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मध्य एशिया में चीन की बढ़ती उपस्थिति से पुराने सहयोगी चिंतित होंगे

भारत को अपना हित बढ़ाने के लिए ईरान, तुर्की और रूस के साथ काम करना चाहिए
नंतू बनर्जी - 2022-01-04 09:38
भारत का विदेश मंत्रालय असहमत हो सकता है, लेकिन मध्य एशिया में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की देश की कोशिश काफी देर से आई है। पहल तीन दशक पहले शुरू हो जानी चाहिए थी। यूएसएसआर के विघटन के तुरंत बाद भारत पांच मध्य एशियाई गणराज्यों के साथ एक संयुक्त व्यापार और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम शुरू करने के लिए रूस में शामिल हो सकता है। ऐसा लगता है कि सरकार के पास दूरदृष्टि की कमी है या इस रणनीतिक क्षेत्र में अपने प्रभाव को दूसरों से आगे बढ़ाने के लिए चीन के सुविचारित कदम को कम करके आंका है। पिछले महीने, भारत ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ मध्य एशिया वार्ता के अपने तीसरे दौर का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने इस क्षेत्र के साथ अपने सहयोग को ‘अगले स्तर’ तक ले जाने के लिए भारत की तत्परता के बारे में बात की, ताकि उनकी विकास यात्रा में ‘दृढ़ भागीदार’ बन सके। भारत ने सभी पांच मध्य एशियाई देशों के प्रमुखों को 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। कहा जाता है कि नई दिल्ली इस क्षेत्र के साथ संबंधों के तेजी से विस्तार के लिए उत्सुक है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस तरह के संबंधों को कितनी तेजी से बढ़ाया जा सकता है जब यह क्षेत्र पहले से ही अपने व्यापार और आर्थिक विकास के लिए चीन के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है और अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने भारत के लिए एक नई कनेक्टिविटी समस्या खड़ी कर दी है।

तेजी से बढ़ रही यूरोपीय गैस, बिजली की कीमतें भारत के लिए सबक

मानक जो बाजार खुद की देखभाल करता है वह हमारे लिए काम नहीं करता है
प्रबीर पुरकायस्थ - 2022-01-03 09:52
यूरोप में गैस की बढ़ती कीमतों के मौजूदा संकट के साथ-साथ ठंड का असर यह बताता है कि दुनिया के किसी भी हिस्से का हरित ऊर्जा में संक्रमण आसान नहीं होने वाला है। यह इस तरह के संक्रमण में जटिलता को भी सामने लाता है, कि ऊर्जा न केवल सही तकनीक का चयन कर रही है, बल्कि इसके आर्थिक और भू-राजनीतिक आयाम भी हैं।

गांधी पर हमले क्यों होते हैं

जिन्हें भारतीयता से चिढ़ है, वे गांधी से भी चिढ़ते हैं
उपेन्द्र प्रसाद - 2022-01-02 06:36
पिछले दिनों एक कथित धर्म संसद में एक कथित कालीभक्त ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे का अभिनन्दन किया। निश्चय ही उसने जो किया वह बहुत ही आपत्तिजनक था और अपराध भी। इसके लिए उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया है और उसके ऊपर राजद्रोह (जिसे सामान्य बातचीत में लोग देशद्रोह या राष्ट्रद्रोह भी कहते हैं), का मुकदमा लगा दिया है और आने वाले काफी समय उसके जेल में ही रहने की संभावना भी है।

संघ परिवार आज देश का असली दुश्मन

उनकी विभाजनकारी राजनीति के आगे देश को फेल नहीं होने देना चाहिए
बिनय विश्वम - 2021-12-31 09:47
क्रिसमस के दिनों में ईसाई चर्चों पर हमलों की एक श्रृंखला देखी गई। कई जगहों पर ईसा मसीह की मूर्तियों को तोड़ा गया। उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम और अन्य राज्यों से बर्बरता के सबसे आक्रामक हमलों की सूचना मिली है। उसके बाद कलकत्ता से खबर आई कि अधिकारियों ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संगठन ;मिशनरीज ऑफ चौरिटीज में योगदान को रोक दिया है। हमेशा की तरह पुलिस ने मामले दर्ज किए हैं और बर्बरता पर नियमित सफाई दी है। इन घटनाओं ने ईसाई अल्पसंख्यकों के मन में भारी दहशत पैदा कर दी है।

तकनीकी मुद्दों पर अदालतों की विशेषज्ञता की कमी एक बड़ी समस्या

खराब कानून न्यायपालिका के कार्यभार को बढ़ा रहे हैं- प्रधान न्यायाधीश
के रवींद्रन - 2021-12-30 09:53
श्री लवू वेंकटेश्वरलू एंडोमेंट लेक्चर देते हुए प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण का ‘विजयवाड़ा भाषण’ इस बात के लिए महत्वपूर्ण है कि उन्होंने एक बहुत ही संवदेनशील मसले पर अपनी राय व्यक्त की है। मसला है सरकार द्वारा मनमाने कार्यों को शुरू करने के लिए इन दिनों लोकप्रिय बहुमत का उपयोग कैसे किया जाना। बेशक, सीजेआई सामान्य शब्दों में बोल रहे थे, लेकिन यह स्पष्ट है कि उनका आक्रोश उस मौजूदा स्थिति के कारण हुआ है जिसमें मोदी सरकार के कार्यों को एक के बाद एक सवालों के घेरे में लिया गया है। वह न्यायिक ओवररीच के रूप में कार्यकारी कार्यों की न्यायिक समीक्षा की निंदा करने की प्रवृत्ति पर विशेष रूप से कठोर थे, जो कि मोदी सरकार की पहचान रही है।

