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कश्मीरः वही पुराना तरीका

इसे सिर्फ भूगोल का हिस्सा समझना गलत है
अनिल सिन्हा - 2018-07-03 09:28
मोदी सरकार के ताजा फैसले बताते हैं कि सरकार यह मान कर चल रही है कि कश्मीर की समस्या के हल का कोई रास्ता तुरंत खुलने वाला नहीं है। इसका मतलब यही है कि समस्या से जुड़े पक्षों-हुर्रियत, राजनीतिक दल और पाकिस्तान- से कोई बातचीत नहीं होगी, कम से कम 2019 के लोक सभा चुनावों तक। यह भी तय है कि सत्ताधारी पार्टी इसे एक चुनावी मुद्दा बनाएगी।

फिर जोर मार रही है पवार की महत्वाकांक्षा

अधूरी हसरतों को पूरा करने के लिए आखिरी मौका
अनिल जैन - 2018-07-02 09:15
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता के सवाल पर तमाम क्षेत्रीय दलों के बीच जारी पैंतरेबाजी के क्रम में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सुपीमो शरद पवार ने नया पत्ता फेंका है। इसी महीने की शुरुआत में भाजपा के खिलाफ एक व्यापक विपक्षी गठबंधन बनाने की जरूरत पर जोर देने तथा उसके लिए सूत्रधार का किरदार निभाने के लिए खुद को प्रस्तुत करने वाले इस मराठा सरदार ने अब आश्यर्यजनक रूप से चुनाव से पहले विपक्षी एकता की व्यावहारिकता पर सवाल खडा कर दिया है। उन्होंने अपने इस रुख को शीर्षासन कराते हुए कहा है- "विपक्षी एकता को लेकर मीडिया में काफी अटकलें चल रही हैं। हमारे कुछ मित्र इस दिशा में कोशिश भी कर रहे हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि चुनाव से पहले यह संभव है।"

नीतीश कुमार मंझधार में

तेजस्वी ने इरादे पर फेरा पानी
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-06-30 09:41
लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारो को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से बातचीत होने वाली है। लेकिन उसके पहले नीतीश अपने आपको कमजोर पा रहे हैं। कुछ दिन पहले उनकी पार्टी के प्रवक्ता और वे खुद भी कुछ ऐसे तेवर दिखा रहे थे, मानो यदि भाजपा ने उनकी बात नहीं मानी, तो पता नहीं वह क्या कर देंगे। वे भाजपा नेताओं पर दबाव बना रहे थे और कह रहे थे कि उनके बिना बिहार में भाजपा जीत हासिल कर ही नहीं सकती, जबकि सच यह है कि 2014 में भाजपा उनके बिना चुनाव लड़ रही थी और वे भाजपा के बिना चुनाव लड़ रहे थे। तब भाजपा को 22 सीटें मिली थीं और उनकी पार्टी को सिर्फ 2 सीटें और वे दोनों भी बहुत ही मामूली मतों के अंतर से।

सांस के जरिये मिलती असाध्य बीमारियों की सौगात

खतरे की घंटी है मौसम चक्र का बदलाव
योगेश कुमार गोयल - 2018-06-29 11:38
पिछले कुछ समय से देशभर में कुदरत जो कहर बरपा रही है, उसकी अनदेखी उचित नहीं और समय रहते अगर हम नहीं चेते तो आने वाले समय में इसके भयानक दुष्परिणामों के लिए हमें तैयार रहना होगा। पिछले कुछ महीनों के दौरान कहीं प्रचण्ड धूल भरी आंधियां, तो कहीं बेमौसम बर्फबारी, ओलावृष्टि, बादलों का फटना, भारी बारिश और आसमान से गिरती बिजली की वजह से भारी तबाही देखी गई और मौसम विभाग को बार-बार मौसम के बिगड़ते मिजाज को लेकर अलर्ट जारी करने पड़े।

