Loading...
 
Skip to main content

View Articles

आडवाणी के इस अरण्यरुदन पर कौन कान देगा?

अनिल जैन - 2019-04-09 09:51 UTC
भारतीय जनता पार्टी में इस समय कतिपय नेताओं के लिए ‘विवेक-जागरण’ का काल चल रहा है। मार्गदर्शक और वरिष्ठ लेकिन हाशिए पर पटक दिए गए नेताओं के श्रीमुख से बहुत ही अच्छी-अच्छी और प्यारी-प्यारी बातें निकल रही हैं। इतनी अच्छी और प्यारी कि जाहिरा तौर पर कोई भी उनसे असहमत नहीं हो सकता। पिछले पांच वर्षों से पार्टी में उपेक्षा, तिरस्कार और अकेलापन झेल रहे भाजपा के संस्थापकों में से एक उम्रदराज लालकृष्ण आडवाणी ने लम्बे समय बाद एक ब्लॉग लिखकर अपनी चुप्पी तोडते हुए कहा है कि उनकी पार्टी ने राजनीतिक रूप से असहमत होने वाले को कभी ‘राष्ट्र विरोधी’ नहीं माना है।

मायावती की मुसलमानों से सांप्रदायिक अपील

बाल ठाकरे की तरह माया का नाम भी मतदाता सूची से बाहर हो
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-04-08 09:53 UTC
मायावती अपने आपको सेकुलर कहती हैं। एक बार लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल से मिलकर उन्होंने सेकुलर फेडरेशन भी बनाया था। सेकुलरिज्म की खातिर उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार का समर्थन भी किया था। मध्यप्रदेश में अभी भी कांग्रेस का समर्थन वह सेकुलरिज्म की दुहाइे देते हुए कर रही हैं, अन्यथा वह कांग्रेस की विरोधी हैं और देश की सबसे पुरानी पार्टी के खिलाफ जहर उगलने का कोई मौका नहीं छोड़ती।

लालू परिवार मे घमसान

तेज प्रताप के साथ अच्छा नहीं हुआ
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-04-06 10:09 UTC
लालू परिवार में चल रहा राजनैतिक घमसान कथित महागठबंधन के लिए एक बहुत बड़ा अपशकुन है। बिहार में पहले से ही राजनैतिक हालात इस गठबंधन के पक्ष में नहीं है। जमीनी हकीकत यह है कि मोदी और नीतीश की जोड़ी आज बहुत ही मजबूत स्थिति में है। यह सच है कि मोदी का जादू अब 2014 की तरह नहीं चल रहा है, लेकिन उनके साथ नीतीश के जुड़ जाने के बाद राजग बहुत मजबूत हो गया है। यादव और मुसलमान को छोड़कर प्रदेश के अन्य सारे समुदायों में मोदी और नीतीश के पक्ष में माहौल है।

आखिर क्या है यह नवरात्र?

मां दुर्गा के नौ अलौकिक रूप
योगेश कुमार गोयल - 2019-04-05 10:48 UTC
भारतीय समाज और विशेषकर हिन्दू समुदाय में नवरात्र का विशेष महत्व है, जो आदि शक्ति दुर्गा की पूजा का पावन पर्व है। नवरात्र के 9 दिन देवी के विभिन्न 9 स्वरूपों की उपासना के लिए निर्धारित हैं। प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलने वाले नवरात्र नवशक्तियों से युक्त हैं और हर शक्ति का अपना-अपना अलग महत्व है। नवरात्र के पहले स्वरूप में मां दुर्गा पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में विराजमान हैं। नंदी नामक वृषभ पर सवार शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है। शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया। इन्हें समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक माना जाता है। दुर्गम स्थलों पर स्थित बस्तियों में सबसे पहले शैलपुत्री के मंदिर की स्थापना इसीलिए की जाती है कि वह स्थान सुरक्षित रह सके।

प्रियंका ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सक्रिय कर दिया है

मुस्लिम और ब्राह्मण पार्टी के साथ जुड़ रहे हैं
प्रदीप कपूर - 2019-04-04 08:51 UTC
लखनऊः प्रियंका गांधी वाड्रा के कारण कांग्रेस पार्टी के उत्तर प्रदेश में पुनरुत्थान ने एक तरफ बीजेपी तो दूसरी तरफ सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन को बेवजह परेशान किया है। प्रियंका गांधी के कारण ब्राह्मणों, युवा, गैर-यादव ओबीसी, शहरी और ग्रामीण युवाओं और पूर्वी यूपी में गरीब किसानों के कांग्रेस की ओर आकर्षित होने की संभावना है।

