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केजरीवाल सरकार का इस्तीफा और उसके बाद

क्या मोदी को टक्कर दे पाएंगे अरविंद?
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-02-17 12:22
इसमें दो मत नहीं कि यदि अरविंद केजरीवाल चाहते तो वह कुछ और समय तक दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद पर रह सकते थे। लोकसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद भी वे बदली हुई राजनैतिक परिस्थितियों में सरकार में बने रहने की उम्मीद कर सकते थे, लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से बेहतर इस्तीफा देकर अपने आपको दिल्ली सरकार के काम से मुक्त कर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगा देने को ही उचित समझा।

पूर्वी भारत में भाजपा की स्थिति ठीक नहीं

बंगाल और असम को अनुकल करना उसके लिए मुश्किल
शंकर रे - 2014-02-15 10:40
आगामी लोक सभा चुनाव में कोई चमत्कार ही पश्चिम बंगाल और असम में भारतीय जनता पार्टी के बेहतर प्रदर्शन को सुनिश्चित कर सकता है। पश्चिम बंगाल में पिछले लोकसभा चुनाव में इसके एक उम्मीदवार की जीत हुई थी। दार्जिलिंग से जसवंत सिंह इसके उम्मीदवार थे और गोरखा जन्मुक्ति मोर्चा ने उनका समर्थन किया था। उनकी जीत भाजपा के कारण नहीं, बल्कि गोरखा जन्मुक्ति मोर्चा के समर्थन के कारण ही संभव हुआ था। इस बार मोर्चा उनका शायद ही समर्थन करे। इसलिए संभावना है कि भाजपा अपना एकमात्र सीट भी पश्चिम बंगाल से गंवा दे।

कांग्रेस आलाकमान की बढ़ रही है परेशानियां

केजरीवाल और किरण रेड्डी बढ़ा रहे हैं उसका सिरदर्द
कल्याणी शंकर - 2014-02-14 11:35
लोकसभा चुनाव सिर पर आ गए हैं और दिल्ली व आंध्र प्रदेश राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री अपने पद छोड़ने के मूड में हैं। दोनों का व्यक्तित्च अलग अलग है और इसलिए दोनों को एक साथ रखकर देखना उचित नहीं होगा। दोनो की बीच तुलना करने का मतलब होगा संतरे की तुलना सेब से करना। दोनो की परिस्थितियां भी अलग हैं, लेकिन दोनों मे एक बात साझा है और वह यह है कि दोनों के दोनों अपने आपको शहीद दिखलाना चाहते हैं। केजरीवाल धमकी दे रहे हैं कि यदि उनका लोकपाल विधेयक पारित नहीं हुआ तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे, जबकि किरण रेड्डी कह रहे हैं कि यदि तेलंगाना विधेयक पारित हुआ तो वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे।

भ्रष्टाचार पर केजरीवाल का हमला

क्या लोकसभा में लाभ उठा पाएगी आम आदमी पार्टी
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-02-13 10:55
कृष्णा बेसिन गैस भंडार के की कीमत के निर्धारण को लेकर केजरीवाल ने एक ऐसा निर्णय किया है, जिसकी कोई अन्य मिसाल हमारे देश में पहले से मौजूद नहीं है। उन्होंने गैस की कीमत के निर्धारण में कथित तौर पर हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सरकार की अपराध निरोधक शाखा में मुकदमा दर्ज करवा दिया है, जिसमें वर्तमान तेल मंत्री के अलावा एक अन्य पूर्व तेल मंत्री और मुकेश अंबानी को आरोपी बना दिया गया है। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार के किसी निर्णय के खिलाफ किसी राज्य सरकार द्वारा पुलिस में भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज करने का यह पहला मामला है।

अच्युतानंदन के पत्र से सीपीएम में हलचल

सत्तारूढ़ यूडीएफ के नेता ले रहे हैं मजा
पी श्रीकुमारन - 2014-02-12 11:17
तिरुअनंतपुरमः विपक्ष के नेता पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने एक बार फिर सीपीएम के लिए सिरदर्द पैदा कर दिया है। इसके साथ ही एक बार फिर वे विवादों में आ गए हैं। इस बार उन्होंने मुख्यमंत्री चांडी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने रिवाल्युशनरी माक्र्सवादी पार्टी (आरएमपी) के नेता टीपी चंद्रशेखरन की हत्या की सीबीआई जांच कराने की मांग कर दी है। उन्होंने अपने पत्र में चंद्रशेखरन की पत्नी द्वारा किए गए अनशन पर अपनाए गए सरकारी रवैये की निंदा भी की है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस में भारी गुटबाजी

