मुहम्मद अली जिन्ना का मैं फैन नहीं हूं। न ही पाठक हूं जसवंत सिंह का हूं। मुझे यह भी ठीक-ठीक मालूम नहीं कि जिन्ना धर्मनिरपेक्ष थे या नहीं । जब जिन्ना की तारीफ में किताब लिखने के कारण जसवंत सिंह को भाजपा से निकाल दिया गया, तो मैंने सोचा कि अब तो जिन्ना के बारे में कुछ जान ही लेना चाहिए। मेरा मानना है कि कोई जना धार्मिक है, धर्मनिरपेक्ष है, आधुनिक है या प्रगतिशील है, यह जानने में उसके विचारों, उसकी राजनीति या उसके साहित्य से अधिक उसका निजी और पारिवारिक जीवन ज्यादा सहायक हो सकता है। इसलिए मुहम्मद अली जिन्ना की धर्मनिरपेक्षता की बाबत स्टेनली वोलपर्ट द्वारा लिखित, मुहम्मद अली जिन्ना की प्रामाणिक और प्रसिद्ध जीवनी (हिन्दी अनुवाद अभय कुमार दुबे, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, 2008) से पाकिस्तान के राष्ट्रपिता निजी जीवन की कुछ घटनाओं को मैं यहां प्रस्तुत करना चाहता हूं।