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वादाखिलाफी और नाकामी के चार साल

घोषणा पत्र की तो अब चर्चा भी नहीं की जाती है
अनिल जैन - 2018-05-28 11:22
भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जारी अपने घोषणा पत्र को अपना संकल्प पत्र बताते हुए वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह अपने इस संकल्प पत्र पर अमल के जरिए देश की तकदीर और तस्वीर बदल देगी। अब जबकि केंद्र में भाजपा की सरकार के चार साल पूरे हो चुके हैं तो लाजिमी है कि घोषणा पत्र के बरअक्स उसके कामकाज की समीक्षा हो। भाजपा के घोषणापत्र का सूत्र वाक्य था- ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ और रास्ता होगा- ‘सबका साथ-सबका विकास।’

कैराना लोकसभा आमचुनाव में विपक्षी एकता का माॅडल हो सकता है

पूर्ण विपक्षी एकता भाजपा को 150 सीटों तक सीमित कर सकती है
नित्य चक्रबर्ती - 2018-05-26 09:44
23 मई को कर्नाटक में जेडी (एस)-कांग्रेस गठबंधन सरकार के गठन के बाद गैर-बीजेपी दलों के ठोस मंच बनाने के लिए रास्ता खुल गया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी दृढ़ संकल्प वाले नेता हैं और वह संविधान के तहत अपने वर्तमान धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बदलकर 2022 तक भारत को हिन्दूराष्ट्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए वह और संघ परिवार वह सबकुछ कर रहे हैं जो आगामी आम चुनावों के माध्यम से केंद्र में सत्ता में वापस आने के लिए जरूरी है।

विधायकों के लाभ के पद का मामला

क्या आप के 20 विधायकों की सदस्यता फिर चली जाएगी?
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-05-25 09:57
एक बार फिर भारत का निर्वाचन आयोग दिल्ली के 20 विधायकों के खिलाफ लाभ के पद पर रहने के कारण पद से अयोग्य कर दिए जाने की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस मामले में आयोग पहले भी सुनवाई कर चुका था और उसने उन 20 विधायकों की सदस्यता खारिज करने की सिफारिश राष्ट्रपति से की थी और सिफारिश मानते हुए राष्ट्रपति ने उनकी सदस्यता समाप्त भी कर दी थी।

साम, दाम और दंड में फंसा लोकतंत्र

पर लोकराज लोकलाज से चलता है
प्रभुनाथ शुक्ल - 2018-05-24 11:25
कर्नाटक से निकला संदेश पूरी राजनीति को बदबूदार बना रहा है। राज्यपाल के विवेक का विशेषाधिकार भी मजाक बन गया। सियासत और सत्ता के इस जय पराजय के खेल में कौन जीता और कौन पराजित हुआ, यह राजनीतिक दलों और उनके अधिनायकों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। लेकिन संवैधानिक संस्थाओं की तंदुरुस्ती के लिए कभी भी सकारात्मक नहीं कहा जा सकता है। राजनीति के केंद्र में लोकहित कभी भी प्रमुख मसला नहीं होता। वह साम्राज्य विस्तार में अधिक विश्वास रखती है। एकाधिकार शासन प्रणाली में यह बात आम है, लेकिन दुनिया के लोकतांत्रिक देशों में ऐसा कम होता है लेकिन अब लोकतंत्र की छांव में भी सामंतवाद की बेल पल्लवित हो रही है। सत्ता के केंद्र बिंदु में संविधान नहीं साम, दाम, दंड और भेद की नीति अहम हो चली है। सत्ता के लिए लोकतांत्रिक संस्थाओं को फुटबाल नहीं बनाया जा सकता। लोकतांत्रिक व्यवस्था का हर स्थिति में अनुपालन होना चाहिए।

मोदी सरकार के चार साल

देश का हाल बेहाल
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-05-23 09:41
नरेन्द्र मोदी सरकार के चार साल पूरे हो रहे हैं और उसे अपने आपको साबित करने के लिए सिर्फ एक साल ही बचा है। इन चार सालों की उपलब्धियों को यदि हम खुद मोदीजी के चश्मे से देखें, तो पाएंगे कि उन्होंने बैंकों में उन करोड़ों लोगों के खाते खुलवा दिए, जो बैंकों का हिस्सा होने की सोच भी नहीं सकते थे।

