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म्यान्मार के साथ भारत का बढ़ता आर्थिक संबंध

यह लुक ईस्ट नीति के हक में नहीं
आशीष बिश्वास - 2010-07-12 12:55
कोलकाताः म्यान्मार के सांसद टिंट स्वे ने असम में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेंस में भारत की लुक ईस्ट नीति की चर्चा की। उन्होंने कहा कि अपनी लुक ईस्ट नीति के तहत भारत म्यान्मार से आर्थिक संबंधों को मजबूत कर रहा है, लेकिन वहां की मिलिटरी जन्ता के साथ उसका घालमेल इस नीति के पक्ष में नहीं हो सकता।

कश्मीर घाटी: भारत-पाक वार्ता में कसीदगी का प्रयास?

ओ.पी. पाल - 2010-07-12 12:50
कश्मीर घाटी में अलगाववादी संगठनों का प्रदर्शन शायद भारत-पाक के बीच अगले सप्ताह इस्लामाबाद में होने वाली बातचीत के मुद्दे को बदलने के मकसद से की जा रही है। जम्मू-कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए कश्मीरी अलगाववादी संगठनों को सीमापार यानि पाकिस्तान से धन मुहैया होने की आशंका को स्वयं अलगाववादी संगठनों के लोग ही पुष्ट करते जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने अलगाववादी नेताओं के बीच हुई बातचीत को ट्रेस करके अलगाववादी संगठनों के इरादे भांप लिये हैं।

महिलाओं को अधिक होती है ग्रोथ हार्मोनों की कमी

विशेष संवाददाता - 2010-07-12 12:45
अपने शिशु को स्तनपान नहीं कराने वाली महिलाओं को शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हार्मोनों की कमी अर्थात एडल्ट ग्रोथ हार्मोन डिफिशिएंसी (ए जी एच डी) से पीड़ित होने की आशंका अधिक होती है। यह आशंका उन महिलाओं को भी अधिक होती है जिन्हें मासिक धर्म के समय अधिक रक्त स्राव होता है।

कंकाल से बनेगा फेफड़ा

सम्वाददाता - 2010-07-12 12:39
फेफड़े के असाध्य बीमारियों से ग्रस्त मरीज आने वाले समय में अपने खराब हो चुके फेफड़े के स्थान पर कंकाल से बने फेफड़े का प्रत्यारोपण करा कर नया जीवन पा सकेंगे।
भारत: खेल जगत

सानिया को पीछे छोड़ती सायना

सुशीला कुमारी - 2010-07-12 12:36
टेनिस जगत में धूमकेतु की तरह उभरी सानिया मिर्जा को भरपूर लोकप्रियता मिली। दर्शकों और मीडिया ने उन्हें सिर-माथे पर बिठाया लेकिन दूसरी तरफ बैंडमिंटन जगत की तेजी से उभरती खिलाड़ी सायना नेहवाल की काफी हद तक अनदेखी की गयी लेकिन वह अपनी खेल प्रतिभा के बल पर लोकप्रियता के मामले में सानिया मिर्जा को पीछे छोड़ रही है।

विश्व जनसंख्या दिवस 2010- हरेक की गणना आवश्यक

वी मोहन राव - 2010-07-12 08:03
हरेक की गणना आवश्यक है- यह विश्व जनसंख्या दिवस, 2010 का ध्येयवाक्य है जो ग्यारह जुलाई को है। यह एक ऐसा वार्षिक समारोह है जो विश्व जनसंख्या के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष का ध्येयवाक्य लोगों को आधिकारिक जनगणना या जनसंख्या पर आंकड़े जुटाए जाने वाली अन्य प्रकियाओं में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करने वाला है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने सन् 1989 में इस दिवस का शुभारंभ किया था जिसका लक्ष्य परिवार नियोजन का महत्व, महिला-पुरूष समानता, गरीबी, मातृत्व स्वास्थ्य, यौन एवं प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य और मानवाधिकार जैसे जनसंख्या संबंधी मुद्दों के बारे में लोगों की जागरूकता में वृद्धि करना था। इन सभी तत्वों का विश्व के विकास एवं पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ता है।

