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पहले देश को रोजगार देने वाले उद्योग चाहिए

हमें पुराने अनुभवों से सीखना चाहिए
डा भरत मिश्र प्राची - 2017-09-28 10:50 UTC
देश जब - जब चुनाव के करीब होता है , जनमत पाने एवं सत्ता पर कब्जा जमाने की दृष्टि से आम जनता को भरमाने की पूरी कोशिश राजनीतिक पार्टियों द्वारा की जाती रही है। राजतंत्र में जिनकी बाजुओं में ताकत रही वहीं शासन करता रहा। लोकतंत्र में जनता को जिसने ज्यादा भरमाया उसने शासन किया। लोकतंत्र एवं राजतंत्र के बदलते परिवेश इस बात के गवाह है। समय समय पर सत्ता परिवर्तन के होते परिदृश्य को आसानी से देखा जा सकता है।

सरदार सरोवरः कहां जाएंगे प्रभावित किसान

विस्थापन नहीं है विकास का हल
प्रभुनाथ शुक्ल - 2017-09-28 10:36 UTC
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 67 वें जन्म दिन पर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी जल परियोजना सरदार सरोवर डैम देश को समर्पित किया। निश्चित तौर पर उन्होंने इतिहास का नया अध्याय लिखा है। 56 साल से जो महात्वाकांक्षी परियोजना तकनीकी और दूसरे गतिरोध की वजह से ठप पड़ी थी उसे उन्होंने मूर्तरुप दिया है। हलांकि इसके पीछे भाजपा और पीएम मोदी की छुपी राजनीतिक इच्छाओं को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। परिजयोना के शुभाारंभ के मौके पर उन्होंने विरोधियों पर जमकर हमला बोला। कांग्रेस और पर्यावरण विंदो को उन्होंने इसके लिए कटघरे में खड़ा किया। परियोजना के पूरा होने से जहां गुजरात और राजस्थान के कुछ इलाकों में पानी की समस्या का समाधान होगा।

रोहिंग्या संकट से दक्षिण एशिया में अस्थिरता

भारत बांग्लादेश और म्यान्मार के बीच फंसा
कल्याणी शंकर - 2017-09-28 10:30 UTC
राज्यविहीन रोहिंग्या की समस्या ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। वे म्यान्मार से खदेड़े जा रहे हैं और बांग्लादेश और भारत जैसे पड़ोसी देशों में शरण ले रहे हैं। अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों ने रोहिंग्या की समस्या पर संयुक्त राष्ट्र संघ मे चिंता जताई है।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का छात्र असंतोष

मोदी के सामने नई चुनौतियों की आहट
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-09-26 10:16 UTC
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की ताजा घटना, जिसमें छात्राओ पर पुरुष पुलिस द्वारा उनके होस्टल में घुसकर लाठी चार्ज करने की घटना भारत में इस तरह की पहली घटना है। इसकी चारों तरफ से की जा रही निंदा स्वाभाविक ही है। इसके लिए सरकारी दल और विश्वविद्यालय प्रशासन बाहरी तत्वो को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने तो इसमें नक्सलवादी तत्वो तक को ढूृढ़ निकाला है। चूंकि बनारस उत्तर प्रदेश में है, इसलिए वहां की घटनाओं के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। पुलिस प्रशासन योगी सरकार के ही नियंत्रण में है, इसलिए बदनामी के छींटे आदित्यनाथ योगी पर पड़ना स्वाभाविक है। लेकिन इन सारी घटनाओं पर गंभीरता से विचार किया जाय, तो यह जाहिर होता है कि इन सबके पीछे नरेन्द्र मोदी को कठघरे में खड़ा कर उनकी स्थिति कमजोर कर देने का प्रयास लगता है।

बुलेट ट्रेनः पटरी से उतरी राजनीति

हम औपनिवेशी दौर में तो नहीं पहुंच गए हैं?
अनिल सिन्हा - 2017-09-26 10:13 UTC
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 सितंबर, 2017 को अहमदाबाद-मंुबई बुलेट ट्रेन परियोजना की आधारशिला रखते समय ये संकेत दिए कि बुलेट ट्रेन गुजरात विधान सभा चुुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा होगा। उन्होने काफी उत्साह से भरा भाषण दिया और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे से अपनी दोस्ती का बढा-चढा कर ब्यौरा दिया। विकास के जिस गुजरात माॅडल को भुना कर वह दिल्ली की गद्दी पर बैठ गए हैं, उसमें अब नया जोड़ने के लिए कुछ नहीं हैै। यह एक रूकी हुई कहानी बन चुकी है।

