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2022 के चुनाव में भाजपा को टक्कर देना आसान नहीं

विपक्षी पार्टिंयां जमीन पर काम करने में विफल
प्रदीप कपूर - 2020-08-26 10:25 UTC
लखनऊः सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान ने कहा कि महामारी के दौरान मुख्य विपक्षी दल जमीन पर दिखाई नहीं दे रहे हैं और न ही 2022 में विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा को चुनौती देने के लिए सक्रिय हैं। विपक्ष की गतिविधि केवल तीन दिवसीय विधानसभा सत्र के दौरान दिखाई दे रही थी।

सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का सवाल

लोकनायक बन गए हैं प्रशांत भूषण
के रवीन्द्रन - 2020-08-25 09:50 UTC
अगर इसे द्वंद्व के रूप में देखा जाता है, तो कार्यकर्ता वकील प्रशांत भूषण ने जीत हासिल की है। यहां तक कि अदालत में अवमानना के केस में भी उन्होंने जो किया, बिल्कुल सही किया। फिलहाल वे वहां दोषी ठहराए जाने के बाद सजा का इंतजार कर रहे हैं।

कोरोना काल में बिहार चुनाव

आखिर हमारे राजनेता चाहते क्या हैं?
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-08-24 09:37 UTC
बिहार में चुनाव होने या न होने की अनिश्चितता के बीच भारत के निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव के लिए नियमावली भी प्रकाशित कर दी है और मीडिया में आई खबर को यदि सही मानें, तो सितंबर के तीसरे सप्ताह में चुनाव की तिथियां भी घोषित कर दी जाएगी। यानी निर्वाचन आयोग की तरफ से चुनाव की पूरी तैयारी की जा रही है और बिहार सरकार भी वहां चुनाव चाहती है। चुनाव अपने तय समय पर होना अच्छी बात है। नवंबर महीने में वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो जाएगा और उसके पहले नई विधानसभा का चुनाव हो जाना संवैधानिक जिम्मेदारी है।

मोदी को पता नहीं कि अर्थव्यवस्था को कैसे सुधारें

हर मोर्चे पर विफल होने के बावजूद अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं
बिनॉय विस्वम - 2020-08-22 10:20 UTC
प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया स्वतंत्रता दिवस का संबोधन मोदी शैली का विशिष्ट नमूना था। यह लंबा, बेतुकी बयानबाजी और कई बार नाटकीय था। 86 मिनट का लंबा भाषण स्वाभाविक रूप से भाषणकर्ता द्वारा विभिन्न प्रकार के स्वाद को समायोजित कर सकता है। लंबे दावे उपलब्धियों के रंगीन वर्णन के साथ-साथ, गंभीर थे। प्रधानमंत्री दर्शकों के विशाल आकार के बारे में जागरूक थे। भाषण का स्वर इस तरह से सेट किया गया था, जो एक सरकार की विशाल विफलताओं को कवर करने के लिए किया जाता है। न्यूनतम सरकार के साथ शुरुआत में भाजपा का वादा अधिकतम शासन था। पिछले छह वर्षों के दौरान देश जो देख सकता था, वह सिर्फ विपरीत था, न्यूनतम शासन और अधिकतम सरकार!

प्रशांत भूषण को माफी नहीं मांगनी चाहिए

सर्वोपरि है लोकतंत्र
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-08-21 10:43 UTC
प्रशांत भूषण के खिलाफ चल रहे अदालती अवमानने की कार्रवाई ने अब दिलचस्प मोड़ ले लिया है। उन्हें इस मामले में दोषी तो पहले ही करार दिया गया है और सजा 20 अगस्त को सुनाई जानी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सजा के कुछ समय के लिए टाल दिया है। उम्मीद की जा रही थी 20 अगस्त को सजा का एलान हो जाएगा और दिलचस्पी इस बात को लेकर थी कि उन्हें कितने दिनों के लिए सजा होगी। लेकिन सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार ने अदालत से यह कहकर सबको अचंभित कर दिया कि भूषण को सजा नहीं दी जाय। प्रशांत भूषण अपने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान से सरकारी प्रतिष्ठान को भी सांसत में डालते रहते हैं। मोदी सरकार के खिलाफ भी उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान छेड़ रखा है। इसलिए यह आश्चर्यजनक था कि मोदी सरकार ने भी उन्हें सजा न देने की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट से की।

कोरोना कहर से सबक

हमें स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना होगा
सुनीता नारायण - 2020-08-20 14:15 UTC
संयुक्त राज्य में मौतों की वजह से कोरोनोवायरस बीमारी (कोविड-19) वैसी छोटी महामारी नहीं है, जैसा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा। यह उन्होंने उस समय कहा, जिस दिन उनका देश वायरस के कारण 160,000 मौतें पार कर गया था। उन्होंने कुछ दिन पहले यह भी कहा था कि अमेरिका अधिकांश देशों की तुलना में बेहतर कर रहा है।

प्रशांत भूषण का मामला

लोकतंत्र कमजोर हुआ है
अजय कुमार - 2020-08-19 09:49 UTC
मैं आमतौर पर खुद को प्रशांत भूषण के विचारों के अनुरूप नहीं पाता हूं। मैंने हमेशा पीआईएल के विचार को नापसंद किया। एक रूढ़िवादी के रूप में, मैंने हमेशा एक ऐक्टिविस्ट अदालत के विचार को चिंताजनक कहा है।

नेहरू-पटेल ने आजादी की जल्दी क्यों दिखाई

आजादी में विलंब अराजकता पैदा करता
एल एस हरदेनिया - 2020-08-18 16:25 UTC
मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष ने कहा है कि भारत का विभाजन इसलिए हुआ क्योंकि नेहरूजी समेत कांग्रेस नेता सत्ता का भोग करने को उतावले थे। उनका यह कथन पूरी तरह से बेबुनियाद तो है ही, साथ ही इस बात का प्रतीक है कि संबंधित नेता उस समय के घटनाक्रम से पूरी तरह अवगत नहीं हैं।

ऐप्स पर भारत को दोहरा मानदंड नहीं अपनाना चाहिए

डिजिटल स्पेस की रक्षा के लिए पारदर्शिता बरतनी होगी
प्रबीर पुरकायस्थ - 2020-08-17 10:41 UTC
भारत की डेटा संप्रभुता की रक्षा करने के लिए चीनी ऐप्स पर भारत का प्रतिबंध उस समय संदेहास्पद हो जाता है, जब हमें अमेरिकी कंपनियों के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं दिखती है, जबकि वे कंपनियां भारतीय नागरिकों के डेटा को देश से बाहर ले जा सकती हैं।

भगवा आक्रमण से भारत की आजादी को बचाने का समय

हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत को मिटाया जा रहा है
डी राजा - 2020-08-14 09:55 UTC
हमारे देश ने औपनिवेशिक अधीनता की जंजीरों से खुद को दूर किया और 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की राह पर कदम बढ़ाया। यह गौरवशाली स्वतंत्रता संग्राम की परिणति थी जिसमें हमारे हजारों देशवासियों ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया और यह एक नई शुरुआत थी हमारे सपनों की पूर्ति के लिए। प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 की आधी रात को संसद के सेंट्रल हॉल में इस भावना को व्यक्त किया था जब उन्होंने कहा था “आज हम जो उपलब्धि मनाते हैं वह एक कदम है, अवसर की शुरुआत है, जो अधिक से अधिक विजय और उपलब्धियों का इंतजार करता है।’’