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भारत

द्वितीय चरण का जेल सुधार खटाई में!

एम वाई सिद्दीकी - 2015-09-26 16:23
गृह मंत्रालय ने द्वितीय चरण के जेल सुधार कार्यक्रम को यह कहकर धन देने इंकार कर दिया है कि चैदहवें वित आयोग ने पहले ही राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को कुल बजट आवंटन में 10 फीसदी की बढ़ोतरी करके 32 से 42 फीसदी कर दिया है ऐसे में राज्य सरकारों को अपने बजट से द्वितीय चरण के जले सुधार कार्यक्रम को पूरा करने होंगे जो 13,962 करोड़ रूपये का है। गृह मंत्रालय का कहना है कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह केंद्र द्वारा आवंटन बढ़ाए जाने के बाद जेल सुधार मद में उसी में से राशि खर्च करें। 14वें वित आयोग ने गृह मंत्रालय के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है जिसमें मंत्रालय ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को जेल सुधार के लिए अतिरिक्त धन देने की मांग की थी। ज्ञात हो कि जेल सुधार के द्वितीय चरण के तहत जेलों को अत्याधुनिक बनाने की योजना थी जो अब खटाई में पड़ जाएगी।

राहुल के बार-बार छुट्टी पर जाने से कांग्रेस को हो रहा है नुकसान

बिहार, बंगाल और असम पर ध्यान दिए जाने की जरूरत
कल्याणी शंकर - 2015-09-26 16:20
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर छुट्टी मनाने विदेश चले गए हैं। छुट्टी पर जाने के पहले उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक सफल रैली को संबोधित किया था। भूमि विधेयक केन्द्र सरकार द्वारा वापस लिए जाने की घोषणा के बाद वह रैली हुई थी। वह दरअसल राहुल गांधी की विजय रैली थी, क्योंकि उनके विरोध के कारण ही सरकार को झुकना पड़ा था।

समस्या पैदा कर रहा है नेपाल का नया संविधान

इसमें संशोधन किए जाने की जरूरत है
बरुण दास गुप्ता - 2015-09-24 12:50
संविधान बनाना नेपाल के लिए बहुत ही मुश्किल काम साबित हुआ। 2008 में वहां राजतंत्र समाप्त हो गया था और एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का संविधान बनाने का प्रयास जारी था। संविधान के अनेक मसौदे तैयार किए गए, लेकिन उन पर सहमति बन पाना आसान नहीं था। जाहिर है, समय बीतता जा रहा था और सहमति बन नहीं पा रही थी। अंत में वहां के प्रमुख दल एक मसौदे पर सहमत हुए और उस सहमति के आधार पर नेपाल को एक नया संविधान मिल ही गया।

आरक्षण की समीक्षा से कौन डरता है?

संघ प्रमुख के विचार का स्वागत होना चाहिए
उपेन्द्र प्रसाद - 2015-09-23 13:00
बिहार विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है और वहां चुनाव लड़ रही पार्टियां जातीय समीकरण बनाने और अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए तरह तरह की जुगत लड़ा रही हैं। इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने एक ऐसी टिप्पणी कर दी है, जिसे बिहार विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाया जा रहा है। श्री भागवत की वह टिप्पणी संघ के मुखपत्र पांचजन्य में प्रकाशित हुई है और उसमें आरक्षण की समीक्षा करने का सुझाव दिया गया है। साथ ही श्री भागवत ने यह भी सवाल उठाया है कि एक समिति का गठन किया जाय, जो यह निर्णय करे कि आरक्षण किसे और कबतक मिले।
भारत

गोलवलकर के दर्शन पर काम रही है भाजपा

भगवा ब्रिगेड में चल रहा है मंथन
अमूल्य गांगुली - 2015-09-22 10:37
भगवा परिवार में एक के बाद एक नये नये योद्धा सामने आते रहते हैं। लोगों को अपने दर्शन से अवगत कराते रहने के लिए वह किसी एक व्यक्ति पर निर्भर नहीं रहता।

बिहार में हो रहा है बहुकोणीय मुकाबला

विधानसभा कहीं त्र्रिशंकु न हो जाय!
उपेन्द्र प्रसाद - 2015-09-21 11:43
बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधनों और मोर्चो की स्थिति अब स्पष्ट हो चुकी है और यह भी स्पष्ट हो गया है कि वहां भाजपा के नेतृत्व वाले राजग और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच सभी सीटों पर सीधा मुकाबला नहीं होने जा रहा है। यह सच है कि अधिकांश सीटों पर मुख्य टक्कर इन्हीं दोनों गठबंधनों के उम्मीदवारों के बीच ही होंगे, लेकिन वैसी सीटों की संख्या भी कम नहीं है, जहां त्रिकोणीय अथवा चतुष्कोणीय मुकाबले भी हो सकते हैं। जब मुकाबला सीधा हो, तो एक पक्ष की हार दूसरे पक्ष को बहुमत आसानी से दिला देता है, लेकिन यदि मुकाबला बहुकोणीय हो, तो विधानसभा के त्रिशंकु हो जाने की संभावना भी बन जाती है। आज गठबंधनों की जो स्थिति है, उसे देखते हुए इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