राजनीति को अमीरों की जेब से निकालें

मुद्दा आधारित राजनीति स्थापित करने का समय
कन्हैया कुमार - 2019-04-03 10:10 UTC
घटनाएं कुछ इस तरह से घटीं कि मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब एक राजनेता बन गया। मेरा नेता बन जाना महज एक दुर्घटना है। वैसे मैं हमेशा राजनीतिक रहा हूं, लेकिन कुछ साल पहले तक मुझे और मेरे दोस्तों को लोकसभा का चुनाव लड़ने के किसी भी सुझाव पर हंसी आती थी।

समझौता पर फैसलाः उठ रहे हैं अनेक सवाल

एल एस हरदेनिया - 2019-04-02 11:53 UTC
समझौता एक्सप्रेस में हुए विस्फोट में 68 लोग मारे गए थे। परंतु इस अपराध के लिए जिन आरोपियों पर मुकदमा चलाया गया था उन्हें अदालत ने निर्दोष पाया। अदालत के फैसले के बाद अनेक प्रश्न उठ रहे हैं।

दुनिया का सबसे महंगा आम चुनाव

चुनावों में धन-बल का बढ़ता इस्तेमाल
योगेश कुमार गोयल - 2019-04-01 10:27 UTC
देशभर में लोकसभा चुनाव को लेकर माहौल पूरी तरह गर्म हो चुका है, तमाम छोटे-बड़े राजनीतिक दलों ने महासमर जीतने के लिए अपनी सारी ताकत झोंक दी है। चुनाव चाहे छोटे स्तर पर हो या फिर लोकसभा जैसे बड़े स्तर का, प्रत्येक चुनाव में साम, दाम, दंड, भेद हर प्रकार के हथकंडे अपनाते हुए चुनाव जीतने के लिए पैसा पानी की तरह बहाया जाता रहा है। यही वजह है कि हमारे यहां हर चुनाव में बहुत बड़ी धनराशि चुनाव प्रक्रिया पर ही खर्च हो जाती है। आंकड़ों पर नजर डालें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में करीब 5 अरब डाॅलर अर्थात् 35 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया था। विधानसभा चुनावों के मामले में खर्चीले चुनाव की बात करें तो कर्नाटक का पिछला विधानसभा चुनाव राजनीतिक दलों द्वारा खर्च किए गए धन के मामले में अब तक का देश में सबसे महंगा विधानसभा चुनाव रहा, जहां 9.5-10.5 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था, जो कर्नाटक के उससे पहले के चुनावी खर्च से दोगुना था।

ईवीएम और वीवीपीएटी विवाद

बीच का रास्ता अपनाया जाना चाहिए
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-03-30 12:09 UTC
इलेक्ट्राॅनिक वोटिंग मशीन पर छिड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। ईवीएम के खिलाफ मोर्चा निकालने वाले राजनैतिक पार्टियों के नेता अब मशीनो से की गई मतगणना के साथ साथ 50 फीसदी वीवीपीएटी पर्चियों की गणना की भी मांग कर रहे हैं। लेकिन यह निर्वाचन आयोग को स्वीकार नहीं है। आयोग ने पिछले महीनों कुछ राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान प्रत्येक विधानसभा के एक एक बूथ के वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती की थी और उनका मशीनों से हुई गिनती का मिलान किया था। मिलान शत प्रतिशत सफल रहा। किसी बूथ की वीवीपीएटी पर्चियों की गणना की जाय, इसके लिए आयोग लाॅटरी का सहारा लेता है। लाॅटरी में जो बूथ आता है, उसकी पर्चियों की गणना की जाती है और देखा जाता है कि मशीन से जो आंकड़े प्राप्त हुए थे, उससे इसके आंकड़े मिलते हैं या नहीं। अब तक जितने भी बूथों की वीवीपीएट पर्चियों की गिनती हुई है, उन सबके आंकड़े उन्हीं बूथों की मशीनों द्वारा दिए गए आंकड़े से बिल्कुल ही मेल खाते पाए गए हैं।

उम्मीदवारों के चयन में भाजपा को परेशानी

दिग्विजय सिंह के खिलाफ अभी तक कोई नाम तय नहीं
एल. एस. हरदेनिया - 2019-03-29 12:13 UTC
भोपालः हालाँकि कांग्रेस ने भोपाल से दिग्विजय सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है, लेकिन अब लगता है कि भाजपा को यह सीट कठिन दिखाइ्र पड़ रही है। इसके कारण वह अपना उम्मीदवार यहां से तय नहीं कर पा रही है। भाजपा नेता भोपाल के लिए कई नामों का सुझाव दे रहे हैं, उदाहरण के लिए, वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा जाना चाहिए। यह तर्क देते हुए कि अगर भाजपा में शामिल होने के पांच घंटे बाद पार्टी अभिनेत्री जयाप्रदा को पार्टी टिकट दे सकती है, तो साध्वी प्रज्ञा को भोपाल से टिकट देने में क्या परेशानी है, क्योंकि वह तो एक कट्टर राष्ट्रवादी है।