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सम्मान से अवसान तक की सेवा का केंद्र

देवेन्द्र उपाध्याय - 2010-08-09 13:05
अनोखे लाल महीनों से फुर्सत में थे। दिल्ली में फिलहाल कोई चुनाव है नहीं, सो क्या करें- यह समझ नहीं पा रहे थे। चुनावों में तो हर पार्टी की सेवा करना उनका पेशा भी है और धर्म भी। अपने रेजीडेंस-कम-ऑफिस में वे बैठे हुए थे। एक टूटी कुर्सी और ढाई टांग की मेज पर उनका अॅाफिस चलता है। दरवाजा और खिड़की खुली रखते हैं क्योंकि छिपाने के लिए कुछ है नहीं।

मंहगाई का जिम्मेदार कौन?

राजेन्द्र धस्माना - 2010-08-09 13:02
जब कोई चीज नियंत्रण से बाहर होने लगे तो एक आसान तरीका यह भी है कि कहा जाए वह 'ग्लोबल` हो गई है। मंहगाई के बारे में भी ऐसा ही कुछ है। कहा जाता है वह 'ग्लोबल फिनॉमिनन` है। वर्षों पहले यह महसूस किया गया था कि सारी दुनिया अब 'ग्लोबल विलेज` के रूप में सिकुड़ गई है। 'ग्लोब विलेज` होने का मतलब समझ में आता है, पर मंहगाई का 'ग्लोबल` होना अब भी समझ में नहीं आता। दुनिया के 'ग्लोबल विलेज` होने में उसके छोटे होने का अहसास समझ में आता है। पहले जो देश एक-दूसरे से बहुत दूर जान पड़ते थे, अब संचार सुविधाओं के बढऩे से वे एक-दूसरे के नजदीक आते जा रहे हैं। हमें पेरिस, बोन या लंदन की घटनाओं की खबर ऐसे ही मिल जाती हैं जैसे अपने शहर की घटनाओं की खबर मिलती है। इसमें खबरें या घटनाएं ग्लोबल नहीं हुई हैं, हम हुए हैं। और यह भी कि खबरों या घटनाओं का आदमी से रिश्ता और महंगाई का आदमी से रिश्ता एक जैसा नहीं है। अगर दुनियाभर के देशों में महंगाई व्याप्त है, तब भी उसके व्याप्त होने के हर देश में कारण अलग-अलग हो सकते हैं। और कारण अलग-अलग हैं तो महंगाई 'ग्लोबल` कैसे हुई? अंतत: अगर जिस महंगाई का सामना हमें करना पड़ रहा है उसके कारण हमें अपने इर्दगिर्द या अपने ही देश में ढूंढने पड़ें तो 'ग्लोबल` कहकर उन कारणों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

शहंशाह-ए-शतक

कैलाश धूलिया - 2010-08-09 12:58
सचिन और कीर्तिमान, इन दोनों में मानो चोली दामन का साथ है। सचिन कितने कीर्तिमान बना चुके हैं, यह याद रखना अब कठिन हो चला है। वे जब भी मैदान पर उतरते हैं कोई न कोई कीर्तिमान या तो बनता है या फिर टूटता है। गत् 26 जुलाई को कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ दूसरे मैच की पहली पारी में जब सचिन ने सैकड़ा बनाया तो वह टैस्ट मैचों में शतकों का अर्धशतक बनाने की ओर एक कदम और बढ़ गए। यह उनका 48वां शतक था। अब वे शतकों के अर्धशतक से मात्र दो कदम पीछे हैं। इस वर्ष उन्हें अभी काफी मैच खेलने हैं और उम्मीद की जाती है कि वे 2010 में ही इस कीर्तिमान को भी स्थापित कर देंगे। वे एकदिवसीय मैचों में भी सर्वाधिक 46 शतक बना चुके हैं और शीघ्र ही यह अर्धशतक भी पूरा होगा। हो सकता है कि इससे पहले शतकों का शतक पूरा हो जाए।
राष्ट्रमंडल खेल

महान देश का महान खिलाड़ी—कलमाडी

कैलाश धूलिया - 2010-08-09 12:54
कॉमनवेल्थ खेलों की आड़ में खेले जा रहे खेल की असलियत अब सामने आने लगी है। अभी तो खेल होने में लगभग तीन माह बाकी हैं और उससे पहले ही घोटालों की परतें खुलनी शुरू हो गई हैं। खेल अभी खेले भी नहीं गये और पारितोषिक के रूप में करोड़ों के वारे न्यारे हो गए। दिल थाम के बैठिए यह पारितोषिक अरबों में पहुंचनेवाला है। अधिकतर लोगों का मानना है कि देश में बड़े खेल आयोजन होने से देश में बाहर का पैसा आता है, देश के बुनियादी ढांचे का विकास होता है, दुनिया में देश का नाम रोशन होता है.... ये तीनों बातें अपनी जगह ठीक हैं। देश में बाहर से खूब पैसा आया है, बुनियादी ढांचे का विकास— बनने के साथ ही उखड़ती टाइलें, रिसते स्टेडियम और न जाने क्या... बेहतरीन ढंग से हो रहा है। रही बात देश के नाम रोशन की, वह तो हो ही रहा है। खेलों से पहले देश दुनियाभर में चर्चा में आ गया है। वैसे भी खेल खत्म होने के बाद कौन-सा चर्चा में आ जाता। पदकों के लिए हम तरसते ही रहते हैं अगर इस बार भी तरस गए तो कौन-सी आफत आ जाएगी।

