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साम, दाम और दंड में फंसा लोकतंत्र

पर लोकराज लोकलाज से चलता है
प्रभुनाथ शुक्ल - 2018-05-24 11:25 UTC
कर्नाटक से निकला संदेश पूरी राजनीति को बदबूदार बना रहा है। राज्यपाल के विवेक का विशेषाधिकार भी मजाक बन गया। सियासत और सत्ता के इस जय पराजय के खेल में कौन जीता और कौन पराजित हुआ, यह राजनीतिक दलों और उनके अधिनायकों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। लेकिन संवैधानिक संस्थाओं की तंदुरुस्ती के लिए कभी भी सकारात्मक नहीं कहा जा सकता है। राजनीति के केंद्र में लोकहित कभी भी प्रमुख मसला नहीं होता। वह साम्राज्य विस्तार में अधिक विश्वास रखती है। एकाधिकार शासन प्रणाली में यह बात आम है, लेकिन दुनिया के लोकतांत्रिक देशों में ऐसा कम होता है लेकिन अब लोकतंत्र की छांव में भी सामंतवाद की बेल पल्लवित हो रही है। सत्ता के केंद्र बिंदु में संविधान नहीं साम, दाम, दंड और भेद की नीति अहम हो चली है। सत्ता के लिए लोकतांत्रिक संस्थाओं को फुटबाल नहीं बनाया जा सकता। लोकतांत्रिक व्यवस्था का हर स्थिति में अनुपालन होना चाहिए।

मोदी सरकार के चार साल

देश का हाल बेहाल
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-05-23 09:41 UTC
नरेन्द्र मोदी सरकार के चार साल पूरे हो रहे हैं और उसे अपने आपको साबित करने के लिए सिर्फ एक साल ही बचा है। इन चार सालों की उपलब्धियों को यदि हम खुद मोदीजी के चश्मे से देखें, तो पाएंगे कि उन्होंने बैंकों में उन करोड़ों लोगों के खाते खुलवा दिए, जो बैंकों का हिस्सा होने की सोच भी नहीं सकते थे।

उफ! इतना महंगा चुनाव, इतना महंगा लोकतंत्र

हमारे चुनाव बन रहे हैं काले धन का बंधक
अनिल जैन - 2018-05-22 10:17 UTC
भारतीय राजनीति में धनबल की भूमिका ने सिर्फ चुनाव प्रचार को ही महंगा नहीं बनाया है बल्कि समूची चुनाव प्रक्रिया को एक तरह से भ्रष्ट भी कर दिया है। धनबल की भूमिका इस कदर बढ गई है कि हर चुनाव पिछले चुनाव से महंगा साबित होता जा रहा है। पांच महीने पहले हुए गुजरात विधानसभा चुनाव को अभी तक का सबसे महंगा विधानसभा चुनाव माना जा रहा था, लेकिन हाल ही संपन्न कर्नाटक विधानसभा के चुनाव ने गुजरात को बहुत पीछे छोड दिया है। गुजरात में भाजपा और कांग्रेस का कुल अनुमानित खर्च 1750 करोड रुपए था, जबकि कर्नाटक में विभिन्न दलों के खर्च का यह आंकडा 10,000 करोड के आसपास पहुंच गया।

लोक सभा चुनावों में क्षेत्रीय पार्टियां बड़ी भूमिका निभाएंगी

कर्नाटक के नतीजों ने इसके साफ संकेत दिए
अनिल सिन्हा - 2018-05-21 10:15 UTC
कर्नाटक के नतीजों ने क्षेत्रीय पार्टी के महत्व को फिर से केंद्र में ला दिया है और देश के स्तर पर तीसरे मोर्चे के गठन की कवायद जल्द ही शुरू हो जाए तो इसमें किसी को अचरज नहीं होना चाहिए। कर्नाटक के नतीजों का देश की मौजूदा राजनीति पर भारी असर होगा। जेडीएस के बेहतर प्रदर्शन ने अगले साल हो रहे लोक सभा चुनावों के समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं।

कर्नाटक के चुनाव ने मायावती का हौसला बढ़ाया

बसपा नेता ने कांग्रेस को नकारात्क प्रचार का दोषी बताया
प्रदीप कपूर - 2018-05-19 12:14 UTC
लखनऊः बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती अब जेडी (एस) के साथ कर्नाटक में सफल प्रयोग के बाद अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन में करने के बारे में आत्मविश्वास से लवरेज हैं।

कर्नाटक के राज्यपाल ने आरएसएस प्रचारक की तरह काम किया

सरकारिया आयोग की सिफारिशों को भी ताक पर रख दिया
नित्य चक्रवर्ती - 2018-05-18 11:53 UTC
निर्वाचित विधायकों के बीच बहुमत समर्थन साबित करने में असमर्थता के बावजूद भाजपा नेता बी एस येदियुरप्पा को नई कर्नाटक सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हुए गवर्नर वाजुभाई वाला ने भारतीय संविधान के संरक्षक की बजाय आरएसएस प्रचारक की तरह काम किया है। सरकार बनाने के इस पूरे नाटक का सबसे गहरा पहलू यह है कि बीजेपी नेता ने शुरुआत में अपने बहुमत को साबित करने के लिए केवल दो दिनों की बात की लेकिन उन्हें पंद्रह दिन दिए गए क्योंकि शीर्ष बीजेपी नेतृत्व विधायकों के दल बदल का आयोजन दो दिनों के भीतर करने के लिए निश्चित नहीं था और उन्होंने खरीद फरोख्त के लिए के लिए 15 दिन का समय मांगा। कर्नाटक के गवर्नर ने तरह आसानी से सहमति व्यक्त की और कर्नाटक में लोकतंत्र की बिक्री की अन्य मांग की अनुमति दी।

स्मृति ईरानी सूचना प्रसारण मंत्रालय से बाहर

उन्हें तो कपड़ा मंत्रालय से भी बाहर कर दिया जाना चाहिए
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-05-17 10:45 UTC
स्मृति ईरानी से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय छीन लिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अब यह मंत्रालय राज्यवर्धन सिंह राठौर के स्वतंत्र प्रभार में डाल दिया है। पहले वह इसके राज्यमंत्री थे और स्मृति ईरानी के तहत इस मंत्रालय का काम देखा करते थे।

भाषण से लोग प्रभावित तो हो सकते है पर पेट नहीं भरता

वर्तमान समस्याओं को हल करने की जिम्मेदारी वर्तमान सरकार की ही है
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-05-16 12:43 UTC
कर्नाटक विधान सभा चुनाव के दौरान यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विजयपुर में आमसभा को संबोधित करते हुये कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अच्छा भाषण दे तो लेते है पर केवल भाषण से ही आमजन का पेट नहीं भरता । सोनिया गांधी के इस वकतव्य में यह सच्चाई समाहित है कि केवल भाषण से राशन नहीं मिल सकता। अच्छे भाषण से देश की अवाम जरूर प्रभावित हो सकती पर समस्याएं नहीं मिट सकती। सरकार किसी की भी हो देश की अवाम समस्याओं से राहत पाना चाहती है। इसीलिये सरकार बदलती रहती है। आजतक सही मायने में उसे राहत नहीं मिल पाई। आजादी के बाद देश का विकास जरूर हुआ पर देश को लूटने की प्रक्रिया आजतक बंद नहीं हुई, जिससे समस्याएं कम होने के जगह दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। आज सभी सरकारें एक जैसी ही दिखाई देने लगी है जहां आमजन की कमाई पर जनता के चुने जनप्रतिनिधि ऐशों अराम की जिंदगी व्यतीत करने में लगे हुए है।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे

चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षण पर प्रतिबंध लगे
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-05-15 11:01 UTC
कर्नाटक विधानसभा चुनावों ने एक बार फिर चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों को गलत साबित कर दिया है। आमतौर पर ये गलत ही साबित होते हैं। इक्का दुक्का कभी कभी यह सही साबित हो जाएं, तो यह अलग बात है, अन्यथा ये गलत होने के लिए अभिशप्त हैं। सवाल यह उठता है कि ये गलत क्यों होते हैं? एक कारण तो सर्वेक्षण करने के तरीके हो सकते हैं। लेकिन क्या वाकई सर्वेक्षण के तरीके गलत होते हैं या जानबूझकर सर्वेक्षण के नतीजों को गलत किया जाता है, ताकि जनमत हो प्रभावित किया जा सके।

राज्यपाल ने दो दिनों मे झिडके दो बार

केरल सरकार पर राजनैतिक हिंसा का साया
पी श्रीकुमारन - 2018-05-14 11:05 UTC
तिरुवनंतपुरमः लगातार दो दिनों में दो बार राज्यपाल की झिड़क। यह पिनारायी विजयन के नेतृत्व वाले वाम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार की शासन करने की क्षमता पर एक गंभीर टिप्पणी है।