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मॉनसून सत्र में संसद में मोदी सरकार का अटूट झूठ

स्वास्थ्य मंत्री का ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी भी कोविड मौत से इनकार आश्चर्यजनक है
प्रकाश कारत - 2021-07-30 10:11
संसद के मानसून सत्र के पहले सप्ताह ने मोदी सरकार के चरित्र के बारे में बहुत कुछ बताया है। कुछ ही दिनों में सरकार दो असत्य के साथ ऑन रिकॉर्ड हो गई। पहला सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा भारत में पेगासस स्पाइवेयर के उपयोग के बारे में मीडिया रिपोर्टों का खंडन करना और स्पष्ट रूप से यह कहते हुए कि “कोई अनधिकृत निगरानी नहीं हुई है" का बयान था।

असम-मिजोरम सीमा संघर्ष का लंबा इतिहास

केंद्र को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए
बरुण दास गुप्ता - 2021-07-29 10:07
26 जुलाई को मिजोरम पुलिस के साथ सशस्त्र संघर्ष में असम के सात पुलिसकर्मियों की मौत निंदनीय है। असम का मेघालय, नागालैंड और मिजोरम के साथ लंबे समय से “सीमा विवाद“ है। इस बार, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के अनुसार, मिज़ो पुलिस के साथ झड़प तब हुई जब असम पुलिस ने असम की बराक घाटी के निकटवर्ती क्षेत्र के आरक्षित जंगलों में मिज़ो द्वारा भूमि के अतिक्रमण को रोकने की कोशिश की। सीएम ने कहा कि इसमें कोई ’राजनीति’ नहीं है। असम पुलिस के साथ संघर्ष इसलिए था क्योंकि मिज़ो ने अवैध रूप से और गुप्त रूप से असम के आरक्षित जंगलों में भूमि पर कब्जा कर लिया था और सड़कों का निर्माण किया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि असम ‘अपनी एक इंच जमीन“ पर मिजो लोगों का कब्जा नहीं होने देगा।

शक्तिशाली ब्राह्मण समुदाय को लुभा रही उत्तर प्रदेश की सभी पार्टियां

मिशन 2022 के परिणाम में प्रमुख हितधारक की बड़ी भूमिका है
प्रदीप कपूर - 2021-07-28 11:18
शक्तिशाली ब्राह्मण समुदाय, जिसे जनमत को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए माना जाता है, को सभी राजनीतिक दलों द्वारा मिशन 2022 के लिए यूपी में सत्ता पर कब्जा करने के लिए लुभाया जा रहा है।

इजरायली कंपनी पेगासस की जासूसी

भारत सरकार की चुप्पी सच को सामने आने से रोक नहीं सकती
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-07-27 16:02
इजरायली कंपनी पेगासस की सहायता से 300 भारतीयों की जासूसी करने के लिए टार्गेट किया गया था। उन भारतीयों में कांग्रेस नेता राहुल गांघी ही नहीं, बल्कि स्मृति ईरानी और प्रह्लाद पटेल जैस भारत सरकार के मंत्री भी शामिल हैं। पूर्व मुख्य न्यायाधीश तरुण गोगाई से संबंधित एक महिला और उसके परिवार के सदस्यों के फोन की भ्ज्ञी निगरानी की जा रही थी। राजस्थान की भाजपा नेता वसुंधरा राजे सिंधिया तक उस निगरानी की जद में थी। अनेक पत्रकार, जिनके पास सुरक्षा से संबंधित जानकारियां होती हैं, उनके फोन पर भी नजर रखी जा रही थी।

चुनाव आयोग की मनमानी

राज्यसभा की आठ सीटें खाली लेकिन उपचुनाव सिर्फ एक पर
अनिल जैन - 2021-07-26 09:30
पिछले छह-सात सालों के दौरान वैसे तो देश के हर प्रमुख संवैधानिक संस्थान ने सरकार के आगे ज्यादा या कम समर्पण करके अपनी साख और विश्वसनीयता पर बट्टा लगवाया है, लेकिन चुनाव आयोग की साख तो लगभग पूरी तरह ही चौपट हो गई है। हैरानी की बात यह है कि अपने कामकाज और फैसलों पर लगातार उठते सवालों के बावजूद चुनाव आयोग ऐसा कुछ करता नहीं दिखता, जिससे लगे कि वह अपनी मटियामेट हो चुकी साख को लेकर जरा भी चिंतित है। उसकी निष्पक्षता का पलडा हमेशा सरकार और सत्तारूढ दल के पक्ष में झुका देखते हुए अब तो आम लोग भी उसे चुनाव मंत्रालय और केंचुआ तक कहने लगे हैं।

1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण से कृषि को बड़ा लाभ मिला

मोदी सरकार के ताजा निजीकरण के कदम से अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा बुरा असर
प्रभात पटनायक - 2021-07-24 09:36
19 जुलाई 1969 को देश के 14 प्रमुख बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। आज 52 साल बाद फिर से राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण की बात हो रही है, जो स्वाभाविक रूप से सवाल उठाती हैः बैंकों का राष्ट्रीयकरण ही क्यों किया गया? इस प्रश्न का उत्तर आमतौर पर बैंक राष्ट्रीयकरण के विशिष्ट लाभों के संदर्भ में दिया जाता है; यह सही और उचित है, लेकिन बैंक के राष्ट्रीयकरण में अंतर्निहित समग्र परिप्रेक्ष्य को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि आज बैंकों के निजीकरण के मुद्दे पर इस परिप्रेक्ष्य के संदर्भ में चर्चा नहीं की जा रही है।

