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चुनावी घोषणा पत्रों में जोर अच्छे प्रशासन पर होना चाहिए

भ्रष्टाचार सुशासन से ही कम हो सकता है
नन्तू बनर्जी - 2014-03-11 14:08
भ्रष्टाचार इस चुनाव में सबसे बड़ा मुददा है। सभी पार्टियों को इस मुददे पर स्पष्ट होना होगा। यूपीए सरकार का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस भी इस मुददे को नजरअंदाज नहीं कर सकती, हालांकि उसकी सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़े और एक के बाद एक उजागर हो रहे भ्रष्टाचार पर कुछ भी ऐसा नहीं किया, जिससे लोगों को लगता कि वह इसके खिलाफ थोड़ी भी गंभीर है। उसे कांग्रेस को भी अन्य पार्टियों की तरह इस मसले पर खुलकर सामने आना होगा और महज यह कहने से काम नहीं चलेगा कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ है। भ्रष्टाचार हमारी अर्थव्यवस्था ही नहीं, बलिक लोकतंत्र के लिए भी खतरा बन गया है और इसके खिलाफ देश में वातावरण भी बन गया है। राजनैतिक पार्टियों को इस बुरार्इ को दूर करने के लिए कृतसंकल्प होना ही पड़ेगा।

लखनऊ में मोदी की फीकी रैली

भाजपा में अंदरूनी कलह जोरों पर
प्रदीप कपूर - 2014-03-11 04:03
लखनऊ: नरेन्द्र मोदी की लखनऊ में आयोजित दो मार्च की रैली में लोगों की उपसिथति अनुमान से बहुत कम रही। इसके कारण भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही हैं। कम उपसिथति ने भारतीय जनता पार्टी के अंदरूनी कलह का भी पर्दाफाश किया है।

अध्यादेश और राष्ट्रपति: मुखर्जी ने पद की गरिमा की रक्षा की

नन्तू बनर्जी - 2014-03-08 15:44
केन्द्र सरकार भ्रष्टाचार विरोधी 4 विधेयकों को कानून बनाने के लिए अध्यादेश का रास्ता अखितयार करने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उसकी यह कोशिश विफल हो गर्इ। इसका कारण यह है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन अध्यादेशों को जारी करने से इनकार कर दिया। आमतौर पर राष्ट्रपति ऐसे मामलों में केन्द्रीय मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार काम करते हैं।

लोकसभा चुनाव पर लगे हैं बड़े दांव

हो रहा है दो विचारों के बीच मुकाबला
कल्याणी शंकर - 2014-03-08 15:37
लोकसभा चुनाव अब सिर पर है। इसके साथ साथ ओडीसा, आंध्र प्रदेश और सिक्कम के चुनाव भी होने वाले हैं। चुनाव के बाद किस प्रकार की लोकसभा हमारे सामने होगी? क्या यह 15वीं लोकसभा से बेहतर होगी, या उससे बदतर होगी? क्या यूपीए की फिर से वापसी होगी? क्या मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनेगी या तीसरे मोर्चे की सरकार होगी? इन सवालों का सही सही जवाब अभी नहीं मिल पा रहा है।

मध्यप्रदेश में कृषि आपातकाल

फसलों की भारी अभूतपूर्व बर्बादी
एल एस हरदेनिया - 2014-03-08 15:27
भोपाल: मध्यप्रदेश इस समय अपने इतिहास के सबसे बडे़ संकट का सामना कर रहा है। सरकारी अनुमान के अनुसार गेहूं, चना और मसूर की खड़ी फसलें 10 हजार से भी ज्यादा गांवों में तबाह हो गर्इ है। यह तबाही पिछले फरवरी महीने की बरसात और तूफान के कारण हुर्इ है। इसके कारण प्रदेश के लाखों किसान बर्बादी का सामना कर रहे हैं। सरकारी आकलन है कि प्रदेश में इसके कारण रबी फसलों के उत्पादन में 50 से 80 फीसदी की गिरावट तक हो सकती है।

