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नरेंद्र मोदी विरोधी पोस्टरों पर क्यों झपट्टा मार रहे दिल्ली के पुलिसकर्मी

लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को है प्रधान मंत्री की आलोचना करने का अधिकार
सुशील कुट्टी - 2023-03-24 10:41 UTC
लोग प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के दबंगई से नफरत करते हैं, और यही कारण था कि दिल्ली में दीवारों पर 'मोदी हटाओ/देश बचाओ' की मांग करने वाले पोस्टर लगाये गये।इस संदेश को ले जाने वाले हजारों पोस्टर रातों-रात उस शहर में दिखाई दिये, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहते हैं और जहां से वे शासन करते हैं।

केरल की राजनीति में मूलभूत बदलाव के संकेत

भाजपा को बिशप के ऑफर से विपक्षी पार्टियों में खलबली
पी. श्रीकुमारन - 2023-03-23 10:50 UTC
तिरुवनंतपुरम: रबर की कीमतों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को समर्थन पर कैथोलिक चर्च के दो प्रभावशाली बिशपों के बयानों ने राज्य के राजनीतिक दलों को हैरान कर दिया है।यदि प्रस्ताव विभिन्न ईसाई निकायों द्वारा समर्थित है, तो यह केरल की राजनीति में एक आदर्श बदलाव का संकेत दे सकता है।

संसद की सुचारू कार्यप्रणाली के लिए आ गया है सुधार करने का समय

लंबे समय तक दोनों सदनों को पंगु बनाना लोकतंत्र के हित में नहीं
कल्याणी शंकर - 2023-03-22 12:55 UTC
जिस प्रकार हमें अनेक क्षेत्रों में सुधारों की आवश्यकता है, उसी प्रकार संसद को भी तत्काल सुधारों की आवश्यकता है।फिलहाल दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है।विपक्ष सरकार को शर्मिंदा करने के लिए जनता और मीडिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है, वहीं सरकार भी आक्रामक मूड में है। सत्ता पक्ष के सदस्य संसद नहीं चलने दे रहे हैं।गतिरोध का यह दूसरा सप्ताह है।

लोकसभा चुनाव से पहले पूर्ण विपक्षी एकता की गुंजाइश नहीं

अपने मजबूत गढ़ों में जी जान से मेहनत कर सकती हैं कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियां
नित्य चक्रवर्ती - 2023-03-21 11:24 UTC
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हाल ही में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से हुई मुलाकात के बारे में मीडिया में खूब चर्चा हो रही है जिसमें दोनों ने कहा कि वे कांग्रेस और भाजपा दोनों के विरोधी राजनीतिक दलों को एक साथ लाने की संभावना तलाशेंगे।दोनों नेताओं ने कांग्रेस को विपक्ष का नेतृत्व देने का विरोध किया।कुछ टिप्पणीकार कह रहे हैं कि दो प्रमुख विपक्षी दलों के इस रूख से विपक्षी एकता के प्रयासों में दरार आयेगी जिससे 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद तीसरी बार भाजपा को सत्ता में आने में आसानी हो जायेगी।

राहुल गांधी परिपक्व हुए पर कई विसंगतियां अभी भी कायम

उनका प्राथमिक काम है कांग्रेस और विपक्षी एकता को खड़ा करना
हरिहर स्वरूप - 2023-03-20 12:09 UTC
भारत में लोकतंत्र एक "वैश्विक सार्वजनिक अच्छाई" है।राहुल गांधी तो बाद के विचार के रूप में जोड़े गये हैं।यह विफल नहीं हो सकता।राजनेताओं, प्रवासी नेताओं, छात्रों और अकादमिकों से खचाखच भरे ब्रिटिश संसद के हॉल में बोलते हुए, उन्होंने सिर्फ यह रेखांकित किया कि भारत की लोकतांत्रिक संरचना खतरे में क्यों है।हिंदू दक्षिणपंथ के संस्थागत कब्जे से लेकर उसके असंतोष को दबाने, अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने, मीडिया की स्वतंत्रता को कम करने तक की सूची लंबी है।उनकी अपील हार्दिक थी, भारत जोड़ो यात्रा संरचनाओं के अनुभव, और असमानता, बेरोजगारी, संस्थागत अखंडता और महिलाओं के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करना उपयुक्त था।वह राजनीतिक नौसिखिए नहीं हैं, बल्कि ठीक उसके विपरीत है। लेकिन इतनी खूबियों के बावजूद राहुल लोगों को अपनी बात मनवाने में नाकाम रहे।

