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जनसंख्या नियंत्रण के बेसुरे राग की हकीकत

यह अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार की नाकामी से ध्यान हटाने का उपक्रम है
अनिल जैन - 2021-07-15 11:16
किसी देश की बड़ी आबादी बेशक उसके लिए ताकत या वरदान मानी जाती है, लेकिन उस आबादी का अगर सदुपयोग न हो तो वह अभिशाप साबित होती है। इस समय तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। क्योंकि जिस गति से जनसंख्या बढ रही है, उसके लिए जीवन की बुनियादी सुविधाएं और संसाधन जुटाना तथा उसके लिए रोजगार के अवसर पैदा करना सरकारों के लिए चुनौती साबित हो रहा है। भारत के संदर्भ में तो अलग-अलग माध्यमों से अक्सर इस आशय की रिपोर्ट आती रहती है, जिनमें यह बताया जाता है कि आबादी के मामले में भारत जल्द ही चीन को पीछे छोड कर दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। यह बात कुछ हद सही भी है, क्योंकि चीन की जनसंख्या भारत के मुकाबले काफी धीमी गति से बढ़ रही है, बावजूद इसके कि वहां 2016 में ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ को बदलते हुए ‘टू चाइल्ड पॉलिसी’ कर दिया गया और इसी साल वहां इसे ‘थ्री चाइल्ड’ पॉलिसी कर दिया गया है।

कांवड़ यात्रा पर पूर्ण प्रतिबंध ही उचित होगा

कुंभ वाली गलती दुहराना देश पर भारी पड़ेगा
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-07-14 09:57
कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने एक दूसरे से विपरीत निर्णय लिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तो इस मसले पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी कर दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी उसी तरह बनी हुई है, जैसे वे अधिकांश महत्वपूर्ण मसलों पर वे चुप्पी बना लेते हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं और दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा के विपरीत निर्णय ले ही नहीं सकते। वैसी हालत में दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के अलग अलग निर्णय आश्चर्यचकित करने वाले हैं।

म्यांमार की स्थिति पर भारत की नीतिगत सुस्ती से बढ़ रही समस्याएं

सीमावर्ती पूर्वोत्तर राज्यों को नहीं पता कि शरणार्थियों से कैसे निपटा जाए
आशीष विश्वास - 2021-07-13 09:53
म्यांमार में हो रहे संघर्ष के संदर्भ में भारत सरकार द्वारा किए गए कुछ हालिया नीतिगत निर्णयों की कीमत चुकानी पड़ी है। राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति पागल जुनून और विदेशों में चयनित भारतीय कॉर्पोरेट चिंताओं के वाणिज्यिक हितों के विस्तार के साथ एक शासन के रूप में सत्तारूढ़ एनडीए की नकारात्मक धारणाओं को पूर्वोत्तर में मजबूत किया गया है। पिछले कुछ हफ्तों के दौरान, स्थानीय मीडिया के अनुसार, पूर्वोत्तर और म्यांमार में उदारवादी राय के प्रमुख वर्गों के बीच भारत विरोधी आलोचना ने एक नई बढ़त हासिल कर ली है।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए विपक्षी दल कमर कस रहे हैं

समाजवादी पार्टी के बाद तीसरे नंबर की पार्टी बसपा संकट में
प्रदीप कपूर - 2021-07-12 09:45
लखनऊः जिला पंचायतों के परिणामों के बावजूद, जहां भाजपा ने सबसे अधिक सीटें जीती हैं, विपक्षी दल मिशन 2022 विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस रहे हैं। समाजवादी पार्टी प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते पार्टी नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं को तहसील स्तर से राज्य क्वार्टर तक धरना देने के लिए 15 जुलाई को राज्यव्यापी विरोध का आह्वान किया है।

चिराग की बचकाना हरकत

गंवा सकते हैं अपनी संसद सदस्यता भी
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-07-10 11:23
चिराग पासवान की समस्या का अंत नहीं हो रहा है और वे खुद अपनी समस्याओं को अपनी बचकानी हरकतों से बढ़ाते जा रहे हैं। देश की राजनीति कैसे चलती है, प्रधानमंत्री के क्या अधिकार हैं और संसद के स्पीकर किस आधार पर करते हैं, इन सबकी जानकारी का अभाव होने के कारण वे अपनी किरकिरी खुद करवा रहे हैं। प्रधानमंत्री द्वारा अपने कैबिनेट के विस्तार के पहले जब पटना के राजनैतिक हलकों में चर्चा तेज थी कि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस भी मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं, तो उन्होंने प्रधानमंत्री को ही धमकी देनी शुरू कर दी कि यदि उनके चाचा को मंत्री बनाया गया, तो प्रधानमंत्री के खिलाफ कोर्ट में जाएंगे। हालांकि अपने कुछ सलाहकारों के कहने पर अपनी धमकी में उन्होंने थोड़ा सा सुधार कर दिया और कहा कि यदि लोकजनशक्ति पार्टी के सांसद के रूप में पारस का मंत्री के रूप में शपथग्रहण होता है, तब वे कोर्ट में जाएंगे।

