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जनसंख्या विस्फोट पर प्रधानमंत्री की चिंता के मायने

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार की नाकामी से ध्यान हटाने का उपक्रम
अनिल जैन - 2019-08-22 12:46 UTC
तेजी से बढती हुई जनसंख्या सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के और भी कई देशों के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। क्योंकि जिस गति से जनसंख्या बढ रही है, उसके लिए जीवन की बुनियादी सुविधाएं और संसाधन जुटाना सरकारों के लिए चुनौती साबित हो रहा है। इसीलिए जब स्वाधीनता दिवस पर लाल किले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसंख्या विस्फोट पर चिंता जताई तो उसका आमतौर पर स्वागत ही हुआ। उन्होंने कहा कि हमारे देश में जो बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, वह हमारी आने वाली पीढियों के लिए कई तरह के संकट पैदा करेगा। यह संभवतः पहला मौका रहा जब लंबे समय बाद किसी प्रधानमंत्री ने लाल किले से अपने भाषण में बढती जनसंख्या की समस्या पर चिंता जताई हो। लेकिन सवाल है कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी इस चिंता को लेकर क्या वाकई गंभीर हैं?

गरीबों पर ध्यान दे रहे हैं कमलनाथ

नेहरू पर भाजपा का हमला जारी
एल. एस. हरदेनिया - 2019-08-21 14:04 UTC
भोपालः मध्य प्रदेश सरकार ने कुछ ऐसे फैसले लिए हैं जो गरीबी रेखा से नीचे के लोगों की मदद करने के लिए लंबा रास्ता तय करेंगे। सबसे महत्वपूर्ण निर्णय बिजली बिल पर दी गई रियायत से संबंधित है। अन्य निर्णय सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती के लिए अधिकतम आयु सीमा बढ़ाने का है।

भारतीय अर्थव्यवस्था खतरे में

पर सरकार को खबर नहीं
नंतू बनर्जी - 2019-08-20 14:02 UTC
एनडीए सरकार ने सामाजिक-राजनीतिक मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन किया और जम्मू-कश्मीर राज्य को पुनर्परिभाषित करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करके भी ठीक किया, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था जर्जर है। इसकी तत्काल मरम्मत की जरूरत है। जब तक सरकार तेजी से कार्य नहीं करती है और नुकसान को नियंत्रित नहीं करती है, तब तक अर्थव्यवस्था प्रमुख सामाजिक परिणामों को आमंत्रित करते हुए सिकुड़ सकती है। हजारों की संख्या में नौकरियां हैं क्योंकि अभूतपूर्व मंदी ने कई क्षेत्रों को प्रभावित किया है, जो ऑटोमोबाइल उद्योग एक उदाहरण है। यह देश की औद्योगिक मंदी का नेतृत्व कर रहा है।

परमाणु हमले की धमकी

भारत को इस तरह की बयानबाजी से बचना चाहिए
बरुन दास गुप्ता - 2019-08-19 13:26 UTC
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत अभी भी अपनी “नो फर्स्ट यूज” परमाणु नीति के लिए प्रतिबद्ध है, “भविष्य में क्या होता है यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है।” मौका, समय और जगह को देखते हुए उनका यह बयान काफी महत्वपूर्ण है।

धन अर्जित करने वालों का सम्मान

प्रधानमंत्री का लाल किले से भाषण
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-08-17 17:22 UTC
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले 15 अगस्त के अपने भाषण में अनेक महत्वपूर्ण बातें कहीं और उनमें से एक बात धन पैदा करने वालो के प्रति हमारे देश के लोगों के रवैये से संबंधित है। उन्होंने सबकुछ स्पष्ट रूप से नहीं कहा, लेकिन जितना कहा उससे यह स्पष्ट होता है कि संपत्ति या धन पैदा करने वालों के प्रति लोगों के वर्तमान रवैये से निराश दिखे। यह कोई छिपी बात नहीं है कि धनवान और ज्यादा संपत्ति वालों को लेकर अनेक प्रकार के धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष साहित्य हमारे देश में लिखे गए हैं और उनमें से अधिकांश देश के धनिकों को हेय भाव से देखते हैं। उन्हें कुछ इस तरह दिखाया जाता है, मानों उन्होंने कहीं से या किसी की चोरी करके वह धन इकट्ठा किया हो। उनके बारे में जो वर्तमान धारणा है, उनमें बदलाव की अपील मोदीजी ने 15 अगस्त के अपने भाषण में की हैं।

