कैब का पारित होन लोकतंत्र के विरुद्ध
भारतीय ईथ़्ाॅास् और हेरिटेज स्टॉक में हैं
2019-12-13 10:45
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क्या हम अपनी विरासत को नकार सकते हैं? क्या हम रहीम खानखाना, और गालिब, और फिर हसरत मोहानी, फैज अहमद फैज, सज्जाद जहीर, मौलाना अबुल कलाम आजाद और इतने सारे लोगों के योगदान को नकार सकते हैं, जिन्होंने भारत में अपना योगदान दिया है? हमारी बहुलता हमारी एकता की जड़ है। यही हमारी ताकत है।