रफैल सौदे में फ्रांसीसी न्यायिक जांच भारत में इसी तरह की जांच को सही ठहराती है

हस्ताक्षरकर्ता होने के नाते अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते नरेंद्र मोदी
प्रकाश कारत - 2021-07-09 08:59
’भ्रष्टाचार’, ’प्रभाव-पेडलिंग’, ’मनी लॉन्ड्रिंग’, ’पक्षपात और अनुचित कर छूट’ में 7.87 बिलियन डॉलर के राफेल-इंडिया सौदे में 14 जून, 2021 को फ्रांस में एक न्यायिक जांच का फैसले ने उस उस युद्धक विमान की खरीद से संबंधि तमामले को एक नया मोड़ दिया है। उस बड़े घोटाले को दबाने की नरेंद्र मोदी सरकार ने पूरी कोशिश की है। सौदे में न्यायिक जांच का निर्णय भ्रष्टाचार विरोधी फ्रांसीसी गैर सरकारी संगठन शेरपा की शिकायत पर आधारित था। यह निर्णय स्वतंत्र फ्रांसीसी ऑनलाइन खोजी पत्रिका मेडियापार्ट द्वारा प्रकाशित खोजी लेखों (“राफेल पेपर्स“ शीर्षक से) की एक श्रृंखला से प्रभावित था।

मोदी मंत्रिपरिषद में फेरबदल और विस्तार

क्या यह उत्तर प्रदेश चुनाव की जीत के लिए पर्याप्त है?
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-07-08 09:46
मोदी मंत्रिपरिषद से 12 मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और 34 नये मंत्रियों को शामिल कर लिया गया है। 2019 की चुनावी जीत के बाद मंत्रिपरिषद के किया गया यह पहला फेरबदल और विस्तार है। यह विस्तार बंगाल चुनाव की हार के बाद उत्तर प्रदेश चुनाव में हार की आशंका के बीच किया गया है। जाहिर है, इसका सबसे प्रमुख राजनैतिक उद्देश्य उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत सुनिश्चित करना ही है। कुछ लोगों को बाहर करने के पीछे मोदी की अपनी छवि चमकाने का उद्देश्य भी है और छवि भी अंततः चुनाव जीतने के ही काम आती है। इसलिए रविशंकर प्रसाद, सदानंद गौड़ा, हर्षवर्धन और जावड़ेकर जैसे मंत्रियों को भी हटा दिया गया है।

प्रधानमंत्री ने अपने 1 जुलाई के संबोधन में चिकित्सा पेशेवरों से असत्य कहा

टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता के बारे में शेखी बघारना गलत है
डॉ. अरुण मित्रा - 2021-07-07 10:18
चिकित्सा एक पेशा नहीं एक जुनून है। रोग की रोकथाम और रोगियों का उपचार करने से डॉक्टर को अपार खुशी मिलती है। कारण के लिए समर्पित व्यक्ति प्रशंसा की आवश्यकता से परे होता है। हालांकि सरकार के मुखिया के मुंह से चिकित्सा पेशेवर के काम की मान्यता अलग बात है। प्रधानमंत्री ने 1 जुलाई को डॉक्टरों की प्रशंसा करने के लिए शब्दों का उपयोग करने की कला का बहुत अच्छी तरह से उपयोग किया, जो एक चिकित्सक, शिक्षाविद्, परोपकारी, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता, जिन्होंने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, की स्मृति को समर्पित किया।

अफगान सरकार तालिबान पर नियंत्रण खो रही है

भारतीय भी अपने हितों को सुरक्षित रखने के तरीकों पर विचार कर रहा है
शंकर रे - 2021-07-06 09:46
कई राजनयिक जो अब अफगानिस्तान और उसके आसपास के रणनीतिक बदलाव पर नजर रखते हैं, सीआईए के इस पूर्वानुमान से बहुत चिंतित हैं कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद छह महीने के भीतर अफगान सरकार पूरी तरह से गिर जाएगी। लक्षण दिखाई भी पड़ रहे हैं। शुक्रवार के बाद 48 घंटे से भी कम समय में उत्तर-पूर्वी बदख्शां प्रांत में 14 जिले तालिबान के कब्जे में आ गए। वैसे जिलों की सूची बढ़ रही है। तालिबान का नियंत्रण अब तक देश के सभी 421 जिलों और जिला केंद्रों में से लगभग एक तिहाई तक फैला हुआ है। जब तालिबान बलों ने अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है, तो हजारों से अधिक अफगान सैनिकों का ताजिकिस्तान भाग जाना, सीआईए के दृष्टिकोण को कुछ विश्वसनीयता देता है।

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री परिवर्तन

रावत हो या धामी, चुनाव तो मोदी के चेहरे पर ही होना है
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-07-05 09:34
उत्तराखंड को लेकर भाजपा नेतृत्व बेचैन है। वह बेचैन तो उत्तर प्रदेश को लेकर भी था और इसलिए वहां मुख्यमंत्री योगी को हटाना चाहता था, लेकिन योगी हटने को तैयार ही नहीं हुए। उन्हें जबर्दस्ती हटाया जा सकता था, लेकिन उनके साथ जोर जबर्दस्ती करने के खतरे थे, क्योकि योगी स्वतंत्र दिमाग के आदमी हैं। वह एक अलग पार्टी बना लेते और प्रदेश की सभी सीटों से उम्मीदवार खड़ा कर देते। इससे अंततः भाजपा का ही नुकसान हो जाता। इसलिए उनको हटाया नहीं जा सका।