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भारतीय रेलवे का शक्ति स्तंभ - डीजल लोकोमोटिव वर्क्स

हरीश कंवर - 2010-06-01 09:58
रेल मंत्रालय के अंतर्गत वाराणसी में स्थित निर्माण इकाई डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (डीएलडब्ल्यू), दुनिया की उन चुनिंदा फैक्ट्रियों में से एक है जिसे सही मायने में समेकित डीजले लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र कहा जा सकता है। संपूर्ण इंजन, अंडरफ्रेम, सुपर स्ट्रक्चर, फ्रैब्राीकेटेड डिब्बे और 2000 से अधिक उपकरण यहां एक छत के नीचे प्लेट, धातु की चादर और पाइप जैसी निर्माण सामग्रियों से तैयार होते हैं। डीएलडब्ल्यू ने 2009-10 के दौरान 258 इंजन तैयार किए जबकि 2002-03 में इसने 112 इंजन ही तैयार किए थे।

झारखंड का राजनैतिक अनिश्चय: कांग्रेस ने सरकार क्यों नहीं बनाई

उपेन्द्र प्रसाद - 2010-06-01 09:47
नई दिल्लीः झारखंड एक बार फिर वहीं खड़ा है, जहां वह 5 महीने पहले खड़ा था। 11 महीने के राष्ट्रपति शासन के बाद मुश्किल से सोरेन की सरकार बनी थी। वह गिरी और फिर कोई दूसरी सरकार बन नहीं सकी। विधानसभा चुनाव के बाद किसी को बहुमत मिला ही नहीं था और बिना बहुमत के श्री सोरेन अपन सरकार बनाने की जिद पर अड़े थे। उनकी उस जिद का फायदा उठाकर भाजपा उनके साथ गठबंधन की सरकार में आ गई और फिर उसने 5 महीने के बाद समर्थन वापस ले लिया और सरकार से बाहर हो गई।

स्वदेशी हल्का लड़ाकू हैलिकाप्टर: रक्षा क्षेत्र में भारत की एक और उपलब्धि

सुरेश प्रकाश अवस्थी - 2010-05-31 12:00
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भारत ने एक और कदम मजबूती से रखा है । रविवार 23 मई 2010 को बेंगलुरू में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड की हवाई पट्टी पर देश में बने हल्के लड़ाकू हैलिकाप्टर (एलसीएच) के हवा में पहली उड़ान भरने के साथ ही भारत दुनिया के उन गिने चुने देशों में शामिल हो गया जिनके पास इस तरह के हैलिकाप्टर बनाने की क्षमता है। इसे रक्षा उत्पादन क्षेत्र में भारत की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है । करोड़ों भारतीयों का सिर उस समय गर्व से ऊंचा हो गया जब इस हैलिकाप्टर ने बेंगलूरू के आकाश में 20 मिनट तक अपने हैरत अंगेज करतब दिखाये और अपनी अद्भुत युद्धक क्षमता का परिचय दिया।

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने दिखाया अपना फासीवादी चेहरा

केन्द्र सरकार को अपनी रणनीति के बारे में फिर से सोचना होगा
आशीष बिश्वास - 2010-05-31 11:57
कोलकाताः गोरखा जनमुक्ति मोर्चा जिस रास्ते पर चल रहा है वह सुभाष धिसिंग के गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्र्रट का रास्ता है। आज सुभाष धिसिंग और उनकी पार्टी को कौन जानता है? पिछले दिनों जो घटना घटी, उससे यही लगता है कि घिस्रिग की पार्टी की तरह ही गोरखा जनमुक्ति मोर्चा इतिहास के कूडे़दान में दिखाई देगी, क्योंकि इस तरह के फासीवादी संगठन का यही हश्र होता है।

बंगाल के शहरी निकाय चुनाव

ममता बनर्जी ने हद कर दी
आशीष बिश्वास - 2010-05-29 13:08
कोलकाताः कोलकाता सहित पश्चिम बंगाल के 81 नगरों और महानगरों में हो रहे स्थानीय निकाय चुनावों में मुख्य मुकाबला वाम मोर्चा और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के बीच है और इसमें ममता बनर्जी भारी दिख रही है। लेकिन चुनाव प्रचार में ममता ने जो रुख अपना रखा है, वह राज्य की भावी राजनीति और इसके भविष्य को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करेगा।

