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केजरीवाल का राजनैतिक ड्रामा

दिल्ली को सरकार चलाने वाला चाहिए
कल्याणी शंकर - 2014-01-24 11:32
जब आम आदमी पार्टी के नेता दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले रहे थे, तो देश भर में एक प्रकार का उत्साह पैदा हुआ था। लग रहा था कि देश में राजनीति का एक नया अध्याय शुरू हो रहा है। आम आदमी पार्टी की सफलता ने लोगों की उम्मीद बढ़ा दी थी। इसे मध्य वर्ग ही नहीं, बल्कि गरीबों का भी भारी समर्थन हासिल हुआ था। वे अच्छी सरकार चाहते थे। इसलिए उन्होंने आम आदमी पार्टी और उसके नेता केजरीवाल को पसंद किया था। लेकिन एक महीने के अंदर जब इसका आकर्षण कुछ कम हुआ है और यदि इसने जल्द ही अपने आपको एक सही राजनैतिक पार्टी के रूप में तब्दील नहीं किया, तो उसका आकर्षण और भी कम हो सकता है।

सोमनाथ भारती पर घिर गए हैं केजरीवाल

एक गलत निर्णय उन पर भारी पड़ेगा
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-01-23 11:45
नई दिल्लीः दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती का मामला केजरीवाल सरकार के लिए संकट का कारण बनता जा रहा है। विरोधियों की ओर से ही नहीं, बल्कि अपनी पार्टी के अंदर से भी केजरीवाल पर भारती को मंत्रिमंडल से हटाने का दबाव बढ़ता जा रहा है।

दिल्ली के कानून मंत्री का गैर कानूनी आचरण

दिल्ली पुलिस को कानून के अनुसार काम करना चाहिए
अमूल्य गांगुली - 2014-01-22 12:27
दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती का पिछले दिनों देखा गया आचरण उन लोगों की समझदारी को सही साबित करता है, जिनका मानना रहा है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की पुलिस यहां की राज्य सरकार के हाथ में नहीं, बल्कि केन्द्र सरकार के हाथ में होनी चाहिए। अन्यथा भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को दूसरे देशों को बार बार आश्वस्त करता रहना पड़ेगा कि उनके नागरिक हमारे देश में सुरक्षित हैं। गौरतलब है कि सोमनाथ भारती के गलत और गैर कानूनी आचरण के कारण भारत के विदेश मंत्रालय को अफ्रीकी देशों की सरकारों को बार बार सफाई देनी पड़ रही है।

शशि थरूर की उम्मीदवारी पर सवालिया निशान

उनके विरोधी हो गए हैं सक्रिय
पी श्रीकुमारन - 2014-01-21 13:06
तिरुअनंतपुरमः अपनी पत्नी की मौत पर उठे विवाद के बाद शशि थरूर की आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवारी पर संदेह के बाद उमड़ने लगे हैं। गौरतलब है कि श्री थरूर तिरुअनंतपुरम लोकसभा क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व करते हैं।

नये रूप में राहुल

कांग्रेस भाजपा का सामना करने को तैयार
हरिहर स्वरूप - 2014-01-20 12:03
पिछले शुक्रवार को कांग्रेस के अधिवेशन में राहुल गांधी के भाषण को सुनकर तो ऐसा ही लगता है कि अब वे लय में आने लगे हैं। उनके विरोधी चाहे जो कहें, लेकिन उनका वह भाषण बहुत ही शानदार था। सच कहा जाय तो जयपुर सम्मेलन के बाद उनका यह दिया गया अब तक का सबसे अच्छा भाषण था। गौरतलब है कि जयपुर सम्मेलन में ही उनके कांग्रेस उपाध्यक्ष बनने की घोषणा की गई थी।

आम आदमी पार्टी बनी कांग्रेस के गले की फांस

दिल्ली पुलिस के मसले पर केन्द्र की हो रही है किरकिरी
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-01-18 11:08
नई दिल्लीः केजरीवाल सरकार के दो मंत्रियों के आदेश दिल्ली पुलिस के अधिकारियों द्वारा न मानने का मसला तूल पकड़ने लगा है और इस पर केन्द्र सरकार की समस्या बढ़ने वाली है।

