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भारत

मोदी की भूटान यात्रा: आपसी संबंध सुधारने में सहायक

बरुण दास गुप्ता - 2014-06-17 08:13
कोलकाताः भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूटान यात्रा सफल रही है और वह एक राजनयिक के रूप में अपनी क्षमता दुनिया को दिखाने में सफल रहे हैं। भूटान को वह आश्वस्त करने में सफल रहे हैं कि भारत उसके हितों की रक्षा करने में ईमानदार हैं। उन्होंने कहा कि भूटान अपने राजनैतिक और आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिए भारत पर विश्वास कर सकता है और वह चीन के दबंगई व्यवहार के कारण अपने आपको असुरक्षित नहीं समझे।
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नरेन्द्र मोदी श्रेष्ठतम प्रधानमंत्री वक्ता

पहले सत्र ने अच्छा प्रभाव छोड़ा
हरिहर स्वरूप - 2014-06-17 08:05
एक लंबे अरसे के बाद संसद के दोनों सदनों ने पहली बार किसी प्रधानमंत्री को अलिखित भाषण करते सुना। प्रधानमंत्री के पास कोई लिखित भाषण तो था ही नहीं, उन्होंने कोई नोट्स भी नहीं अपने पास बना रखे थे और न ही प्वाॅइंट्स नोट कर रखे थे। उन्होंने जो कुछ भी कहा संसद मंे भाषण करते समय ही तैयार किया हुआ था। वह एक बहुत ही शक्तिशाली भाषण था, जिसमें राष्ट्रपति के अभिभाषण में भाग लेने वाले विपक्षी सांसदों के सवालों के जवाब भी शामिल थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सभी आलोचकों को जवाब दिया। लिख कर लाए बिना सबको जवाब दे देना और वह भी बहुत ही प्रभावशाली भाषा में प्रभावशाली तरीके से, एक बहुत बड़ी बात थी। सच कहा जाय, तो संसद में दिया गया नरेन्द्र मोदी का यह भाषण उनका अबतक का दिया गया सर्वश्रेष्ठ भाषण था।
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मध्यप्रदेश में घोटालों का अंत नहीं

अनेक ताकतवर मंत्री पर उठ रहे हैं सवाल
एल एस हरदेनिया - 2014-06-14 10:21
भोपालः मध्यप्रदेश में घोटालों का अंत नहीं दिखाई पड़ रहा है। हाल ही में एक बहुत बड़ा घोटाला सामने आया है। यह घोटाला प्रोफेसनल परीक्षा बोर्ड का है। बोर्ड अराजपत्रित कर्मचारियों की बहाली का काम करता है और मेडिकल, इंजीनियरिंग व अन्य प्रोफेसनल कोर्स में नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन भी करता है।
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एक समृद्ध आंध्र का निर्माण

चन्द्रबाबू नायडू के सामने एक बड़ी चुनौती
कल्याणी शंकर - 2014-06-14 05:25
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू एक मायने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रोटोटाइप हैं। जब वे आंध्र प्रदेश के पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तो वे विकास, इन्फाॅर्मेशन टेक्नालाॅजी, ई-गवर्नेंस और विदेशी निवेश की बात करते थे और काॅर्पोरेट के सीईओ की शैली में अपनी सरकार चलाते थे। वे जब तक मुख्यमंत्री रहे, तबतक उसी शैली में काम करते रहे और आधुनिकीकरण के लिए लगातार प्रयत्नशील रहे। हैदराबाद को उन्होंने अपनी उपलब्धियों का ब्रांड नाम बना दिया। जिस तरह से उन्होंने पिछले सप्ताह रविवार को विजयवाड़ा में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उससे साफ होता है कि एक शोमैन के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कम नहीं हैं। वे 2004 के विधानसभा चुनाव में इसलिए विफल हो गए थे, क्योंकि उन्होंने हैदराबाद से बाहर आंध्रप्रदेश की अच्छी सुध नहीं ली थी। खासकर गांवों और किसानों की उन्होंने उपेक्षा कर दी थी। यही कारण है कि इस बार उन्होंने शपथ ग्रहण करने के बाद पहला काम किसानों को फायदा पहुंचाने वाला किया। उन्होंने मुख्यमंत्री बनते के साथ ही किसानों के 56000 करोड़ रुपये के कर्ज को माफ कर दिया।
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फास्ट ट्रैक पर मोदी सरकार

