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संसद का शीतकालीन सत्र: नोटबंदी पर होगा घमसान

उपेन्द्र प्रसाद - 2016-11-15 16:39 UTC
16 दिसंबर से शुरू हो रहा संसद का शरदकालीन सत्र मोदी सरकार के लिए परीक्षा की घड़ी होगी। संसद से बाहर उसकी परीक्षा पहले से ही रही हे, जहां सरकार नोटबंदी से पैदा हुई समस्याओ को हल करने के लिए जूझ रही है और लोगों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है। नोटबंदी ने पाकिस्तान में भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चा को पीछे छोड़ दिया है और कश्मीर समस्या व पाकिस्तानी सीमा पर हो रही गोलीबारी, जिसके कारण भारत के सैनिक हताहत हो रहे हैं, की चर्चाओं को भी काफी पीछे छोड़ दिया है।

नव केरल मिशन: चार क्षेत्रों पर जोर

पी श्रीकुमारन - 2016-11-14 17:07 UTC
तिरुअनंतपुरमः केरल में एक बार फिर विकास के प्रयासों की शुरुआत की गई है। इसका उद्देश्य प्रदेश का सर्वांगीन विकास करना है।

ट्रंप की जीत का श्रेय हिलेरी को ही मिलना चाहिए

सांडर्स को गलत तरीके से पराजित करना डेमोक्रेट पर भारी पड़ा
उपेन्द्र प्रसाद - 2016-11-12 10:56 UTC
डोलाल्ड ट्रंप की अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हुई जीत से दुनिया भर और खुद अमेरिका के अनेक लोग हैरान हैं। वे लोग ट्रंप की जीत की उम्मीद नहीं कर रहे थे और उनकी जीत की आशंका से डर भी रहे थे, क्योंकि राष्ट्रपति उस उम्मीदवार की कुछ बातें लीक से हटकर थीं। ट्रंप अमेरिका में दूसरे देशों के मुसलमानों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने की बात कर रहे थे। इराक में शहीद हुए एक अमेरिकी मुस्लिम जवान के परिवार के साथ बहुत ही क्रूरता से पेश आए थे। महिलाओं के प्रति भी वे कुछ असम्मानजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को वे एक नाटक बता रहे थे। अमेरिकी युवकों की बेरोजगारी के लिए वे आउटसोर्सिंग को जिम्मेदार बता रहे थे और राष्ट्रपति बनने पर उसपर रोक लगाने की घोषणा कर रहे थे। वे मुक्त व्यापार को अमेरिकी हितों के खिलाफ बोल रहे थे। जापान को अमेरिका द्वारा दी जा रही सुरक्षा का भी वे मजाक उड़ा रहे थे और कह रहे थे कि यदि जापान पर कोई हमला होगा, तो अमेरिकी सेना उसे बचाने जाएगी और जब अमेरिका पर हमला होगा, तो जापान के लोग अपने घरों में बैठकर सोनी टीवी देखेंगे। चीन के बारे में भी वे कुछ ऐसी बातें कर रहे थे, जिससे लगता था कि उनके राष्ट्रपति बनने से उस देश के साथ भी संबंध खराब होंगे। पाकिस्तान को वे दुनिया का सबसे खतरनाक देश बता रहे थे। भारत के अनेक लोगों को डर लग रहा था कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद आउटसोर्सिंग पर नियंत्रण लगेगा और भारत में उसका खराब असर पड़ेगा। अमेरिका में आ रहे विदेशी लोगों के प्रति भी उनके विचार अच्छे नहीं थे।

अस्तित्व संकट से जूझ रही है समाजवादी पार्टी

मुलायम संगठन पर नियंत्रण खो रहे हैं
कल्याणी शंकर - 2016-11-11 10:42 UTC
अपने 25 साल के इतिहास में समाजवादी पार्टी ने अनेक उत्थान और पतन देखे हैं। लेकिन अपने 25 साल के जीवन के बाद वह अपने अस्तित्व के संकट से जूझती दिखाई दे रही है।

ट्रंप की भारत नीति अभी स्पष्ट नहीं

नई दिल्ली को अभी देखना और समझना होगा
कल्याणी शंकर - 2016-11-10 17:47 UTC
जो लोग अमेरिकी चुनाव में हिलेरी क्लिंटन की जीत की आस लगाए बैठे थे, उन्हें नतीजों से झटका लगा है। ऐसे लोग भारत में भी हैं। उन्हें लगता था कि भारत के लिए हिलेरी ही अच्छी रहेंगी। इसका कारण यह है कि भारत में लोग उन्हें पहले से ही जानते हैं। वे 8 साल तक अमेरिका में सीनेटर रही हैं और चार साल तक वहां की विदेश मंत्री भी रही हैं। उन्हें भारत की दोस्त समझा जाता था।