स्वच्छ भारत के कई चेहरे

अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है
सुगतो हाजरा - 2015-09-19 15:39
शुक्रवार की सुबह को मैंने यमुना के आईटीओ पुल पर एक दंपति को देखा। वे दोनों आॅफिस जा रहे थे, लेकिन नदी के ऊपर बने पुल पर रुके। महिला ने फूल से भरे एक थैले को पानी में फेंका। उसमें पूजा की बची हुई अन्य सामग्रियां भी रही होंगेी। फेंकते समय वे दोनों नदी के सामने श्रद्धा से अपना सिर भी झुका रहे थे। मेरी कोशिश श्रद्धा में झुकी उनकी तस्वीर खींचने की थी, लेकिन वह कोशिश विफल हो गई, क्योंकि गलती से मैंने अपनी ही तस्वीर ले ली थी।

भारत और श्रीलंका के संबंध सुधार की ओर

मोदी और रानिल ने तमिल मसेल पर बात की
कल्याणी शंकर - 2015-09-18 16:32
श्रीलंका के प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे भारत के लिए कोई अजनबी नहीं हैं। पिछले दिनों उनकी भारत की यात्रा हुई। वे तीन दिन यहां रुके। इस बीच उनकी भारत से जो बातचीत हुई है, उससे दोनों देशों के संबंधों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। उनकी यात्रा के पहले न तो भारत की श्रीलंका से और न ही श्रीलंका की भारत से कोई विशेष उम्मीदें थीं, इसलिए बातचीत बहुत ही सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई।

नेपाल का संविधान बनकर तैयार

अमल में आ सकती है कुछ बाधाएं
शंकर रे - 2015-09-17 17:42
नेपाल का नया संविधान बनकर लगभग तैयार हो गया है। इसमें 157 धाराएं हैं और इसमें सात प्रांतीय राज्यों को मान्यता दी गई है, नेपाल जिनका संघ होगा। इस तरह नेपाल को एक संघीय व्यवस्था बनाने पर संविधानसभा में सहमति हो गई है। यदि सबकुछ ठीकठाक रहा, तो इसी 20 सितंबर को यह संविधान नेपाल में लागू हो जाएगा। इसके साथ ही सामंतवाद के खिलाफ चल रहा संघर्ष एक नये मुकाम को प्राप्त कर लेगा। इसके पहले राजशाही के तहत नेपाल को एक हिन्दू राष्ट्र घोषित था। पर नये संविधान के अनुसार नेपाल एक धर्मनिरपेक्ष देश होगा। यहां की व्यवस्था संघीय होगी। इसमें नागरिकता का प्रावधान है। पुराने राजशाही के संविधान में यहां प्रजा हुआ करती थी। नागरिकों के पास कुछ मौलिक अधिकार होंगे और राज्यों के लिए कुछ नीति निर्देशक सिद्धांत भी होंगे। संयोग देखिए कि नेपाल में सविधान उस दिन लागू किया जा रहा है, जिस दिन 20 सितंबर को यूनान में चुनाव हो रहा है। यूनान के उस चुनाव के नतीजों का यूरोजोन के भविष्य पर जबर्दस्त प्रभाव पड़ने वाला है।

ओवैसी का बिहार चुनाव पर कोई असर नहीं

तारिक बिगाड़ सकते हैं नीतीश का खेल
उपेन्द्र प्रसाद - 2015-09-17 17:40
हैदराबाद से राजनीति करते करते एमआइएम के नेता ओवैसी बिहार पहुंच गए हैं और वहां के मुस्लिम बहुत सीमांचल से उम्मीदवार खड़ा करने की घोषणा भी कर चुके हैं। उनके बिहार में अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारने की घोषणा से राजनैतिक दल उतने उत्तेजित नहीं हैं, जितने उत्तेजित टीवी मीडिया के पत्रकार और समीक्षक लग रहे हैं। राजनैतिक दल जमीनी हकीकत को बेहतर तरीके से समझते हैं और उन्हें पता है कि हैदराबाद से बिहार आकर मुस्लिम साम्प्रदायिकता की राजनीति करने वाला कोई व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। बिहार चुनाव के पहले आवैसी दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी उतरने का दंभ भर रहे थे। दिल्ली में वे सभाएं भी कर रहे थे। उन सभाओं में उनके लच्छेदार भाषणों को सुनने के लिए भारी संख्या में उनके समुदाय के लोग आ भी रहे थे। भाषणों को सुनकर वे मुग्ध भी हो रहे थे और तालियां भी बजा रहे थे, लेकिन जब चुनाव लड़ने और उसके लिए उम्मीदवार चुनने की बारी आई, तो ओवैसी को निराशा ही हाथ लगी। उन्हें लग गया कि दिल्ली में चुनाव लड़ने का कोई तुक नहीं है, क्योंकि जिस समुदाय की भावनाओं को भड़काकर वे अपनी चुनावी रोटियां सेंकन चाह रहे थे, वह समुदाय भाजपा को हराने के लिए आम आदमी पार्टी के पीछे लामबंद हो रहा था। ओवैसी तब दिल्ली के विधानसभा चुनाव के मैदान में प्रवेश करने के पहले ही भाग खड़े हुए थे।