यह सत्य है कि वामपंथी उग्रवाद, प्रशासनिक और राजनैतिक संस्थानों की अकर्मण्यता द्वारा सृजित माहौल में पनपा और फल-फूल रहा है। हिंसा-प्रतिहिंसा, बंद आदि के कारण जनता बेहाल हो गयी है और केन्द्र तथा राज्य सरकारें हतप्रभ सी जान पड़ती हैं। सरकारी कार्रवाई और योजनाएं अतिवादी वामपंथियों की ताकत के आगे कमजोर दिखायी दे रही हैं। कारण स्पष्ट है। जहां एक ओर माओवादी नक्सली शोषित वर्गों के बीच लगातार लोकप्रिय हो रहे हैं वहीं नेता, सरकार और संपन्न लोग गरीबों के प्रति अपनी शोषण और अन्यायपूर्ण नीतियों वाली प्रवृत्तियों के कारण अविश्वसनीय होते जा रहे हैं। आम लोग महसूस करते हैं कि उनके हितों के प्रति सरकारें और बड़े सम्पन्न लोग असंवेदनशील हैं।