काले धन पर अब तक का सबसे बड़ा हमला

इसके अन्य ठिकानों पर भी हमला हो
उपेन्द्र प्रसाद - 2016-11-09 11:20 UTC
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहा करते थे कि जो लोग 30 सितंबर तक अपने काले धन की घोषणा नहीं करेंगे, बाद में उन्हें रोना पड़ेगा। पिछले 8 नवंबर को 8 बजे शाम उन्होंने राष्ट्र के नाम संदेश जारी करते हुए अपनी उस चेतावनी को सही साबित कर दिया। करीब 65 हजार करोड़ रुपये के काले धन की घोषणा सरकार की माफी स्कीम के तहत की गई थी और उससे सरकारी खजाने को करीब 30 हजार करोड रुपये का लाभ हुआ था। अब पहले से चल रहे 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य कर देने की सरकार की घोषणा के साथ साथ इन दोनों करेंसियों में काले धन रखने वालों के पास रोन के अलावा और कुछ रह नहीं गया है।

एक दम तोड़ता शहर है दिल्ली

हम जहरीली हवा में सांस लेने को विवश हैं
अनिल जैन - 2016-11-08 11:57 UTC
जानलेवा वायु प्रदूषण के चलते देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर चर्चा में है। आधिकारिक तौर पर बताया जा रहा है कि वायु प्रदूषण के मामले में सबसे कुख्यात चीन की राजधानी को भी पीछे छोड दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बन गई है। दिल्ली विधानसभा के पिछले चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आम आदमी पार्टी के नेता, मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जिस दिल्ली को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने के सब्जबाग लोगों को दिखाए थे उस दिल्ली की हकीकत यह है कि वह आज एक दम तोडता शहर है। दिल्ली में जल प्रदूषण की स्थिति तो पहले से ही भयावह है। यमुना नदी प्रदूषण का खतरनाक स्तर पार कर चुकी है और इस तथ्य की भी पुष्टि हो चुकी है कि लोगों को पीने के लिए जिस पानी की आपूर्ति दिल्ली जल बोर्ड द्बारा की जाती है वह बेहद प्रदूषित होता है और राजधानी के लगभग 60 फीसदी बाशिंदे प्रदूषित पानी पीते हैं। राजधानी की सडकों पर गंदगी का आलम भी जगजाहिर है और वायु प्रदूषण बढते जाने का अनुभव तो यहां के लोगों को रोज ही होता है।

प्रदूषण बम पर बैठी है दिल्ली

राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान की खुली पोल
उपेन्द्र प्रसाद - 2016-11-07 17:15 UTC
एक प्रचलित कहावत है, ’’ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती’’। दिल्ली के सामने प्रकट प्रदूषण की समस्या हो हल करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जो निर्णय लिए हैं, उन पर यह कहावत पूरी तरह से लागू होती है। अभी दिल्ली में शरद ऋतु ने सिर्फ दस्तक दी है। असली ठंढा आना बाकी है और दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा तांडव उस समय होता है, जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्यियस से नीचे और अधिकतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे होता है, लेकिन अब जब दिल्ली के लोगों ने पूरी तरह से पंखे चलाना भी बंद नहीं किया है कि प्रदषण का स्तर जनवरी वाले स्तर को छू लिया है। अब आप सहज अंदाज लगा सकते हैं कि जब अधिकतक तापमान भी 10 डिग्री से नीचे रहेगा और न्यूनतम जब 4 से भी नीचे हो जाएगा व इसके साथ साथ सूर्यदेव के आकाश में सप्ताह तक दर्शन भी नहीं हो पाएगा, तो दिल्ली और दिल्ली में रहने वालों की स्थिति क्या होगी।

डोनाल्ड ट्रंप मानवता के लिए खतरा

इसे लेकर भारत को कोई भ्रम नहीं पालना चाहिए
नित्य चक्रबर्ती - 2016-11-05 09:13 UTC
अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 8 नवंबर को मतदान होंगे। यह चुनाव अमेरिकी इतिहास का सबसे घिनौने चुनाव प्रचार का साक्षी रहा है। मतदाताओं में 10 लाख से भी ज्यादा लोग भारतीय मूल के हैं। चुनाव में मुख्य मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन और रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच है, हालांकि दो अन्य उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं।

भारत में वंशवाद की राजनीति

नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी की जगह लेना चाह रही है
कल्याणी शंकर - 2016-11-04 12:23 UTC
हमारे देश की राजनीति में वंशवाद का बोलबाला हो गया है। कांग्रेस तो वंशवाद के लिए विख्यात है ही, कुछ अपवादों को छोड़कर सभी क्षेत्रीय पार्टियों मे वंशवाद का ही बोलबाला है। लेकिन इस वंशवादी राजनीति में आज हम एक खास प्रवृति देख रहे हैं। वह प्रवृति यह है कि नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी की जगह लेना चाह रही है और पुरानी पीढ़ी अपनी जगह से हटने को या तो तैयार नहीं है या उसे लगता है कि नई पीढ़ी अभी उतनी सक्षम नहीं हुई है कि वह उसकी जगह ले सके।