राहुल को सच्चार्इ की समझ नहीं

कांग्रेस का नेतृत्व अभी भी असमंजस में
अमूल्य गांगुली - 2014-03-05 11:50
पराजय के बाद कांग्रेस के ऊपर मंडरा रहे हैं। इसके बावजूद वह गांधी नेहरू की की गलत राजनैतिक समझ के साथ आगे बढ़ रही है। उसे पता होना चाहिए की इस वंश की गलतियों के कारण ही आज वह इस भारी संकट में है। इसके कारण पार्टी के फिर से उबरने की संभावना ही समाप्त हो रही है।

झारखंड में भाजपा की राह आसान नहीं

उपेन्द्र प्रसाद - 2014-03-04 12:09
झारखंड में एक बार फिर दलबदल का दौर शुरू हो चुका है। विधायकों द्वारा दलबदल ही नहीं, बल्कि पार्टियों द्वारा पाला बदल भी बिहार के विभाजन से निकले इस प्रदेश में होता रहा है और इसके कारण राजनैतिक अस्थिरता इसका स्थायी भाव बनी हुर्इ है। इस तरह के असिथर राजनैतिक माहौल में चुनावी आकलन करना आसान नहीं होता, लेकिन इतना तो कहा जा सकता है कि झारखंड परंपरागत तौर पर भारतीय जनता पार्टी का एक मजबूत गढ़ रहा है।

मोदी खेमे में पासवान: कांग्रेस की योजना को झटका

हरिहर स्वरूप - 2014-03-03 12:10
कुछ साल पहले लालू यादव ने रामविलास पासवान को अभागा कहा था, लेकि अब पासवान नरेन्द्र मोदी के खेमें में शामिल होकर अपने आपको भाग्यवान बना रहे हैं। वे 12 सालों में बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हुए हैं। 2002 में उन्होंने वाजपेयी सरकार से इस्तीफा दे दिया था और अपनी पार्टी को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर भी कर लिया था। इसका कारण था गुजरात मे गोधरा के ट्रेन जलने के बाद हुए सांप्रदायिक दंगा। उन दंगों के लिए रामविलास पासवान मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का जिम्मेदार बता रहे थे और केन्द्र सरका द्वारा उनकी सरकार के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने का विरोध कर रहे थे।

आम आदमी पार्टी केरल में तीसरा विकल्प

सात सीटों पर दे सकती है यह अपने उम्मीदवार
पी श्रीकुमारन - 2014-03-01 10:56
तिरुअनंतपुरमः नवगठित आम आदमी पार्टी केरल में तीसरा विकल्प बनने की जबर्दस्त कोशिश कर रही है। सवाल उठता है कि जिस कोशिश में अब तक भारतीय जनता पार्टी यहां विफल रही है, उसमें क्या आम आदमी पार्टी सफल हो पाएगी?

तेलंगाना गठन का कानून बनने के बाद अब क्या होगा

क्या कांग्रेस अपने संकट से निजात पा सकेगी?
कल्याणी शंकर - 2014-02-28 12:13
संसद से तेलंगाना के गठन का कानून पास हो चुका है और अब विधेयक राष्ट्रपति के दस्तखत का इंतजार कर रहा है। सवाल उठता हे कि इसके राजनैतिक और चुनावी परिणाम क्या होंगे? यदि टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) ने अपने वायदे के अनुसार अपना विलय कांग्रेस में नहीं कराया, तो फिर कांग्रेस के गठन पूर्व राजनैतिक आकलन का क्या होगा? क्या टीआरएस कांग्रेस में अपना विलय करेगा या सिर्फ अपने आपको कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए ही प्रस्तुत करेगा? ये सब कुछ ऐसे सवाल हैं, जो आज सबके जुबान पर हैं।