जाति जनगणना से कौन डरता है?
आरक्षण की सम्यक समीक्षा के लिए यह बहुत जरूरी है
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2021-08-14 11:08 UTC
जाति जनगणना की मांग जोरों पर है और उतना ही जोर लगाकर मोदी सरकार इसका विरोध कर रही है। मजे की बात यह है कि 2018 के अंतिम महीनों में मोदी सरकार ने ओबीसी जनगणना कराने का फैसला किया था और कैबिनेट के इस फैसले से देश को वरिष्ठ मंत्री राजनाथ सिंह ने अवगत कराया था। लेकिन 2019 का चुनाव जीतने के साथ ही मोदी सरकार का मूड बदल गया और उसने अपना निर्णय बदल लिया। लेकिन सरकार के निर्णय बदलने से मांग कमजोर नहीं हुई है, बल्कि और भी बढ़ गई है। यह मांग सिर्फ विपक्षी पार्टियां ही नहीं कर रही हैं, बल्कि सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दल भी कर रहे हैं। घटक दल की तो बात ही छोड़िए खुद कुछ सरकारी प्रतिष्ठान जाति जनगणना कराए जाने की मांग कर रहे हैं, क्यांकि उन प्रतिष्ठानों के काम जाति के आंकड़े जुटाए बिना हो ही नहीं सकता। बहुत बार सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयें भी जाति आंकड़ों के आधार लिए बिना ही सरकारी कार्यक्रम और नीतियां बनाए जाने पर अपना गुस्सा व्यक्त कर चुके हैं।