शहीदों के त्याग को इतनी जल्दी भूल गये?
- 2017-08-08 11:52 UTCआजादी के उपरान्त देश में अपहरण, भ्रष्टाचार, बलात्कार, अनैतिकता के अनेक कदम दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। आतंकवाद से देश को चुनौतियां मिलने लगी हैं। देश की सुरक्षा व अस्मिता खतरे में पड़ती जा रही है। जो जहां है, वहीं अपने-अपने तरीके से देश को लूट रहा है । आजादी से पूर्व इस देश को विदेशियों ने लूटा, आजादी के बाद देश वाले लूट रहे हैं। फिर देशी-विदेशी, आजादी-गुलामी की परिभाषा इस संदर्भ में किस तरह परिभाषित हो पायेगी, विचार किया जाना चाहिए। जहां इस तरह के जनप्रतिनिधियों की संख्या लोकतंत्र में बढ़ती जा रही है। जहां आज सुरसा की तरह बढ़ती जा रही महंगाई अनियंत्रित होती जा रही है वही अनेक लोग राजनीतिक छांव में अवैध रूप से धन बटोरने एवं राजनीतिज्ञों को सुख सुविधा के तमाम संसाधन जुटाने में तत्पर हैं।