झारखंड के सबक

छोटे राज्यों की स्थिरता निश्चित नहीं
कल्याणी शंकर - 2010-05-28 10:35
झारखंड में राजनैतिक अस्थिरतर बरकरार है और यहां जल्द ही राष्ट्रपति शाषण लगाया जा सकता है। इस स्थिति के लिए भाजपा और कांग्रेस को बहुत हद तक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिन्होंने सत्ता के लालच में राज्य को इस मुहाने पर खड़ा कर दिया है।

भारत: जनगणना 2011 - क्या आप जानते हैं?

विशेष संवाददाता - 2010-05-27 09:06
पिछले दशकों में देश की प्रगति की समीक्षा और सरकार की मौजूदा योजना की निगरानी करने का आधार जनगणना होती है। जगणना 2011 देश की 15वीं राष्ट्रीय जनगणना है।

जाति जनगणना पर माथापच्ची, खतरे काल्पनिक नहीं हैं

उपेन्द्र प्रसाद - 2010-05-27 08:59
पिछले बजठ सत्र के दौरान लोकसभा में जाति आधारित जनगणना को लेकर आम राय बनी थी। सभी पार्टियों के वक्ताओं ने एक सुर मंे जाति को भी जनगणना में शामिल करने की मांग की थी। प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि वे संसद की भावना को ध्यान में रखते हुए इस पर निर्णल लेंगे। वरिष्ठ सांसदों से निजी बातचीत करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने जाति को जनगणना में शामिल करने का भरोसा दिलाया था। बाद में वित्त मंत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि जनगणना में जाति को शामिल किया जाएगा।

हम भूख से मरें और आप गुलछर्रे उड़ायें !

कुमार अमिताभ - 2010-05-27 08:55
जिस देश में एक तरफ भूख से लोग मरें, मेहनतकश इंसान सूदखोरों व दलालों के भय से आत्महत्या पर मजबूर हों, वहीं सरकारी गोदामों में रखा अनाज सड़े और आई पी एल क्रिकेट तथा कामनवेल्थ गेम जैसे खेल-तमाशों में अरबों रूपये उड़ाए जाएं तो किसको रोएं, यह प्रश्न, यक्ष प्रश्न को भी मात दे सकता है। ऐसा क्यूं है? देश की संपत्ति पर कुंडली मारे लोग सरकार व उसकी प्रबंध व्यवस्था पर इस कदर काबिज हैं कि घृतराष्ट्र दृष्टि भी शरम खाए। देश के कई राज्यों से लगातार आती ऐसी रपटें दिल दहला देती हैं। जब बच्चे मिट्टी खाने को मजबूर होते हैं। तो कोई आम की गुठली पर जिंदगी बिता रहा है। कहीं जंगली पत्तो से क्षुधा का शमन किया जा रहा है। ऐसा क्यूं है कि संपन्न्ता के विराट प्रतिमान सामने होते हुए भी लोग, मूल आवश्यकता की पूर्ति के अभाव में मर जाएं, ऐसे भी स्थल है, जहां मात्र 20 रूपये का भोजन 200 से 20,000 तक रूपये चुकाकर खाने वाले हैं, तो दूसरी तरफ दिनभर खटकर मात्र 20 रूपये हासिल कर पाने में अक्षम और उस पर जीवित नागरिकों की संख्या लगभग 80 प्रतिशत है।

5 हजार किलोमीटर तक की मारक क्षमता की अग्नि-5 मिसाईल का परीक्षण अगले वर्ष

विशेष संवाददाता - 2010-05-26 12:01
नयी दिल्ली: डीआरडीओ प्रमुख डॉ.वी.के.सारस्वत ने कहा है कि जटिल रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता एक मात्र रक्षा और अनुसंधान संगठन द्वारा प्राप्त नही की जा सकती है। आज डीआरडीओ प्रौद्योगिकी दिवस पुरस्कार समारोह में अपने वक्तव्य में उन्होंने तीनों सेनाओं से नवीनतम हथियारों की कमी को विदेशों से पूरा करने का आहवान किया।