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राम रहीम सिंह जैसे लोग क्यों प्रभावी हैं?

इस रहस्य को सुलझाने के लिए शोध होना चाहिए
एल.एस. हरदेनिया - 2017-08-28 12:36 UTC
डेरा सच्चा सौदा के मुखिया गुरमीत राम रहीम सिंह के विरूद्ध बलात्कार का आरोप सही सिद्ध होने के बाद हरियाणा और आसपास के अनेक शहरों के घटनाक्रम से दो प्रमुख विचारणाीय मुद्दे उभरे हैं। पहला, हमारे देश में राम रहीम सिंह के अलावा भी अनेक इस तरह के व्यक्ति हैं जो स्वयं को ईश्वर का अवतार मानते हैं। उनका प्रभाव इतना गहरा होता है कि लाखों लोग उनके लिए अपनी जान देने को तैयार हो जाते हैं। इसका कारण पता लगाने के लिए एक दीर्घकालीन अनुसंधान की आवश्यकता है। क्या इनमें कोई सम्मोहन शक्ति होती है, जिससे वे अपने अनुयायियों के मन पर नियंत्रण कर लेते हैं? फिर उनकी तार्किक क्षमता लगभग समाप्त हो जाती है। गुरमीत सिंह के मामले में भी यह लगभग सौ प्रतिशत सही है।

एक देश और एक संविधान

फिर सभी के लिये भी कानून भी एक हो!
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2017-08-26 11:51 UTC
देश आजाद तो हो गया पर सामाजिक समरसता के मामले में हम आज भी परतंत्र है। जिसका ताजा उदाहरण मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक का मामला अभी भी मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के गिरफ्त में है। इस समुदाय में इस नियम के खिलाफ आवाज उठती रही , प्रभावित महिलाओं की चीख पुकार गूंजती रही पर कोई सुनने वाला नहीं था। पीड़ित महिला को तुच्छ मुवावजा देकर इस समुदाय में धर्म की आड़ में पुरुष वर्ग की मनमानी चलती रही। जबकि इसी समुदाय में भारत को छोड़ विदेश के अधिकांश देश तीन तलाक के बंधन से मुक्त है। पूर्व में हिन्दू धर्म की महिलाएं भी सती प्रथा से पीड़ित रही । भारतीय संविधान में सती प्रथा बंद करने के कानून बने और आज इस वर्ग की महिलाएं इस प्रथा से मुक्त है। इसी तरह मुस्लिम समुदाय में वर्षो से धर्म की आड़ में चल रहे तीन तलाक बंद करने के कानून शीघ्र से शीघ्र से भारतीय संविधान में आना चाहिए जिससे मुस्लिम वर्ग की पीडित महिलाओं को इस असमाजिक बंधन से मुक्ति मिल सके । जब हमारा देश एक है, संविधान एक है सभी धर्मो के लिये एक कानून क्यों नहीं ? इस पर मंथन होना चाहिए ।

सामाजिक न्याय या राजनीति का एक नया दौर?

केन्द्र में भी अब कर्पूरी फाॅर्मूला
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-08-25 11:31 UTC
मोदी सरकार ने संविधान के आर्टिकल 340 के तहत एक पिछड़ा वर्ग आयोग गठित करने का फैसला किया है, जो पिछड़ा वर्ग की केन्द्रीय सूची की जातियों को तीन उपवर्ग में विभाजित करेगा और तीनों उपवर्गों के लिए अलग अलग से आरक्षण का प्रतिशत तय किया जाएगा। बिहार में ही इस ओबीसी आरक्षण का कर्पूरी फाॅर्मूला कहते हैं। कर्पूरी ठाकुर के फाॅर्मूले के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग को पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग में विभाजित किया गया है और दोनों वर्गो के लिए अलग अलग आरक्षण दिया जाता है। यह व्यवस्था वहां 1978 से चल रही है। पिछड़े वर्गों की जातियों को दो उपवर्गों में विभाजन मुंगेरीलाल आयोग ने किया था। इसलिए कायदे से उसे मुंगेरीलाल फाॅर्मूला कहा जाना चाहिए, पर चूंकि उसे लागू कर्पूरी ठाकुर की सरकार ने किया था, इसलिए उसे कर्पूरी फाॅर्मूला कहा जाता है।

गोरखपुर त्रासदी से भाजपा नेता परेशान

योगी सरकार ने मामले को सही ढंग से नहीं हैंडिल किया
प्रदीप कपूर - 2017-08-24 10:40 UTC
लखनऊः भारतीय जनता पार्टी के नेता और कार्यकत्र्ता गोरखपुर में हुई त्रासदी के कारण परेशान हैं वह त्रासदी एक मेडिकल काॅलेज अस्पताल में हुई थी, जिसमें आॅक्सीजन की कमी के कारण 60 से भी ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी।

खतौली रेल दुर्घटना: क्या हम बुलेट ट्रेन चलाने के लिए तैयार हैं?

