भारतीय लोकतंत्र में अटल का युग अटल
अटल सत्ता के नहीं सत्ता उनकी सारथी बनी
2018-08-17 18:47
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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी आखिरकार काल से रार नहीं ठान पाए और 93 साल की जीवन यात्रा में अंतिम सांस ली। नई दिल्ली के एम्स में 11 जून को उन्हें भर्ती कराया गया था। 65 दिनों तक नई दिल्ली के एम्स में जीवन और मौत से संघर्ष करते हुए लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। राजनीति में एक ऐसी रिक्तता एंव शून्यता छोड़ चले गए जिसकी भराई भारतीय राजनीति के वर्तमान एवं इतिहास में संभव नहीं। वह प्रमुख राष्टवादी अधिनायक थे। राजनीति में उन्होंने कभी जाति, धर्म और संप्रदाय को हावी नहीं होने दिया। अयोध्या में ढांचा गिराए जाने के बाद भी उन्होंने बेहद अफसोस जाहिर किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रतिपक्ष के राजनेता भी एम्स उन्हें देखने पहुंचे। भारत के राजनीतिक इतिहास में शायद ही उनका कोई विरोधी रहा हो। बाजपेयी का देश के लिए जो योगदान रहा उसे भूलाया नहीं जा सकता।