हम भूख से मरें और आप गुलछर्रे उड़ायें !
2010-05-27 08:55 -जिस देश में एक तरफ भूख से लोग मरें, मेहनतकश इंसान सूदखोरों व दलालों के भय से आत्महत्या पर मजबूर हों, वहीं सरकारी गोदामों में रखा अनाज सड़े और आई पी एल क्रिकेट तथा कामनवेल्थ गेम जैसे खेल-तमाशों में अरबों रूपये उड़ाए जाएं तो किसको रोएं, यह प्रश्न, यक्ष प्रश्न को भी मात दे सकता है। ऐसा क्यूं है? देश की संपत्ति पर कुंडली मारे लोग सरकार व उसकी प्रबंध व्यवस्था पर इस कदर काबिज हैं कि घृतराष्ट्र दृष्टि भी शरम खाए। देश के कई राज्यों से लगातार आती ऐसी रपटें दिल दहला देती हैं। जब बच्चे मिट्टी खाने को मजबूर होते हैं। तो कोई आम की गुठली पर जिंदगी बिता रहा है। कहीं जंगली पत्तो से क्षुधा का शमन किया जा रहा है। ऐसा क्यूं है कि संपन्न्ता के विराट प्रतिमान सामने होते हुए भी लोग, मूल आवश्यकता की पूर्ति के अभाव में मर जाएं, ऐसे भी स्थल है, जहां मात्र 20 रूपये का भोजन 200 से 20,000 तक रूपये चुकाकर खाने वाले हैं, तो दूसरी तरफ दिनभर खटकर मात्र 20 रूपये हासिल कर पाने में अक्षम और उस पर जीवित नागरिकों की संख्या लगभग 80 प्रतिशत है।