आम आदमी पार्टी ने खेल के नियम बदल डाले

अन्य पार्टियों को भी अब बदलना होगा
कल्याणी शंकर - 2014-01-17 11:48
कांग्रेस पार्टी ने 2004 में लोकसभा चुनाव के पहले नारा दिया था, "कांग्रेस के हाथ, आम आदमी के साथ"। कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ है। उसने अपने हाथ को आम आदमी के साथ जोड़कर तुकबंदी भिड़ा दी और एक नारा तैयार कर लिया। कांग्रेस का यह नारा भारतीय जनता पार्टी के शाइनिंग इंडिया वाले नारे पर भारी पड़ा। पिछले साल अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी का नाम ही आम आदमी पार्टी रख लिया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की जीत भी हो गई। कांग्रेस के समर्थन से उनकी सरकार भी बन गई है।

बिहार की राजनीति पर आप का असर नहीं

अलग थलग पड़ गया है जद(यू)
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-01-16 11:15
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के गठन के बाद बिहार की राजनीति में भी इसका असर देखा जा सकता है। इस पार्टी को लेकर राजनैतिक लोगों में उत्साह है और लोग इसमें शामिल भी हो रहे हैं। पर चूंकि बिहार के राजनीति जाति और संप्रदाय के हिसाब से चलती रही है, इसलिए इस नई पार्टी का यहां कोई असर दिखे, इसकी संभावना कम ही है। आम आदमी पार्टी जाति और संप्रदाय की राजनीति से अलग रहकर ही दिल्ली में सफल हो सकी है। उन लोगों की आशाओं का केन्द्र यह पार्टी बन गई है, जो जाति और वंश की राजनीति से परेशान हैं और उसका कोई विकल्प चाहते हैं। बिहार में भी ऐसे लोग हैं, पर उनकी संख्या कम है। इसलिए इस नई पार्टी के प्रति लोगों में उत्साह के बावजूद इसका कोई खास असर बिहार में देखने को नहीं मिलेगा।

मनमोहन में हैं कमियां अनेक

इतिहास उन्हें एक कमजोर प्रधानमंत्री के रूप में याद करेगा
अमूल्य गांगुली - 2014-01-15 11:56
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमेरिका के साथ भारत के हुए परमाणु करार को अपने राजनैतिक कैरियर का सबसे ऊंचा बिन्दु बताया। लेकिन जब उसी संवाददाता सम्मेलन में एक संवाददाता ने उनके कैरियर का सबसे नीचले बिन्दु के बारे में जानना चाहा, तो उनके पास कोई जवाब नहीं था। इसका जवाब शायद वह इस कारण से नहीं खोज पाए, क्योंकि उनके कैरियर में निचले बिन्दुओं की संख्या इतनी ज्यादा है कि उसमे किसी एक को चुनना उनके लिए भी आसान नहीं था।

बांग्लादेश का चुनाव और उसके बाद

हसीन को खालिदा से बात करनी ही चाहिए
बरुण दास गुप्ता - 2014-01-14 11:35
एक साथ दोस्ती भी और संघर्ष भी। यह देखने को मिल रहा है बांग्लादेश में। पिछले 5 जनवरी को वहां सरकार के गठन के लिए चुनाव हुए। उस चुनाव का मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनल पार्टी ने बहिष्कार किया। बांग्लादेश की एक अन्य विपक्षी पार्टी जातीय पार्टी उस चुनाव में सत्तारूढ़ अवामी लीग की सहयोगी पार्टी थी। फिलहाल वह वहां की मुख्य विपक्षी पार्टी है और उसकी नेता रौशन इर्शाद विपक्ष की नेता हैं। लेकिन बात इतनी तक ही सीमित नहीं है कि पहले मिलकर चुनाव लड़े और अब विपक्ष में हैं। बात इससे कुछ ज्यादा है और वह यह है कि रौशन के पति प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में नियुक्त किए गए हैं और उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है। यानी पति सत्ता में हैं, तो पत्नी विपक्ष में।