सुशासन पर मुख्य जोर
जी श्रीनिवासन - 2014-06-12 15:13
नई दिल्लीः एक छोटे मंत्रिमडल के साथ मोदी सरकार ने सही दिशा में अपनी यात्रा शुरू कर दी है और छोटी छोटी चीजों में वह समय बर्बाद नहीं कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने उन आलोचको को गलत साबित कर दिया है, जो कह रहे थे कि उनकी सरकार बनने के बाद विदेशों से संबंध तनावपूर्ण हो जाएंगे। उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राज्याध्यक्षों को बुलाकर विदेशों खासकर अपने पड़ोसियों से बेहतर संबंध रखने में अपने विश्वास का इजहार कर दिया है। इससे आपसी विश्वास बढ़ेगा और भारत के पड़ोसी देश एक मित्रतापूर्ण माहौल को महसूस करेंगे।
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राज्यसभा में आंकड़ों का हाल: सुरक्षित है मोदी सरकार

अशोक बी शर्मा - 2014-06-12 01:54
नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा में अपने बूते ही पूर्ण बहुमत हासिल कर रखा है। 1984 के बाद पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने वाली पहली पार्टी भाजपा है और वह एकमात्र गैरकांग्रेसी पार्टी है, जिसे यह बहुमत मिल पाया है। यदि उसके चुनाव पूर्व सहयोगियों को भी उसके साथ शामिल कर लिया जाय, तो उसकी सरकार को लोकसभा में 336 सांसदों का समर्थन हासिल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता से भी मुलाकात की थी। मुलाकात के पहले कहा जा रहा था कि वे उन दोनों दलों को भी अपने साथ गठबंधन में रखना चाहते हैं। पर मुलाकात के बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने साफ कर दिया कि उनकी भूमिका विपक्ष की रहेगी और वे सरकार का मुद्दों पर आधारित समर्थन ही कर पाएंगे।
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असम में बढ़ता तनाव

बांग्लादेशियों का मुद्दा गर्म हो रहा है
बरुण दास गुप्ता - 2014-06-10 17:56
कोलकाताः लोकसभा चुनाव के बाद असम की राजनैतिक स्थिति बदल गई है। इस चुनाव मे कांग्रेस की भारी हार हुई, जबकि भारतीय जनता पार्टी को सफलता हासिल हुई। असम को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन इस बार 14 लोकसभा क्षेत्रों में से मात्र 3 क्षेत्र में ही उसके उम्मीदवार जीत सके, जबकि भाजपा के 7 सांसद यहां से लोकसभा चुनाव में जीतकर गए हैं। तीन पर आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के उम्मीदवार जीते, जबकि एक पर एक निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहा।
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चांडी का मंत्रिपरिषद पुनर्गठन मुश्किल में

चेनिंथाला और सुधीरन ने किया विरोध
पी श्रीकुमारन - 2014-06-09 17:07
तिरुअनंतपुरमः कहा जाता है कि पुरानी आदत कभी समाप्त नहीं होती। केरल में लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में जो कुछ हो रहा है, वह इस कहावत का सच्चा साबित कर रहा हैं।
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आम आदमी पार्टी का संकट

गलत लोगों की घुसपैठ ने नैया डुबोई
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-06-07 16:42
अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी का जितनी तेजी से उभार हुआ था, उतनी तेजी से ही उसका पतन होता दिखाई पड़ रहा है। पिछले साल दिसंबर महीने की दिल्ली विधानसभा चुनाव में सफलता पाने के बाद पार्टी के नेताआंे ने एक से बढ़कर एक गलतियां की, जिसका खामियाजा इसे भुगतना पड़ा है। कोई एक गलती की होती, तक तो बात शायद इतनी नहीं बिगड़ती, पर इसने तो गलतियों की श्रृंखला ही तैयार कर दी।
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तेलंगाना के गठन के बाद नवनिर्माण की चुनौतियां

कल्याणी शंकर - 2014-06-06 16:09
तेलंगाना अब एक वास्तविकता बन गया है। भारत संघ के 29 वें प्रदेश के रूप में उसने अस्तित्व प्राप्त कर लिया हैं। अब सवाल उठता है कि आगे क्या होगा? इसमें शक नहीं कि जिन पार्टियों और नेताओं ने इस राज्य के गठन के लिए संघर्ष किया, वे सफलता पाने के बाद इतरा रहे हैं, लेकिन गठन के साथ ही उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता है। नवगठित प्रदेश के सामने आज अनेक चुनौतियां हैं और अवसर भी। तेलंगाना और पड़ोसी आंध्र प्रदेश के बीच कटुता पैदा हो गई है, लेकिन दोनों प्रदेशों को इस कटुता को भूलकर एक दूसरे के सहयोग से अपने अपने विकास के काम को अंजाम देना चाहिए। दोनों राज्यों में पिछले विधानसभा चुनाव ने स्थाई सरकारें दी हैं। यह अच्छी बात है। दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को आपसी सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए।