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उपचुनावों के परिणाम में छिपे हैं आगामी चुनावों का भविष्य

डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-06-05 10:10 UTC
देश में नरेन्द्र मोदी के नेतृृत्व में केन्द्र शासित भाजपा अब तक अपने 4 वर्ष के कार्य काल के दौरान हुए 27 लोकसभा उपचुनाव में मात्र 5 सीट ही हासिल कर पाई जब कि इस वर्ष हुए 28 उपचुनाव में से मात्र 3 उपचुनाव में ही जीत दर्ज करा पाई। अभी हाल ही में तीन राज्यों की 4 लोकसभा एवं 9 राज्यों की 11 विधान सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा मात्र एक - एक सीट पर ही जीत हासिल कर पाई। इस तरह के हालात आगामी चुनावों में भाजपा के लिये बड़ी चुनौती बन सामने उभर कर आ रहे है जहां दिन पर दिन बढ़ता भाजपा का ग्राफ गिरता नजर आ रहा है।

नीतीश एक बार फिर अपने पुराने रंग में

मोदी को दिखा रहे हैं अपना महत्व
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-06-04 11:17 UTC
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर अपने पुराने रंग में वापस आ गए हैं। बिना किसी जनाधार के बिहार की राजनीति को पिछले 13 सालों से अपने पीछे चलाने का रिकाॅर्ड उनके पास है और वे ऐसा इसलिए कर पाते हैं, क्योकि वे अपने विरोधियो और सहयोगियों की कमजोर नसों को बेहतर तरीके से समझते हैं। उनके पिताजी वैद्य थे और वे किसी मरीज की नस पकड़ कर उसकी बीमारी का पता लगाते थे और उसका इलाज भी करते थे। तब नीतीश कुमार, जैसा कि वह खुद कह चुके हैं, अपने पिता के पास बैठकर दवाई की पुड़िया बनाया करते थे।

उपचुनाव के नतीजे बानगी हैं 2019 की

वादाखिलाफी का बदला जनता मत डालकर ले रही है
अनिल जैन - 2018-06-02 11:32 UTC
पिछले चार वर्षों के दौरान देश में लोकसभा चुनाव समेत जितने भी चुनाव-उपचुनाव हुए हैं, सभी के नतीजों में प्रायः सत्ता विरोधी रुझान साफ दिखा है। इसी रुझान के चलते भाजपा ने न सिर्फ केंद्र में पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाई बल्कि वह उन सभी राज्यों में भी अपनी या अपने सहयोगी दलों की मदद से गठबंधन सरकार बनाने में कामयाब रही है जहां पहले कांग्रेस या अन्य दलों की सरकारें थीं। इसी रुझान के चलते पिछले चार वर्षों के दौरान लोकसभा और विधानसभा के जितने भी उपचुनाव हुए उनमें भी इक्का-दुक्का सीटों को छोडकर सभी के नतीजे भाजपा के खिलाफ गए हैं। यही रुझान हाल ही में दस राज्यों में विधानसभा की 11 और लोकसभा की चार सीटों के लिए हुए उपचुनाव में भी भाजपा की हार के रूप में साफ तौर पर देखने को मिला है। भाजपा अपनी महज एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट किसी तरह बचाने में कामयाब रही है।

उपचुनावों के नतीजे: क्या भाजपा शासन के अंत की शुरुआत हो चुकी है

उपेन्द्र प्रसाद - 2018-06-01 09:46 UTC
इस बार 10 विधानसभा और 4 लोकसभा क्षेत्रों के चुनाव हो रहे थे। ये चुनाव क्षेत्र देश के 10 राज्यों में फैले हुए थे। इन उपचुनावों में भाजपा को भारी हार का सामना करना पड़ा। उसके हाथ सिर्फ एक लोकसभा और एक विधानसभा की सीट ही लगी। वह इस बात के लिए संतोष कर सकती है कि उसकी एक सहयोगी पार्टी को नगालैंड की सीट हाथ लगी।

कैराना उपचुनाव के सबक

एकजुट विपक्ष के सामने नहीं टिक सकती भाजपा
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-05-31 12:05 UTC
उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा सीट से भाजपा की करारी हार का संदेश स्पष्ट है और वह संदेश यह है कि यदि विपक्ष एकजुट होकर चुनाव लड़े, तो फिर भाजपा का 2019 लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता में बने रहने का सवाल ही नहीं है। कर्नाटक में अल्पमत में होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने जिस प्रकार सरकार बनाने की कोशिश की है, उसमें उसका 2019 का इरादा भी साफ दिखाई पड़ता है। यानी अल्पमत में रहने के बावजूद वह अपनी सरकार सिर्फ इस बिना पर बनाएगी कि लोकसभा में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर लाई है, भले ही उसे बहुमत का समर्थन हासिल हो या न हो।