परमाणु हथियारों से स्वास्थ्य संकट

परमाणु संपन्न देशों को प्रतिबंध के समझौते पर दस्तखत करना चाहिए
डाॅक्टर अरुण मित्र - 2017-09-26 10:11 UTC
7 जुलाई 2017 का दिन दुनिया के लिए एक ऐतिहासिक दिवस है। उस दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पास कर परमाणु हथियारों को अवैध घोषित कर दिया। उसके बाद 20 सितंबर से परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक संधि पत्र पर सदस्य देशों द्वारा दस्तखत किए जाने का दिन शुरू हो गया है। इस संधि के तहत परमाणु हथियारों का विकास, परीक्षण, उत्पादन, भंडारन और से किसी तरह हासिल करना अवैध होगा। इस संधि के अनुसार परमाणु हथियारों को किसी अस्त या शस्त्र पर तैनात करना भी गैरकानूनी होगा।

रोहिंग्या एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है

इसे सुलझाने के लिए भारत को पहल करनी होगी
उपेन्द प्रसाद - 2017-09-22 12:18 UTC
रोहिंग्या की समस्या बद से बदतर रूप ले रही है और इधर भारत में इस पर गंदी राजनीति हो रही है। आज जरूरत इस बात की है कि भारत इस समस्या हो हल करने के लिए कोई ठोस पहले करे, लेकिन सरकार सिर्फ इस बात पर अड़ी है कि यहां आए हुए शरणार्थियों को वापस भेज दिया जाएगा। अब तो केन्द्रीय गृह मंत्री ने उन रोहिंग्या शरणार्थियों को शरणाथी मानने से भी इनकार कर दिया है और उन्हें घुसपैठिया कह रहे हैं।

अप्रासंगिक बन चुका है महिला आरक्षण का मुद्दा

क्या शीत्र सत्र में पास हो पाएगा यह?
भरत मिश्र प्राची - 2017-09-21 12:08 UTC
जब जब इस देश में संसदीय सत्र शुरू होता है हर बार महिला आरक्षण का मुद््दा जोर - शोर से उछलता है, पर पुरूष प्रधान लाॅबी वाले इस देश में टाॅय - टाॅय फिस हो जाता है। इस बार फिर शीतकालीन सत्र से पूर्व वर्तमान केन्द्र की नरेन्द्र मोदी के नेतृृत्व में एन.डी. ए.. सरकार द्वारा संसद में महिला आरक्षण का मुद््दा लाने व इसे पारित कराने की चर्चा जोर - शोर पर है। उसे संसद में पारित कराने का पूर्व में कांग्रेस की ओर से भी पूरी कोशिश जारी रही एवं श्रीमती सोनियां गांधी द्वारा महिला दिवस पर पूर्व से ही इसे उपहार के रुप में जानने के क्रम में संसद में पूर्ण बहुमत वाली कांग्रेस से इस बिल को संसद में पारित हो जाने की पूरी उम्मीद भी की जा रही थी पर उस समय भी पुरुष लाॅबी स्वयं भूपरिवेश के कारण बिल पारित न हो सका और आज तक यह मुद्दा अप्रासंगिक बना हुआ है।
संयुक्त राज्य अमेरिका

हिलेरी क्लिंटन ने अपनी हार का कारण गिनाया

डेमोक्रेटिक नेता में अभी भी ध्रुवीकरण की ताकत
कल्याणी शंकर - 2017-09-20 18:10 UTC
राष्ट्रपति चुनाव हारने के 10 महीनों के बाद हिलेरी क्लिंटन एक बार फिर मीडिया की सुर्खियों में हैं। इसका कारण उनके द्वारा लिखी गई एक किताब है। 494 पृष्ठों की इस किताब में हिलेरी ने राष्ट्रपति चुनाव का अपना विश्लेषण लिखा है। इसमें उन्होंने अपनी हार के कारणों की समीक्षा की है। नई किताब आने के बाद एक बार फिर अमेरिकी समाज में विभाजन देखने को मिल रहा है। कुछ लोग हिलेरी के पक्ष में खड़े हैं, तो कुछ लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं।

क्या इसी तरह बनेगा मोदी का न्यू इंडिया?

गौरी लंकेश की हत्या और उसके बाद
अनिल जैन - 2017-09-20 18:06 UTC
‘अगर सत्ताधारी ताकतें गलत हों तो लोगों का सही होना खतरे से खाली नहीं होता’- फ्रांस के क्रांतिकारी दार्शनिक वॉल्टेयर का यह कथन हमारे देश के मौजूदा माहौल पर शत-प्रतिशत लागू प्रतीत होता है। सरकार की नीतियों से असहमत पत्रकारों, लेखकों, साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों, तर्कवादियों, आदि की सत्तारूढ दल के समर्थकों द्वारा हत्या, उन पर जानलेवा हमलों और उन्हें धमकाने का सिलसिला बना हुआ है। गाय को बचाने और खानपान के नाम पर भी कहीं मुसलमानों को मारा जा रहा है तो कहीं दलितों को। ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटनाएं भाजपा के सत्ता में आने से पहले नहीं होती थीं या भाजपा जब सत्ता में नहीं होगी तब इस तरह की घटना रूक जाएंगी। लेकिन पिछले तीन-चार वर्षों से देश में सांप्रदायिक और जातीय वैमनस्य, नफरत और हिंसा का जो माहौल सत्ता के अघोषित संरक्षण में बनाया जा रहा है, वह अभूतपूर्व है।