भाजपा राहुल को बना रही विपक्षी खेमे का हीरो

क्या अडानी-मोदी प्रकरण 2024 लोकसभा चुनावों में मुख्य मुद्दा होगा?
सुशील कुट्टी - 2023-03-18 11:14 UTC
नरेंद्र मोदी सरकार कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को तब तक संसद में बोलने नहीं देगी, जब तक कि वह सरकारी फरमान नहीं मान लेते।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को तो भूल ही जाइए, उनके पास सरकार के खिलाफ जाने का कोई मौका नहीं है।फिर जहां तक भाजपा के बाकी लोगों की बात है, जिनमें वे भी शामिल हैं जो संसद सदस्य नहीं हैं, उन्होंने तो न केवल मोदी को प्रधानमंत्री पद पर बनाये रखने की शपथ ली है, बल्कि नोबेल शांति पुरस्कार पर भी उनकी नजर है!

मोदी के विपक्ष-विरोधी हथियार बन गयीं केंद्रीय जांच एजेंसियां

पिंजड़े के तोते से ज्यादा हैसियत उनकी नहीं रह गयी
प्रकाश कारत - 2023-03-17 10:45 UTC
मोदी सरकार द्वारा विपक्ष के खिलाफ एक नये हमले की शुरुआत करते हुए, केंद्रीय एजेंसियों - विशेष रूप से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की –गतिविधियों की बाढ़ आ गयी है।

उच्च शिक्षण संस्थाओं के दलित छात्र क्यों कर रहे हैं आत्महत्या?

दलितों और आदिवासियों के साथ सामाजिक भेदभाव अब भी जारी
एल. एस. हरदेनिया - 2023-03-16 11:54 UTC
हमने दलितों और आदिवासियों को सरकारी नौकरियों, शिक्षण संस्थाओं, संसद, और विधानसभाओं आदि में भले ही आरक्षण दे दिया हो परंतु समाज में अभी भी उनके साथ बड़े पैमाने पर भेदभाव जारी है। इतना ही नहीं शिक्षण संस्थाओं समेत अनेक क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर यह भेदभाव जारी है। यह भेदभाव इतना ज्यादा है कि उससे तंग आकर उच्च षिक्षण संस्थाओं में पढ़ने वाले कई दलित छात्र आत्महत्या कर लेते हैं।

ब्याज दर में वृद्धि के कदमों पर पुनर्विचार की आवश्यकता

उल्टा पड़ सकता है मुद्रास्फीति पर नियंत्रण का यह उपकरण
अंजन रॉय - 2023-03-16 11:51 UTC
एक अबाबील के आने से गर्मी नहीं आ जाती, पुरानी कहावत है। लेकिन एक अबाबील का आना भी बेहतर समय की वापसी के लिए कुछ उम्मीदें दे सकता है।

नागालैंड की विपक्ष-मुक्त सरकार लोकतंत्र के ध्वस्त होने का उदाहरण

भारत में राष्ट्रीय स्तर इसकानकल खतरनाक साबित होगा
कल्याणी शंकर - 2023-03-15 11:27 UTC
हाल के विधानसभा परिणामों के बाद, छोटे से राज्य नागालैंड में सभी दलों ने सत्ता में हिस्सेदारी पाने के लिए विपक्ष-मुक्त सरकार का गठन किया।सभी दलों ने बिना शर्त सत्तारूढ़ गठबंधन का समर्थन किया, और सभी दल बिना किसी विपक्ष के सरकार में शामिल हुए।