येदियुरप्पा एक बार फिर जाति का कार्ड खेलने की तैयारी में

भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व को उलटा पड़ सकता है लिंगायत नेता को नाराज करना
अनिल जैन - 2021-07-23 09:52
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा एक बार फिर अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को चुनौती देने की तैयारी में हैं। पार्टी नेतृत्व चाहता है कि वे अपनी उम्र के आधार पर मुख्यमंत्री पद छोड दे, लेकिन येदियुरप्पा ऐसा करने को तैयार नहीं दिखते। हालांकि जाहिरा तौर पर वे यही कह रहे हैं कि पार्टी नेतृत्व जो भी आदेश देगा उसका वे पालन करेंगे। लेकिन दूसरी ओर वे अपनी जाति का कार्ड खेलते हुए पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाने की तैयारी में भी जुटे हुए हैं।

देश की जनता जवाब मांगती है

पेट्रोल और डीजल पर लगे टैक्स से प्राप्त राजस्व कहां जाते हैं?
कृष्णा झा - 2021-07-23 09:46
कुछ विशेष तबकों को छोड़ आज सभी आर्थिक स्तरों पर जीवन बिताने वाली जनता, पेट्रोल और डीजल की कीमतों के बढ़ने से अकल्पनीय अभाव और आर्थिक कष्ट के दौर से गुजर रही है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार उपभोक्ताअ सूचकांकों के आधार पर मुद्रास्फीति दर में पचास प्रतिशत तक की वृद्धि बुनियादी तौर पर होती है प्रत्येक पेट्रोल डीजल की प्रत्येक ईकाई मूल्य वृद्धि के साथ। एसबीआई के ही सूत्रों से जीवन स्तर के घटने और बुनियादी जरूरतों में कटौती का मूल कारण हर बार ईंधन की कीमत में वृद्धि होती है। गैर बुनियादी जरूरतें तो नहीं ही पूरी की जाती हैं बुनियादी जरूरतों को भी पूरा करना मुश्किल हो जाता है। ईधन की दर में आसमान छूने वाली बढ़ोतरी ने जीना मुश्किल ही नहीं, असंभव भी बना दिया है। अनिवार्य रूप से आवश्यक व्यय, जिसमें बुनियादी जरूरतें भी आती हैं, में भी अब यह कटौती बढ़ती जा रही है, क्योंकि ईंधन की कीमतों में जून तक 75 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो चुकी थी, जबकि यह मार्च, 2021 में 62 प्रतिशत तक थी। आज लोगों के लिये अपने प्रियजनों समेत जिंदगी जीना असंभव ही होता जा रहा है, घर का बजट किसी भी कटौती से पूरा नहीं पड़ता, ऊपर से आज कोविड-19 की मृत्यु छाया में मेडिकल का खर्च भी जुड़ गया है। पूरा देश पैनडेमिक की चोट से मृतप्राय हो चुका है। भीषण अभाव और गमों की आग में जलती जनता चरम बर्बादी की कगार पर खड़ी है।

भेदभावपूर्ण गिरफ्तारी परिवारों को गंभीर स्वास्थ्य समस्या की ओर ले जाती है

भारतीय न्यायपालिका को डॉक्टरों के अधिकारों को सुनिश्चित करना चाहिए
डॉ. अरुण मित्रा - 2021-07-22 10:18
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने बहुत ही वैध रूप से आईपीसी की धारा 124 (ए) के दुरुपयोग की ओर इशारा किया है जो देशद्रोह के अपराध से संबंधित है। एनएसए, यूएपीए और राजद्रोह अधिनियम जैसे कानून औपनिवेशिक युग के प्रतिबिंब हैं। उन्होंने इसे कानूनी दृष्टिकोण से बताया क्योंकि ये कानून मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हैं। ऐसा कोई भी कानून जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और घटनाओं और सरकार के आलोचनात्मक विश्लेषण करने के अधिकार को कम करता है, हमारे संविधान में निहित बुनियादी मानवाधिकारों को नकारता है। इन कानूनों के दुरूपयोग और लोगों को झूठा फंसाने के कई आरोप लगते रहे हैं। इन आरोपों की पुष्टि उन रिपोर्टों से होती है कि 2014 से 2019 के दौरान दर्ज किए गए 326 राजद्रोह के मामलों में से केवल 6 को दोषी ठहराया गया है।

जिलों में बढ़ती गुटबाजी से बंगाल भाजपा गहरे संकट में

बहुत जल्द कुछ भगवा विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं
बरुण दास गुप्ता - 2021-07-20 10:20
बंगाल में विधानसभा चुनाव में भाजपा की विनाशकारी हार ने न केवल सभी स्तरों पर पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराया है, बल्कि संगठन में गुटबाजी भी तेज कर दी है। जिस पार्टी ने दो सौ से अधिक सीटें जीतने और पश्चिम बंगाल पर शासन करने का सपना देखा था, वह अब इस तथ्य पर गर्व कर रही है कि उसकी ताकत तीन विधायकों से बढ़कर 77 हो गई है और अब वह राज्य विधानसभा में एकमात्र विपक्षी दल बन गई है। यह सार्वजनिक दिखावे के लिए है। लेकिन पार्टी के भीतर निराशा, गुस्सा और ईर्ष्या का बोलबाला है।