उपेन्द्र प्रसाद - 2017-08-24 03:02 UTC
उत्तर प्रदेश की खतौली में एक भयंकर रेल दुर्घटना हुई, जिसमें कम से कम 23 लोग मारे गए हैं और करीब 100 लोग घायल हुए हैं। घायलों में दर्जनों लोग जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। इस दुर्घटना में ट्रेन एक घर और एक स्कूल में घुस गई। इस दुर्घटना के दो दिन के बाद ही उत्तर प्रदेश के ही ओरैया में एक और ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई, जिसमें दर्जनों लोग घायल हुए हैं और घायलों में चार की हालत गंभीर है।

तीन तलाक पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला

मुस्लिम समुदाय को समय के साथ बदलना चाहिए
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-08-24 02:59 UTC
मुस्लिम सुन्नी समुदाय में तीन तलाक देने के मसले पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। इसके कारण न केवल मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिला है, बल्कि मुस्लिम समुदाय को भी एक अमानवीय परंपरा से छुटकारा पाने का मौका मिला है। इसे मुस्लिम समुदाय को सहर्ष स्वीकार कर लेना चाहिए। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने तक तीन तलाक पर रोक लगा दी है और सरकार से कहा है कि इस बीच वह कानून लाकर इसपर पूर्ण पाबंदी का कानूनी प्रबंध करे। यदि यह सरकार कोर्ट द्वारा तय समयसीमा में कानून नहीं लाती है, तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई पाबंदी आगे भी जारी रहेगी।

ओ गंगा तुम बहती हो क्यों!

समीर राज सिंह - 2017-08-22 16:27 UTC
विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार
करे हाहाकार, निरूशब्द सदा
ओ गंगा तुम, ओ गंगा बहती हो क्यों ?
नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुई
निर्लज्ज भाव से, बहती हो क्यों ?
ओ गंगा तुम..गंगा बहती हो क्यों !

आतंक पर अमेरिकी नीति से बेनकाब चीन

प्रभुनाथ शुक्ल - 2017-08-21 19:21 UTC
वैश्विक आतंकवाद पर भारत और अमेरिका की दोस्ती गांठ काफी मजबूत हो चली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तीसरी दुनिया के सबसे ताकतवर राष्टपति डोनाल्ड टंप की नजदीकियां पाकिस्तान और चीन को मुश्किल में डाल रही हैं। भारत दुनिया के अधिकांश मुल्कों को वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एक मंच पर लाने में कामयाब हुआ है। जिसकी वजह है कि आज अमेरिका, ब्रिेटेन और फ्रांस का अच्छा सहयोग मिल रहा है। अमेरिका ने कश्मीर में आतंकवाद की जड़ हिजबुल मुजाहिदीन को अंतरर्राष्टीय आतंकवादी संगठन घोषित किया है। कूटनीतिक तौर पर आतंकवाद के खिलाफ यह भारत की बड़ी जीत और पाकिस्तान के साथ चीन की पराजय है। जबकि दो महींने पहले संबंधित आतंकी संगठन के सरगना सैयद सलाउद्दीन को अमेरिका ने ग्लोबल आतंकी घोषित किया था। इसके साथ ही अमेरिका की तरफ से मिलने वाली आर्थिक मदद पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

कांग्रेस का अस्तित्व खतरे में

समाजवादी रुझान और तेज तर्रार नेतृत्व ही इसे बचा सकता है
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2017-08-21 19:18 UTC
लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की महिमा सर्वोपरि होती है। जो अपनी अभिव्यक्ति से आमजन को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है, जनमत उसकी ओर खींचा चला जाता है। यहां के बदलते राजनीतिक परिवेश के इतिहास के आईने को साफ - साफ देखा जा सकता है। वर्तमान में राष्टीªय राजनीति पार्टी भाजपा नेतृृत्व में नरेन्द्र मोदी की अभिव्यक्ति में जो तेज , तेवर एवं आकर्षण है वह वर्तमान में राष्टीªय राजनीति पार्टी कांग्रेस नेतृृत्व में कहीं नहीं झलकता। तेज तरार आकर्षण युक्त तेवर कभी राष्टीªय राजनीति पार्टी कांग्रेस में स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी की अभिव्यक्ति में अवश्य झलकता था, जिसकी वजह से श्रीमती गांधी देश की ही नहीं, बल्कि विेश्व स्तर पर अपना प्रभुत्व जमा चुकी थी । वर्तमान में राष्टीªय राजनीति पार्टी कांग्रेस नेतृृत्व में तेज , तरार आकर्षण युक्त तेवर के बजाय भोलापन, निष्पक्ष एवं सरल अभिव्यक्ति का आभास होता है जो वर्तमान राष्टीªय राजनीति में प्रभावहीन साबित हो रहा हैं। विश्व स्तर पर भी तेज , तरार अभिव्यक्ति का प्रभाव देखा जा सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव को इस परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है। जहां अभिव्यक्ति का जोर साफ - साफ झलकता है।

गरीबों और वंचितों का इलाज

उन्हें ओझाओं और झाड़फूंक के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए
डाॅक्टर अरुण मित्र - 2017-08-20 10:09 UTC
मध्यप्रदेश सरकार ने ज्योतिषियों और ओझाओं के लिए एक बाह्य चिकित्सा वार्ड खोलने का निर्णय किया है, जिसमें रोगियों को सलाह दी जाएगी। यहां मरीजों की ग्रहदशा वगैरह का अध्ययन किया जाएगा और उसके आधार पर मरीजों को सलाह दी जाएगी ताकि वे अपनी बीमारियों से छुटकारा पा सकें। उनका इलाज उनकी राशि देखकर किया जाएगा। प्रश्न कुंडली टेक्निक का इस्तेमाल करके राशि देखकर बीमारियों का विश्लेषण किया जाएगा।