामने आ रहे हैं। आइपीएल घोटाला, संचार घोटाला व फोन टेपिंग मामलों पर मनमोहन सिंह सरकार की भारी फजीहत हुई है और इसके कारण सरकार की छवि खराब हुई है।

ब्रह्मपुत्र नदी पर चीनी बांध

असम पर पड़ेगा खराब असर
बरुण दास गुप्ता - 2010-05-07 10:49
कोलकाताः चीन ने आखिरकार स्वीकार कर लिया है कि वह यारलंग त्सांगपो, जिसे भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है, पर बांध बना रहा है। वह बांध जल विद्युत परियोजना के तहत बनाया जा रहा है।

कांग्रेस तृणमूल के तकरार से वाममोर्चा को फायदा

कांग्रेस पार्टी हासिए पर चली जाएगी
अमूल्य गांगुली - 2010-05-07 10:45
पश्चिम बंगाल में शहरी निकायों के चुनावों में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच गठबंधन के विफल हो जाने का फयदा वाम पार्टियों को हागा। अगले 30 मई को राज्य के 81 शहरी निकायो का चुनाव होने वाला है और उसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चुनाव है कोलकाता नगर निगम का। जिस तरह से वामपंथी पार्टियों की लोकप्रियता गिरती जा रही है, उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि यदि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ, तो वाम मोर्चा का सभी शहरों और महानगरों में सूफड़ा साफ हो जाएगा।

विधानसभा के सत्र आहूत करने पर विवाद

मंत्रियों के भ्रष्टाचार के मसले पर सरकार परेशान
एल एस हरदेनिया - 2010-05-07 10:41
भोपालः मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा विधानसभा के विशेष सत्र बुलाने का निर्णय विवादों के भंवर में फंस गया है। उन्होंने अगले 11 मई से 4 दिनों का एक विशेष सत्र आहूत किया है। पहले भी विशेष सत्र बुलाए जाते रहे हैं, पर वे अक्सर एक दिन के ही हुआ करते थे। पर इसबार 4 दिनों के लिए यह सत्र बुलाया जा रहा है। सत्र का उद्देश्य विकास कार्यों के लिए नीति तैयार करना है और उसकी राणनीति का भी निर्धारण करना है।

झारखंड में सोरेन की कुर्सी सलामत

नेता नहीं चुन पाई भाजपा
उपेन्द्र प्रसाद - 2010-05-03 09:35
झारखंड में शीबू सोरेन की कुर्सी पर आया खतरा समाप्त हो गया है। उनके द्वारा मनमोहन सरकार के पक्ष में मतदान करने के बाद बिना ज्यादा समय गंवाये भाजपा ने समर्थन वापसी का जो फैसला लिया था, वह उस पर ही भारी हो गया। श्री सोरेन ने राजनैतिक चतुराई दिखाते हुए ऐसा दाव खेला कि भाजपा के रणनीतिकार चारो खाने चित्त हो गए और अंत में उन्हें भी यथास्थिति स्वीकार करने में ही अपनी भलाई दिखाई दी।

शिबू सोरेन के बाद झामुमो

आसान नहीं है वंशवाद को बढ़ाना
उपेन्द्र प्रसाद - 2010-05-01 10:56
झारखंड की राजनीति में वर्तमान अस्थिरता का एक कारण झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता द्वारा अपने पुत्र हेमंत शोरेन को अपना राजनैतिक उत्तराघिकार देना है। हेमंत भी उत्तराधिकार पाने में जल्दबाजी दिखा रहे हैं। उनके लिए आदर्श स्थिति तो यह होती कि वे खुद मुख्यमंत्री बनते, लेकिन उनकी पार्टी को बहुमत नहीं हासिल है और भाजपा की सहमति के बिना वे मुख्यमंत्री बन ही नहीं सकते थे। उनकी समस्या यह है कि पार्टी के अंदर के अनेक नेता उन्हें अपना नेता मानने को तैयार नहीं हैं।

बजट और आम आदमी

वेद प्रकाश अरोड़ा - 2010-04-30 10:27
बजट सरकार की आमदनी और खर्चों का बहीखाता ही नहीं होता, वह सरकार की आर्थिक नीतियों, सुधारों और राहों के कांटों-कठिनाइयों को हटाकर सुखद समाधान प्रस्तुत करने की दूर दृष्टि और भावी नीतियां तथा कार्यक्रम भी अपने दामन में लिए रहता है। कह सकते हैं कि वह विगत कल की उपलब्धियों, कमियों, वर्तमान की चुनौतियों और आगत कल के सुनहरी सपनों-संकल्पनाओं को आकार देने के प्रयासों का दर्पण भी होता है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि 2009-2010 का वित्तीय वर्ष भारत की तेज उभरती अर्थव्यवस्था के लिए विकट चुनौतियों का वर्ष रहा। ये चुनौतियां इसलिए अधिक गंभीर थी क्योंकि सारा विश्व भयंकर वित्तीय संकट के भंवर में फंसा हुआ था। लगभग सभी महाद्वीप अमरीका से पसरी घोरमंदी और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से उत्पन्न महंगाई की मार झेल रहे थे। ई दंश से दो-चार होना पड़ रहा था। परिणाम यह हुआ कि तीन वर्षों की लगातार नौ-प्रतिशत की औसत विकास दर के बाद 2008-09 में यह घटकर 6.7 प्रतिशत रह गई।