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मलप्पुरम में यूडीएफ आरामदायक स्थिति में

मध्य केरल में होगा घमसान
पी श्रीकुमारन - 2019-02-23 11:07 UTC
तिरुअनंतपुरमः कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के लिए मुस्लिम बहुल मलप्पुरम जिले में स्थिति बेहतर बनी हुई है। इसका कारण यह है कि यह हयोगी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का गढ़ है।

‘वाटर स्ट्राइक’ से टूटेगी पाकिस्तान की कमर

अब भूखा-प्यासा मरेगा पाकिस्तान!
योगेश कुमार गोयल - 2019-02-22 09:43 UTC
पुलवामा फिदायीन हमले के बाद से ही भारत सरकार द्वारा हर वो जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, जिनके जरिये दहशतगर्द मुल्क पाकिस्तान की कमर तोड़ी जा सके और अगर कहा जाए कि ये कठोर कदम पाकिस्तान के खिलाफ कई स्तर की सर्जिकल स्ट्राइक हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसी कड़ी में पहले पाकिस्तान से ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा वापस लेते हुए वहां से आयात होने वाले सामान पर कस्टम ड्यूटी 200 फीसदी बढ़ाकर उसकी आर्थिक रूप से कमर तोड़ने का महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भी पाकिस्तान के खिलाफ माहौल बनाने में सफलता मिल रही है और अब पाकिस्तान को जाने वाला तीन नदियों रावी, ब्यास और सतलुज का पानी रोकने का फैसला कर ‘वाटर स्ट्राइक’ के जरिये पाकिस्तान को त्राहिमाम्-त्राहिमाम् करने पर विवश किया जा रहा है। जब भी पाकिस्तान के पाले-पासे दहशतगर्दों द्वारा कोई बड़ा आतंकी हमला अंजाम दिया गया, हर बार नदियों का पानी रोके जाने की मांग उठी किन्तु इससे पूर्व कोई भी सरकार इतना कड़ा फैसला लेने की हिम्मत नहीं दिखा सकी। यह तय है कि भारत से पानी रोके जाने से पाकिस्तान की ऐसी कमर टूटेगी कि वह न अपनी जमीन पर आतंकियों को पालने-पोसने में समर्थ होगा और न ही घाटी में अलगाववादियों को समर्थन करने की उसकी हैसियत बचेगी। भारत द्वारा कहा गया है कि वह पूर्वी नदियों पर बांध बनाकर अपने हिस्से का पानी जम्मू-कश्मीर तथा पंजाब में बन रही बिजली परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल करेगा। दोनों राज्यों में कई बिजली परियोजनाएं बनाई जा रही हैं और इन राज्यों के बाद जो पानी बचेगा, वह राजस्थान तथा अन्य राज्यों को दिया जाएगा।

दो महत्वपूर्ण मसलो पर कांग्रेस मंत्रियों ने लिया यूटर्न

मध्यप्रदेश भाजपा की बल्ले बल्ले
एल.एस. हरदेनिया - 2019-02-21 11:01 UTC
भोपालः मध्य प्रदेश विधानसभा के पटल पर मंत्रियों द्वारा दिए गए जवाबों ने राज्य सरकार और राज्य कांग्रेस दोनों के लिए बेहद शर्मनाक स्थिति पैदा कर दी है। स्थिति इतनी शर्मनाक थी कि वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को सार्वजनिक रूप से संबंधित मंत्रियों को फटकारना पड़ा।

भाजपा-शिवसेना की दोस्ती के निहितार्थ

दोनों में सौतन का रिश्ता है
योगेश कुमार गोयल - 2019-02-20 12:20 UTC
भाजपा और शिवसेना आखिरकार लोकसभा चुनाव के ऐलान से ठीक पहले एक-दूसरे के साथ आ ही गए। शिवसेना के साथ चुनाव से पहले पुनः गठबंधन करने में सफल हुई भाजपा के लिए यह एक बड़ी सफलता है। महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं और समझौते के तहत भाजपा को 25 और शिवसेना को 23 सीटें मिली हैं जबकि 288 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में दोनों दल 140-140 सीटों पर चुनाव लड़ने को राजी हुए हैं जबकि 8 सीटें दूसरे सहयोगियों के लिए छोड़ी गई हैं। हालांकि शिवसेना की लंबे समय से मांग थी कि उसे अधिक सीटें दी जाएं और मुख्यमंत्री पद भी उसी की झोली में आए किन्तु भाजपा शिवसेना के दबाव के समक्ष न झुकते हुए भी गठबंधन करने में कामयाब रही। पिछले लोकसभा चुनाव में शिवसेना ने केवल 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि इस बार उसके खाते में 23 सीटें आई हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 24 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 23 सीटें जीती थी जबकि शिवसेना 22 सीटों पर लड़कर 18 सीटें जीतने में सफल हुई थी।