संगठन चुनाव स्थगित होने से कांग्रेसियों में निराशा

इससे पार्टी में अनुशासनहीनता बढ़ सकती है
पी श्रीकुमारन - 2010-08-09 11:59
तिरुअनंतपुरमः कांग्रेस आलाकमान द्वारा केरल की स्थानीय ईकाई को संगटन चुनाव स्थगित करने करने की अनुमति भले ही पार्टी की तात्कालिक समस्या को घ्यान में रखते हु दी गई हो, लेकिन इसके कारण पार्टी की समस्या और भी बदतर हो सकती है।

कश्मीर घाटी में सीमापार की साजिश से बिगड़े हालात

अलगाववादी नेताओं ने फिर ठुकराया वार्ता का प्रस्ताव
ओ.पी. पाल - 2010-08-09 11:52
जम्मू-कश्मीर में बिगड़े हालातों को सुधारने के लिए जहां केंद्र सरकार राजनीतिक प्रक्रिया को एक बार फिर से सक्रिय करने की नीति के तहत अलगाववादी संगठन के एक गुट ने फिर एक बार सरकार से वार्ता की पेशकश को ठुकरा दिया है। कश्मीर घाटी में कानून और व्यवस्था पूरी तरह से चरमराने पर चिंतित राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार से राजनीतिक प्रक्रिया को शुरू करने पर जोर दिया जिसके लिए सरकार भी राजी हैं, लेकिन बातचीत की पेशकश को ठुकराने वाले अलगाववादी संगठन जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट ने सरकार की वार्ता को पाखंड बताते हुए यह कहकर उनके रूख में कोई बदलाव नहीं है से यह सबूत दे दिया है कि सीमापार की नीतियां ही अलगाववादी संगठनों में कूट-कूटकर भरी हुई हैं।

हिंद महासागर पूर्वानुमान प्रणाली

संवाददाता - 2010-08-07 11:47
विभिन्न समयमान के संदर्भ में पूर्वानुमान समुद्री विज्ञानी मापदण्ड (स्तल और अधस्तल) मौसम विज्ञानियों से लेकर मछुआरों और जलसेना से लेकर अपतटीय उद्योगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस समय भारतीय राष्ट्रीय समुद्र सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) भारतीय समुद्री सीमाओं और पूरे हिंद महासागर में लहरों के बारे में पूर्वानुमान करने का कार्य कर रहा है। हाल में ही इनकोसिस ने हिंद महासागर के डायनेमिक और थर्मोडायनेमिक लक्षणों के पूर्वानुमान के लिए एक नई प्रणाली शुरू की है।

जनगणना की मुश्किलें

कैसे हो जाति जनगणना
उपेन्द्र प्रसाद - 2010-08-07 11:17
जनगणना का पहला दौर लगभग समाप्त हो गया है, लेकिन अभी तक सरकार यह निर्णय नहीं कर पाई है कि लोकसभा की भावनाओं का ख्याल करते हुए वह जाति जनगणना कराए या नहीं। वैसे उसके पास इस जाति जनगणना से बचने का शायद कोई रास्ता भी नहीं बचा है, क्योंकि मद्रास उच्च न्यायालय ने पिछले 23 मई को उसे जाति जनगणना करने का आदेश दिया था और उसके आदेश पर अमल रोकने के लिए केन्द्र सरकार ने अभी तक सर्वाच्च न्यायालय में अपील नहीं की है। अपील नहीं करने का मतलब है कि केन्द्र सरकार सांवैधानिक रूप से भी अब जाति जनगणना करने के लिए विवश है।

आंध्र कांग्रेस का संकट

तेलंगना उपचुनाव के नतीजों से जगन हैं उत्साहित
कल्याणी शंकर - 2010-08-07 11:10
आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं है। तेलंगना में हुए 12 विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनावों के नतीजे आने के बाद तो कांग्रेस की हालत और भी खराब हो गई है। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के अनुसार आंध्र में कांग्रेस को दो राक्षसों का सामना करना पड़ रहा है। एक राक्षस तो पूर्व मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन के विद्रोह से पैदा हुआ है, तो दूसरा तेलंगना आंदोलन के मजबूत होने से पैदा हुआ है। कहने की जरूरत नहीं कि पिछले दिनों तेलंगना क्षेत्र के 12 विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनावों में टीआरएस की भारी जीत के बाद अलग राज्य के गठन का आंदोलन और भी मजबूत हुआ है।

पूर्वोत्तर में खूनी संघर्ष में वृद्धि

शांति के प्रयासों को झटका
बरुण दास गुप्ता - 2010-08-07 11:08
कोलकाताः देश का उत्तरी पूर्वी भाग लगातार हिंसा का शिकार बना हुआ है। असम में उल्फा उग्रवादियों और सुरक्षा बलो के बीच संघर्ष चल रहा है। मणिपुर में कूकी जनजाति के दो समूह आपस में खून खराबा कर रहे हैं। असम के आंगलांग जिले में दिमा हालोम दावोगा ( जेवेल गुट) रेल की पटरियों को उड़ा रहा है और तथाकथित बाहरियों को भगाने में लगा हुआ है। उधर नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड भी अपने आतंकवादी हमलों से बाज नहीं आ रहा है। केन्द्र सरकार उल्फा उग्रवादियों के साथ औपचारिक बातचीत के अनौपचारिक संकेत दे रही है, लेकिन उसके बावजूद उल्फा उग्रवादी अपना आतंक मचाए हुए हैं।