अब नए वेश में आपातकाल

लोकतांत्रिक संस्थाओं, रवायतों और मान्यताओं का क्षरण तेजी से जारी
अनिल जैन - 2018-06-28 13:00
हर साल की तरह इस बार भी 25 जून को आपातकाल की बरसी मनाई गई। लोकतंत्र की रक्षा की कसमें खाते हुए इस मौके पर 43 बरस पुराने उस सर्वाधिक स्याह और शर्मनाक अध्याय, एक दुःस्वप्न यानी उस मनहूस कालखंड को याद किया गया, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता की सलामती के लिए आपातकाल लागू कर समूचे देश को कैदखाने में तब्दील कर दिया था। विपक्षी दलों के तमाम नेता और कार्यकर्ता जेलों में ठूंस दिए गए थे।

आपातकाल और उसके बाद

जब संपूर्ण क्रांति का सपना गुटबंदी की बलि चढ़ गया
एल एस हरदेनिया - 2018-06-27 12:43
‘‘आप अपने मतभेदों को भुलाएं और मिल-बैठकर समस्याओं को सुलझाएं। यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो देश का भारी नुकसान होगा क्योंकि देश रूपी जहाज का संचालन आपके हाथों में है।‘‘

संकट में कुमारस्वामी सरकार

दारोमदार मुख्यमंत्री पर
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-06-26 10:33
कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, क्योेकि मंत्री बनने से वंचित रह गए अनेक कांग्रेसी नाराज हैं। जिन लोगों को मंत्री बनाया गया है, उनमें से अनेक इसलिए नाखुश हैं क्योंकि उन्हें मनपसंद मंत्रालय नहीं मिले हैं। सच तो यह है कि कुमारस्वामी सरकार के गठन के बाद ही असंतोष की स्थिति पैदा हो गई थी और उसके कारण ही मंत्रिमंडल के विस्तार में जरूरत से ज्यादा अन्य मंत्री सरकार में शामिल हुए थे और उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया था।

भ्रष्टाचार मुक्त कैसे बने भारत

जो सत्ता में आते हैं, वही भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-06-25 08:54
देश जब से आजाद हुआ तब से लोकतंत्र की बागडोर सुविधाभोगी लोगों के हाथ आ गई, जहां राष्ट्रहित से स्वहित सर्वोपरि होता गया। दिन पर दिन चुनाव महंगे होते गये। सŸाा पाने के लिये हर तरह के अनैतिक हथकंडे प्रायः सभी राजनीतिक दलों द्वारा अपनाये जाने लगे। जिससे लोकतंत्र पर माफियाओं का सम्राज्य घीरे - घीरे स्थापित होने लगा । अर्थबल एवं बाहुबल प्रभावित राजनीतिक प्रक्रिया ने भारतीय लोकतंत्र की दशा एवं दिशा ही बदल दी जहां लूटतंत्र का सम्राज्य स्थापित हो गया। पंचायती राज्य से लेकर विधायिका एवं कार्यपालिका तक शामिल सभी अपने - अपने तरीके से देश के माफियाओं के संग मिलकर देश को लुटने लगे, जिससे देश में अनेक प्रकार के घोटालें उजागर हुए ।

गठबंधन को लेकर मायावती की पैंतरेबाजी

नजर प्रधानमंत्री के पद पर
अनिल जैन - 2018-06-23 11:20
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए छोटी तथा क्षेत्रीय पार्टियों के साथ तालमेल को लेकर कांग्रेस के प्रादेशिक नेतृत्व के आश्वस्ति भरे दावों को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की ओर से तगडा झटका मिला है। बसपा ने कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी के गठबंधन को लेकर आ रही खबरों को महज अफवाह करार देते हुए कहा है कि बसपा मध्य प्रदेश में अकेले चुनाव लडेगी और सभी सभी 230 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।

कांग्रेस और बसपा के बीच चुनावी तालमेल की बातचीत नहीं

दोनों पार्टियां कदम फूंक फूंक कर रख रही हैं
एल एस हरदेनिया - 2018-06-22 12:59
भोपाल: मध्यप्रदेश में अब तक दो-पक्षीय चुनावी मौहाल रहा है। लेकिन अब इस बात को लेकर हो रही है कि क्या 2018 विधानसभा चुनावों में स्थिति क्या बदल जाएगी।