आतंकवाद सभी के लिये चुनौती

हमें एक होकर इससे लड़ना होगा
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2019-02-19 12:50 UTC
अभी हाल ही में जम्मू - कश्मीर के पुलवामा जिले में घटित आतंकवादी घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया जिसमें आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद से जुड़ा आतंकवादी आदिल अहमद के विस्फोटक बम से लदी कार के टक्कर से देश के सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गये जो अपने घर को लौट रहे थे। इस आतंकी घटना ने आज सोचने को मजबूर कर दिया कि आतंकवाद से देश को कैसे निजात दिलाया जाय जब कि इस मामलें में इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने में पाक में पल रहे आतंकी गिरोहों का हाथ होना बताया जा रहा है।

चुनाव के पहले कांग्रेस का मनोबल बढ़ रहा है

भाजपा ने सत्ता बरकरार रखने के लिए एक कठिन लड़ाई लड़ रही है
हरिहर स्वरूप - 2019-02-18 12:33 UTC
2019 के आम चुनाव के बाद भारत को जो चाहिए वह है स्थिरता। यदि पूरा विपक्ष एक मंच पर आकर सरकार बना भी ले, तो क्या वे स्थिर सरकार दे पाएंगे, इस बात को लेकर कोई दावे के साथ कुछ भी नहीं कह सकता। गठबंधन के युग में हमारा अनुभव खुशनुमा नहीं रहा है। देश की नजरें अब प्रियंका और राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पर टिकी हैं।

राहुल ने मध्यप्रदेश में 5 पार्टी पैनल गठित किए

भाजपा ने ग्यारह जिला समितियों का पुनर्गठन किया
एल एस हरदेनिया - 2019-02-16 17:51 UTC
भोपालः कांग्रेस और भाजपा दोनों ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए अपने अपने संगठनों को दुरूस्त करना शुरू कर दिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने जिला समितियों के 11 अध्यक्षों को हटा दिया है। जिन लोगों को हटाया गया है उनमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के करीबी लोग शामिल हैं। राकेश सिंह के इस कदम पर कुछ पार्टी के लोगों ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भोपाल और ग्वालियर इकाइयाँ क्रमशः चौहान और तोमर के चंगुल में थीं और दोनों निष्क्रिय थीं।

लोगों की जानें कब तक पीती रहेगी शराब?

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की जहरीली मौत
अनिल जैन - 2019-02-15 14:00 UTC
शराब की बिक्री राज्य सरकारों के लिए कमाई का एक बडा माध्यम होती है, लेकिन अवैध शराब का कारोबार करने वालों से शासन-प्रशासन और पुलिस के लोग जो उगाही करते हैं, वह भी मामूली नहीं होती। इसलिए कोई भी पार्टी सत्ता में रहे, शराब माफिया पर इसका कोई असर नहीं होता। यही वजह है कि अवैध शराब का कारोबार हमेशा धडल्ले से चलता रहता है और इसीलिए देश के किसी न किसी कोने से आए दिन जहरीली शराब से लोगों के मरने की खबरें आती रहती हैं।

मुलायम का मोदी प्रेम

इसके पीेछे अखिलेश से पुत्रमोह तो नहीं?
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-02-14 12:09 UTC
वर्तमान लोकसभा के सत्र के अंतिम दिन समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर देश को चौंका दिया है। इस तरह के झटके देने की उनकी पुरानी परंपरा रही है। एक झटका उन्होंने 2008 में उस समय दिया था, जब उन्होंने अमेरिका के साथ भारत के परमाणु मसले पर अपने वामपंथी दोस्तों को धोखा देते हुए मनमोहन सरकार का साथ दे दिया था। उसके कारण मनमोहन की सरकार बच गई थी और वामपंथियों की इतनी फजीहत हुई थी कि 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी बुरी हार दर्ज हो गई।

प्रियंका के लखनऊ रोड शो से सपा-बसपा परेशान

माया-अखिलेश आगे की रणनीति को दे सकते हैं नया रूप
प्रदीप कपूर - 2019-02-13 14:16 UTC
लखनऊः लखनऊ में प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभावशाली रोड शो ने सपा-बसपा गठबंधन को परेशान कर दिया है। रोड शो में सभी जातियों और धर्मों के लोगों की भारी भागीदारी ने समाजवादी पार्टी और बसपा को 2019 के लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी रणनीति को संशोधित करने के लिए मजबूर किया है।