भारतीय जनता पार्टी जीत सकती है 25 से ज्यादा सीटें
एल एस हरदेनिया - 2014-02-11 12:59
भोपालः लोकसभा चुनाव सिर पर है और कांग्रेस के अंदर गुटबाजी कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। उधर भारतीय जनता पार्टी की चुनावी तैयारी जोरों पर है। विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश मे कम से कम 25 सीटों पर जीत हासिल करने की उम्मीद कर रही है। कांग्रेस की बढ़ती गुटबाजी और भारतीय जनता पार्टी की जोरदार तैयारियों को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी अपनी उम्मीदों को पूरा करने में कामयाब हो सकती है।

केरल की राजनीति में भारी गिरावट

यूडीएफ के साथ सीपीएम की मिलीभगत की चर्चा जोरों पर
पी श्रीकुमारन - 2014-02-10 13:15
तिरुअनंतपुरमः टी पी चंद्रशेखर की हत्या की सीबीआई जांच की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि सीपीएम और सत्तारूढ़ यूडीएफ सरकार के बीच एक समझौता हो गया है, जिसके तहत राज्य सरकार चंद्रशेखरन की हत्या की सीबीआई जांच अब नहीं कराना चाहती।

केन्द्र सरकार में पी चिदंबरम का कद घटा

उनकी इच्छा के खिलाफ हो रहे हैं काम
नन्तू बनर्जी - 2014-02-08 11:45
नई दिल्लीः एक समय पी चिदंबरम केन्द्र सरकार मे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बाद दूसरे सबसे ज्यादा शक्तिशाली मंत्री के रूप में जाने जाते थे। लेकिन अब उन्हें दरकिनार कर दिया गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि उन्होने सरकार के अंदर एक मितव्ययिता अभियान चलाने की कोशिश की थी। उस अभियान के कारण अन्य मंत्री और नौकरशाहों की सुख सुविधा पर खतरा मंडराने लगा। वे पी चिंदबरम के खिलाफ हो गए। उनके खिलाफ खड़े लोगों का नेतृत्व कोई और नहीं, बल्कि उनके द्वारा राजनीति मे आगे बढ़ाए गए जयराम रमेश ने किया।

क्या तीसरा मोर्चा संभव है?

क्षेत्रीय दलों ने फिर शुरू की इसे बनाने की कसरत
कल्याणी शंकर - 2014-02-07 13:05
क्या तीसरे मोर्चे एक बार फिर गठन को कोई स्कोप है? करीब दो दशक पहले तीसरे मोर्चे की दो सरकारें बनी थीं। उसके बाद इस मोर्चे की चर्चा ही होती रही। वह फिर कभी बना नहीं। 2014 के लोकसभा चुनावो के नजदीक आने केे साथ इसकी एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। इस समय यूपीए और एनडीए के घटक दलों की संख्या बहुत कम हो गई है। अधिकांश क्षेत्रीय पार्टियां औपचारिक रूप से आज न तो एनडीए में हैं और न यूपीए में। इसलिए उनके कुछ नेता आपस में मिल बैठकर एक तीसरे मोर्चे के गठन की कसरत कर रहे हैं। उन्हें लगता हे कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद लोकसभा के त्रिशंकु हो जाने की अवस्था में तीसरे मोर्चे की सरकार बनाई जा सकती है।

पश्चिम एशिया से भारत के रिश्ते सुधरने के आसार

सीरिया में थोड़ी समस्या आ रही है
नित्य चक्रवर्ती - 2014-02-06 11:47
इस साल हम पश्चिम एशिया के साथ भारत के रिश्तों को गहराते देख सकते हैं। पश्चिम एशिया में धीरे धीरे राजनैतिक स्थिरता बनती दिखाई दे रही हैं। ईरान, इराक और सीरिया में स्थिति बेहतर हो रही है और मिश्र की सीसी सरकार भी वहां अपनी स्थिति मजबूत कर रही है। इसके कारण वहां लोकतांत्रिक बदलाव आ रहे हैं। भारत सहित अन्य देशों के लिए यह एक अच्छा शगुन है। भारत के संबंध उन देशों से हमेशा अच्छे रहे हैं और उम्मीद की जाती है कि वहां की स्थितियां बेहतर होते के साथ हमारे रिश्ते उनसे और भी बेहतर होंगे।