महिला सशक्तिकरण: समान अधिकार, समान अवसर

अनीता पटनायक - 2010-07-12 07:56
भारत में महिलाओं की स्थिति में एक बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है। महिलाओं की मर्यादा और उनके लिए समान अवसर सुनिश्चित करने की संवैधानिक गारंटी के साथ ही शिक्षा, राजनीति,खेलेकूद आदि विभिन्न क्षेत्रों में उनकी सक्रिय भागीदारी लगातार बढ ऱही है।

होम्योपैथी से जापानी इनसेफ्लाइटिस वायरस के संक्रमण से बचाव संभव

विशेष संवाददाता - 2010-07-12 07:49
नई दिल्ली: अभी हाल ही में हुए अध्ययन से पता चला है कि होम्योपैथिक औषधि बेल्लाडोन्ना जापानी इनसेफ्लाइटिस वायरस के संक्रमण से बचाव कर सकती है। यह अध्ययन भारत सरकार के आयुष विभाग के तहत केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के सहयोग से कोलकाता के उष्ण औषधि विद्यालय ने कराया है।

कानूनी बदलाव मात्र से नहीं रूकेगी ऑनर किलिंग

ओ.पी. पाल - 2010-07-09 08:19
देश में जैसे-जैसे ऑनर किलिंग यानी इज्जत के नाम पर हो रही हत्याओं पर बहस तेज हो रही है वैसे ही ऑनर किलिंग की घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार ने ऑनर किलिंग को रोकने की दिशा में भारतीय दंड संहिता और अपराध प्रक्रिया संहिता में संशोधन करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय पर सवाल उठता है कि क्या आईपीसी और सीआरपीसी में बदलाव से ऑनर किलिंग को रोका जा सकेगा। रणनीतिकारों और विशेषज्ञों की माने तो इसके लिए सरकार को कठोर कदम और कमीशन ऑफ सती जैसे सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है, लेकिन लगता है कि कानून में बदलाव के लिए जिस प्रकार से सरकार ने मंत्रि समूह का गठन करने और राज्यों से सुझाव लेने की बात कही है उससे नहीं लगता कि सरकार इस कानून में आगामी मानसून सत्र में इस प्रक्रिया को अंजाम दे पाएगी।
दूरदर्शन परिदृश्य

भारतीय चरित्रता को दर्शाते धारावाहिक

एम विजय कुमार - 2010-07-09 07:49
दूरदर्शन पर धारावाहिके के आगमन एवं प्रसारण यात्रा काफी लम्बी है। या यूं कहिए पांच दशक पुरानी दास्तां जो बयां करने के लिए काफी शब्दों की आवश्यकता पड़ेगी। यात्रा की शुरूआत लोकप्रिय लेखकों की कहानियों पर आधारित धारावाहिकों की यात्रा आरम्भ हुई। ग्रामीण जनता के संघर्ष की कहानियां तो मुंशी प्रेमचन्द ने अपनी सशक्त कलम से पन्नों पर उतारी और बाद में दूरदर्शन ने अपनी दूरदृष्टि को अपनाकर आम जनता तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया। शहरी और ग्रामीण जनता के मनोरंजन को ध्यान में रखकर शरत चन्द्र और रविन्द्रनाथ टैगोर के साथ ही साथ शरत जोशी और मनोहर ‘याम जोशी एवं कुन्दन तथा कुमार वासुदेव जैसे दिग्दर्शकों ने अपनी बुद्विमत्ता के अनुसार हमलोग और बुनियाद के माध्यम से आम जनता का मनोरंजन किया इसे देखते हुए फिल्मी दुनिया के दिग्गजों ने भी दूरदर्शन पर अपना भाग्य रामायण और महाभारत एवं टीपू सुल्तान के माध्यम से दूरदर्शन पर अपनी उपस्थिति दर्ज की। रामानन्द सागर, संजय खान, प्रेम किशन, बी.आर.चोपड़ा तथा जी.पी.सिप्पी जैसे दिग्गजों ने लम्बे धारावाहिकों की श्रृंखला शुरू की।