कोरोना की तीसरी लहर

कैसे हो पाएंगे फरवरी में पांच राज्यों में चुनाव
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-12-29 11:28
अब सभी विशेषज्ञ कहने लगे हैं कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है। प्रति दिन कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं। यदि संक्रमितों की संख्या को देखा जाय, तो यह अभी भी कम है, लेकिन संख्या कितनी तेजी से बढ़ती है, यह हम समाप्त हो रहे साल के अप्रैल और मई महीनों में देख चुके हैं। वह कोरोना का डेल्टा वैरिएंट था। तीसरी लहर ओमिक्राॅन वैरिएंट पर सवार है, जो डेल्टा से कई गुना संक्रामक है। जो सबसे ज्यादा आशावादी हैं, उनके अनुसार डेल्टा की अपेक्षा ओमिक्राॅन तीन गुना ज्यादा तेजी से फैलता है। इससे भी खराब बात यह है कि यह इस बात की परवाह नहीं करता कि आपने टीका ले रखा है या नहीं, अथवा आपको पहले कोरोना संक्रमण हो चुका है या नहीं। इसका मतलब है कि देश की शत प्रतिशत आबादी कोरोना की इस किस्म के निशाने पर है। मतलब जब संक्रमण होगा, तो बहुत तेजी से होगा।

प्रियंका और कांग्रेस ने महिला सशक्तीकरण का एजेंडा तय किया

अब अन्य पार्टियां उसी तर्ज पर अपने अभियान पर फिर से काम कर रही हैं
प्रदीप कपूर - 2021-12-28 09:32
लखनऊः प्रियंका गांधी और उनकी कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनावों के लिए महिला सशक्तीकरण को प्रमुख एजेंडा के रूप में स्थापित करने में सफल रही है।

बांग्लादेश का मुक्ति संघर्ष

इंदिराजी ने हर मोर्चे पर सफलता हासिल की थी
एल. एस. हरदेनिया - 2021-12-27 08:59
बांग्लादेश के संघर्ष के दौरान जिस सक्षमता से इन्दिरा गांधी ने देश का नेतृत्व किया उसे विश्व के युद्धों के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से लिखा जाएगा। यहां यह स्मरण करना प्रासंगिक होगा कि बांग्लादेश का युद्ध उन्होंने प्रारंभ नहीं किया था। वह हम पर लादा गया था।

भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन

26 दिसंबर 1925 भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन के इतिहास में एक अविस्मरणीय दिन
बिनय विश्वम - 2021-12-24 09:48
26 दिसंबर 1925 भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन के इतिहास में एक अविस्मरणीय दिन है। वह दिन था जिस दिन भाकपा का जन्म हुआ था। यद्यपि कानपुर में दिसम्बर की ठंड का दिन था, फिर भी युवा क्रान्तिकारी जो वहाँ एकत्रित हुए थे, एक नई दुनिया की अटूट आशा और आकांक्षाओं की आग से रोमांचित थे। वे देश के विभिन्न हिस्सों से आए थे, जो मद्रास, कलकत्ता, बॉम्बे, पंजाब, कानपुर आदि स्थानों में नवजात कम्युनिस्ट समूहों का प्रतिनिधित्व करते थे। भारत की सीमाओं से परे भी, ताशकंद जैसे स्थानों पर कम्युनिस्ट समूहों की स्थापना सम्मेलन से पहले ही हुई थी। भारत की धरती पर समाजवाद के पथ पर आगे बढ़ते हुए पार्टी का सपना एक स्वतंत्र और समृद्ध भारत का था। बेशक, यह किसी आकस्मिक घटना का सहज परिणाम नहीं था। लेकिन एक प्रतिकूल सामाजिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि में सोच समझकर और विचार-विमर्श के बाद एक उद्देश्यपूर्ण कदम उठाया गया था। ब्रिटिश साम्राज्यवाद और उनके हिन्दुस्तानी गुर्गे उपनिवेशवाद-विरोधी जागरण की जरा-सी भी शाखाओं को तोड़ने की पुरजोर कोशिश कर रहे थे। फिर भी कम्युनिस्ट पार्टी का जन्म भारत की धरती पर हुआ, क्योंकि यह एक अनिवार्य ऐतिहासिक आवश्यकता थी।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र को हटाने की मौजूद हैं कई वजहें

वैसे राज्य की सत्ता ने पुराना हिसाब चुकता कर लिया है
अनिल जैन - 2021-12-23 09:54
लखीमपुर खीरी कांड में उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट के आधार पर विपक्षी पार्टियां केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र उर्फ टेनी को बर्खास्त करने की मांग रही है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न तो उनसे इस्तीफा मांग रहे हैं और न ही उन्हें बर्खास्त कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी अजय मिश्र का बचाव इस आधार पर कर रही है कि बेटे के अपराध के लिए पिता को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।