कर्नाटक चुनाव और न्यायपालिका

लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का करने में कोर्ट समर्थ है
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-05-30 09:59 UTC
कर्नाटक में विधान सभा चुनाव के आये परिणाम के बाद वहां संवैधानिक संकट पैदा हो गया था। वहां किसी भी राजनीतिक दल को सरकार बनाने हेतु स्पष्ट जनादेश नहीं मिला था। सत्तारूढ़ कांग्रेस चुनाव हार गई थी। मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी भी चुनाव हार गई थी। वहां एक खंडित जनादेश मिला था, जिसके तहत तीन पार्टियों मे से दो आपस में गठबंधन कर ही सरकार बना सकते थे। हम दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि वहां जनादेश तीन मुख्य पार्टियों मे से दो को मिलकर सरकार चलाने का था।

2019 की प्रयोगशाला बना कैराना

परिणाम का इंतजार कीजिए
प्रभुनाथ शुक्ल - 2018-05-29 10:32 UTC
उत्तर प्रदेश राजनीतिक लिहाज से देश का सबसे अहम राज्य है। देश के सामने चुनावों और सत्ता से इतर और भी समस्याएं हैं, लेकिन वह बहस का मसला नहीं हैं। बहस का मुख्य बिन्दु सिर्फ 2019 की सत्ता है। सत्ता के इस जंग में पूरा देश विचारधाराओं के दो फाट में बंट गया है। एक तरफ दक्षिण विचाराधारा की पोषक भारतीय जनता पार्टी और दूसरी तरफ वामपंथ और नरम हिंदुत्व है। कल तक आपस में बिखरी विचारधाराएं आज दक्षिण से लेकर उत्तर और पूरब से लेकर पश्चिम तक एक खड़ी हैं। इस रणनीति के पीछे मुख्य भूमिका कांग्रेस की है।

वादाखिलाफी और नाकामी के चार साल

घोषणा पत्र की तो अब चर्चा भी नहीं की जाती है
अनिल जैन - 2018-05-28 11:22 UTC
भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जारी अपने घोषणा पत्र को अपना संकल्प पत्र बताते हुए वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह अपने इस संकल्प पत्र पर अमल के जरिए देश की तकदीर और तस्वीर बदल देगी। अब जबकि केंद्र में भाजपा की सरकार के चार साल पूरे हो चुके हैं तो लाजिमी है कि घोषणा पत्र के बरअक्स उसके कामकाज की समीक्षा हो। भाजपा के घोषणापत्र का सूत्र वाक्य था- ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ और रास्ता होगा- ‘सबका साथ-सबका विकास।’

कैराना लोकसभा आमचुनाव में विपक्षी एकता का माॅडल हो सकता है

पूर्ण विपक्षी एकता भाजपा को 150 सीटों तक सीमित कर सकती है
नित्य चक्रबर्ती - 2018-05-26 09:44 UTC
23 मई को कर्नाटक में जेडी (एस)-कांग्रेस गठबंधन सरकार के गठन के बाद गैर-बीजेपी दलों के ठोस मंच बनाने के लिए रास्ता खुल गया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी दृढ़ संकल्प वाले नेता हैं और वह संविधान के तहत अपने वर्तमान धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बदलकर 2022 तक भारत को हिन्दूराष्ट्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए वह और संघ परिवार वह सबकुछ कर रहे हैं जो आगामी आम चुनावों के माध्यम से केंद्र में सत्ता में वापस आने के लिए जरूरी है।

विधायकों के लाभ के पद का मामला

क्या आप के 20 विधायकों की सदस्यता फिर चली जाएगी?
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-05-25 09:57 UTC
एक बार फिर भारत का निर्वाचन आयोग दिल्ली के 20 विधायकों के खिलाफ लाभ के पद पर रहने के कारण पद से अयोग्य कर दिए जाने की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस मामले में आयोग पहले भी सुनवाई कर चुका था और उसने उन 20 विधायकों की सदस्यता खारिज करने की सिफारिश राष्ट्रपति से की थी और सिफारिश मानते हुए राष्ट्रपति ने उनकी सदस्यता समाप्त भी कर दी थी।