नागालैन्ड हत्याकांड का जिम्मेवार कौन?
इस त्रासदी के समय हमें नागालैंड के लोगों के साथ होना चाहिए
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2021-12-10 09:48
ट्रक ढलान पर थी जब गोलियों की बौछार शुरू हुई। शांत, हरे भरे पहाड़ों में छाई निस्तब्धता को तोड़ती उस गर्जना में घायलों की चीख और इस आकस्मिक भीषण प्रहार से आहत अचंभित मरते हुए मजदूरों की आह भी शामिल थी। हफ्ते भर की कठिन मेहनत के बाद तिरू घाटी के कोयला खदानों से लौटते ये मजदूर नागालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव की ओर जा रहे थे। वापसी के लिये लंबे रास्ते को छोड़कर वे शॉर्टकट से छह किलोमीटर दूर अपने घर जल्दी पहुंचना चाहते थे। जिन्होंने उन पर यह प्राण घातक हमला किया था वे भारतीय सेना के पैराकमान्डों थे। जोरहट में पोस्टेड ये कमांडों इस सूचना पर घातक हमला करने के लिये छुपकर बैठे थे कि उस क्षेत्र में विद्रोही संगठन के लोग घूम रहे थे।