अमेरिकी चीन व्यापार युद्ध और भारत

कमजोर होता युआन भारत की नई चिंता
नन्तू बनर्जी - 2019-08-16 09:48 UTC
संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध ने पिछले सप्ताह एक अधिक महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश किया क्योंकि बीजिंग ने अपनी मुद्रा को और कमजोर करने की अनुमति दी। गिरते हुए युआन न केवल अमेरिका के लिए, बल्कि बाकी दुनिया के लिए भी एक बड़ी चिंता बन गए हैं। लोअर युआन चीन को अपने निर्यात को अन्य अर्थव्यवस्थाओं पर अधिक डंप करने में मदद करेगा। चीन को निर्यात करना अधिक कठिन होगा। राष्ट्रपति ट्रम्प के ट्रेजरी विभाग ने औपचारिक रूप से चीन को मुद्रा हेरफेर करार दिया है क्योंकि चीनी उद्यमों ने अमेरिका से कृषि उत्पादों की ताजा खरीद बंद कर दी है। जहां तक भारत का संबंध है, कमजोर युआन भारतीय बाजार में चीनी सामानों की बाढ़ ला सकता है और देश के आर्थिक विकास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक-इन-इंडिया अभियान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

कश्मीर समस्या के लिए नेहरू नहीं अमेरिका और ब्रिटेन जिम्मेदार

उन्होंने कश्मीर में जनमतसंग्रह नहीं होने दिया, क्योंकि वह तब भारत के साथ था
एल एस हरदेनिया - 2019-08-15 18:16 UTC
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी सहित संपूर्ण संघ परिवार जवाहरलाल नेहरू को कश्मीर की समस्या के लिए उत्तरदायी मानते हैं। परंतु कश्मीर समस्या के इतिहास का बारीकी से अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि समस्या को उलझाने में ब्रिटेन व अमेरिका द्वारा की साजिशों की निर्णायक भूमिका थी। अमेरिका और ब्रिटेन, और विशेषकर ब्रिटेन यह चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर का पाकिस्तान में विलय हो जाए।

मुस्लिम कार्ड खेलने में मायावती व्यस्त

बीजेपी की चुनौती का सामना करने को हो रही हैं तैयार
प्रदीप कपूर - 2019-08-13 09:24 UTC
लखनऊः लोकसभा चुनाव में संतोषजनक प्रदर्शन के बाद जब पार्टी को 10 सीटें मिलीं तो बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती उत्तर प्रदेश में अपना वोट बैंक मजबूत करने में व्यस्त हो गई हैं। गौरतलब हो कि मायावती की पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी। उस पृष्ठभूमि में पार्टी को 2019 के चुनाव में 10 सीटें मिलना एक शानदार उपलब्धि ही कही जा सकती है।

6 अगस्त के बाद कश्मीर से भिड़ गया है भारत

370 को समाप्त करने के नतीजे कुछ भी हो सकते हैं
ज्ञान पाठक - 2019-08-10 10:16 UTC
कभी जम्मू-कश्मीर नाम के भारत संघ में एक राज्य था। भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद राज्य को समाप्त कर दिया गया, इसे संघ द्वारा शासित एक क्षेत्र तक सीमित कर दिया गया इसके साथ लद्दाख नाम का एक और केन्द्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आया। यह राज्य में अपने नागरिकों की आवाज को शांत करने के लिए संसद में बहुमत के जानवर बल पर संभव बनाया गया। इस निर्णय पर लोगों की राय विभाजित हैं। कुछ कहते हैं कि कार्रवाई जिस तरह से की गई, वह अनैतिक, नासमझभरा और अनुचित थी। कश्मीरियों ने इस घटना को ‘काला दिन’ कहा। हमें, उसके परिणामों का सामना करना होगा।

समाप्त होना ही 370 की नियति थी

स्थिति सामान्य करने में हमें सरकार की मदद करनी चाहिए
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-08-09 11:02 UTC
संसद ने संविधान की धारा 370 के उन प्रावधानों को समाप्त कर दिया है, जिनसे जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिलता था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय होगा, इसका पता तो तभी लगेगा, जब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आएगा। फिलहाल हम कह सकते हैं कि उस राज्य का विशेष दर्जा समाप्त हो गया है। भारत का अभिन्न अंग तो वह पहले से ही है, लेकिन विशेष दर्जा समाप्त होने से अब वह देश के अन्य प्रदेशों जैसा ही हो गया है।