उफ! इतना महंगा चुनाव, इतना महंगा लोकतंत्र

हमारे चुनाव बन रहे हैं काले धन का बंधक
अनिल जैन - 2018-05-22 10:17
भारतीय राजनीति में धनबल की भूमिका ने सिर्फ चुनाव प्रचार को ही महंगा नहीं बनाया है बल्कि समूची चुनाव प्रक्रिया को एक तरह से भ्रष्ट भी कर दिया है। धनबल की भूमिका इस कदर बढ गई है कि हर चुनाव पिछले चुनाव से महंगा साबित होता जा रहा है। पांच महीने पहले हुए गुजरात विधानसभा चुनाव को अभी तक का सबसे महंगा विधानसभा चुनाव माना जा रहा था, लेकिन हाल ही संपन्न कर्नाटक विधानसभा के चुनाव ने गुजरात को बहुत पीछे छोड दिया है। गुजरात में भाजपा और कांग्रेस का कुल अनुमानित खर्च 1750 करोड रुपए था, जबकि कर्नाटक में विभिन्न दलों के खर्च का यह आंकडा 10,000 करोड के आसपास पहुंच गया।

लोक सभा चुनावों में क्षेत्रीय पार्टियां बड़ी भूमिका निभाएंगी

कर्नाटक के नतीजों ने इसके साफ संकेत दिए
अनिल सिन्हा - 2018-05-21 10:15
कर्नाटक के नतीजों ने क्षेत्रीय पार्टी के महत्व को फिर से केंद्र में ला दिया है और देश के स्तर पर तीसरे मोर्चे के गठन की कवायद जल्द ही शुरू हो जाए तो इसमें किसी को अचरज नहीं होना चाहिए। कर्नाटक के नतीजों का देश की मौजूदा राजनीति पर भारी असर होगा। जेडीएस के बेहतर प्रदर्शन ने अगले साल हो रहे लोक सभा चुनावों के समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं।

कर्नाटक के चुनाव ने मायावती का हौसला बढ़ाया

बसपा नेता ने कांग्रेस को नकारात्क प्रचार का दोषी बताया
प्रदीप कपूर - 2018-05-19 12:14
लखनऊः बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती अब जेडी (एस) के साथ कर्नाटक में सफल प्रयोग के बाद अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन में करने के बारे में आत्मविश्वास से लवरेज हैं।

कर्नाटक के राज्यपाल ने आरएसएस प्रचारक की तरह काम किया

सरकारिया आयोग की सिफारिशों को भी ताक पर रख दिया
नित्य चक्रवर्ती - 2018-05-18 11:53
निर्वाचित विधायकों के बीच बहुमत समर्थन साबित करने में असमर्थता के बावजूद भाजपा नेता बी एस येदियुरप्पा को नई कर्नाटक सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हुए गवर्नर वाजुभाई वाला ने भारतीय संविधान के संरक्षक की बजाय आरएसएस प्रचारक की तरह काम किया है। सरकार बनाने के इस पूरे नाटक का सबसे गहरा पहलू यह है कि बीजेपी नेता ने शुरुआत में अपने बहुमत को साबित करने के लिए केवल दो दिनों की बात की लेकिन उन्हें पंद्रह दिन दिए गए क्योंकि शीर्ष बीजेपी नेतृत्व विधायकों के दल बदल का आयोजन दो दिनों के भीतर करने के लिए निश्चित नहीं था और उन्होंने खरीद फरोख्त के लिए के लिए 15 दिन का समय मांगा। कर्नाटक के गवर्नर ने तरह आसानी से सहमति व्यक्त की और कर्नाटक में लोकतंत्र की बिक्री की अन्य मांग की अनुमति दी।

स्मृति ईरानी सूचना प्रसारण मंत्रालय से बाहर

उन्हें तो कपड़ा मंत्रालय से भी बाहर कर दिया जाना चाहिए
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-05-17 10:45
स्मृति ईरानी से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय छीन लिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अब यह मंत्रालय राज्यवर्धन सिंह राठौर के स्वतंत्र प्रभार में डाल दिया है। पहले वह इसके राज्यमंत्री थे और स्मृति ईरानी के तहत इस मंत्रालय का काम देखा करते थे।