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कोश्यारी ने राज्यपाल पद की गरिमा नहीं रखी

वे राज्यपाल पद पर बने रहने के योग्य नहीं
अनिल जैन - 2020-10-15 11:23 UTC
संविधान की अनदेखी कर मनमाने तरीके से काम करने और अपने सूबे की सरकार के लिए नित-नई परेशानी खड़ी करने के लिए कुख्यात महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने एक बार फिर उद्दण्डता और निर्लज्जता का परिचय देते हुए साबित किया है कि वे राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर बने रहने की न्यूनतम पात्रता भी नहीं रखते हैं। कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन के दौरान बंद किए गए मंदिरों को खोलने की अनुमति न दिए जाने पर सवाल उठाते हुए राज्यपाल कोश्यारी ने सूबे के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जिस बेहूदा लहजे में पत्र लिखा है, वह न सिर्फ मुख्यमंत्री का बल्कि देश के उस संविधान का भी अपमान है, जिसकी शपथ लेकर वे राज्यपाल के पद पर बैठे हैं।

कोविड-19 और हमलोग

कोरोनावायरस एक चुनौती है और संदेश भी
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-10-14 10:17 UTC
पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत भी कोरोनावायरस की चपेट में है। भारत इससे शेष दुनिया की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही पीड़ित है। सबसे ज्यादा संक्रमित संख्या वाला देश बनने की ओर यह अग्रसर है और वायरस के संक्रमण से ज्यादा खतरनाक इसे अपनी अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर हो रहा है। चारों ओर तबाही ही तबाही है। सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों से समस्या सुलझने के बदले और भी विकराल होती जा रही है। इस आपदा को अनेक निहित स्वार्थ अवसर में तब्दील करने पर लगे हुए हैं, जिससे जनत्रासदी और भी बढ़ रही है। दुर्भाग्य है कि उन स्वाथी तत्वों में हमारी सरकार भी शामिल हो गई है, जो इस आपदा के समय में आर्थिक नीतिगत मोर्चे पर ऐसे ऐसे बदलाव कर रही है, जिससे लोगों का शोषण और उत्पीड़न आने वाले समय में और बढ़ेगा। श्रम कानूनों को श्रमिकों के खिलाफ किया जा रहा है। अन्य कानूनों का भी यही हाल है।

भारतीय अर्थव्यस्था अब पटरी पर आती दिख रही है

सरकार को कोविड काल में इसे नई गति देने के लिए तैयार रहना चाहिए
नंतू बनर्जी - 2020-10-13 10:10 UTC
यह अच्छा है कि देश का जीएसटी संग्रह मार्च के बाद पहली बार विकास की पटरी पर लौटा है। आर्थिक गतिविधियों का क्रमिक सामान्यीकरण और लॉकडाउन प्रतिबंधों से बाहर निकलना और एक पूरे इलाके या एक विशेष घर के लिए आवास परिसर पर प्रतिबंध क्षेत्रों की परिभाषा को बदलना मुख्य रूप से देश की आर्थिक स्थिति में थोड़ी सुधार के लिए जिम्मेदार हैं। इससे सरकार के उपभोक्ता कर संग्रह को बेहतर बनाने में मदद मिली है।

सिर्फ विज्ञापन चोरी का मामला नहीं है टीआरपी घोटाला

यह देश और समाज को मानसिक रूप से बीमार करने का मामला भी है
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-10-12 10:16 UTC
टीवी चैनलों के टीआरपी घोटाले की चर्चा भले आज बहुत तेज हो गई हो, लेकिन यह कोई नया घोटाला नहीं है। 2000 ईस्वी से टीआरपी की सिस्टम अस्तित्व में आई थी। तब कोई टैम नाम का संगठन इसे संचालित करता था। उसने देश के मात्र 2000 घरों में अपनी मशीन लगा रखी थी और मात्र 2000 घरों में देखे जा रहे प्रोग्राम्स या न्यूज के आधार पर वह तय कर देता था कि देश के करोड़ों लोगों में सबसे कितने करोड़ ने किस चैलन को देखे।

बज चुका है मध्यप्रदेश में उपचुनाव का बिगुल

कमलनाथ और सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है
एल एस हरदेनिया - 2020-10-10 10:03 UTC
भोपालः कांग्रेस और भाजपा दोनों द्वारा उम्मीदवारों की सूचियों की घोषणा के साथ, 28 विधानसभा क्षेत्रों में युद्ध की रेखाएँ खींच दी गई हैं। 3 नवंबर, 2020 को जनता मतदान करने वाली हैं।

रामविलास पासवान का निधन और बिहार चुनाव

करवट ले सकती है बिहार की राजनीति
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-10-09 08:35 UTC
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच रामविलास पासवान का निधन एक बड़ी घटना है, जिसका असर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है। वैसे उनकी मौत कोई अकाल मौत नहीं है, जिसके कारण एक सहानुभूति लहर दौड़ जाती है। वे बहुत दिनों से बीमार थे और एक महीने से भी ज्यादा समय से अस्पताल में गंभीर हालत में भर्त्ती थे। दस साल से भी पहले उन्हें एक बार हार्ट अटैक आया था और उसके बाद से ही वे लगातार इलाज में चल रहे थे। इस बार उनकी तबियत कुछ ज्यादा ही खराब थी। हृदय रोग के साथ साथ उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी और अन्य महत्वपूर्ण अंग भी सही तरीके से काम नहीं कर रहे थे। लिहाजा, उनकी यह मौत आकस्मिक नहीं है। उनके समर्थकों को भी लग रहा था कि कुछ अप्रिय हो सकता है।

भारत के चौबोलों के पास सबकुछ है

प्रभावी ट्रस्ट वॉचडॉग की आवश्यकता है
के रवीन्द्रन - 2020-10-08 09:54 UTC
राहुल गांधी के लिए मोदी को कोसना एक पसंदीदा शगल है। वह नीरस लगने की बात की हद तक दैनिक दिनचर्या के रूप में ऐसा कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने मोदी सरकार के बारे में कुछ जमीनी सच्चाइयाँ कही हैं, जो दुर्भाग्यवश इस पर लोगां का ध्यान नहीं गया है। इसका कारण यह है कि राहुल गांधी में एक ही बात को दुहराते रहने की आदत है।

बिहार चुनाव में हो रही है दिलचस्प बातें

चिराग का निशाना नीतीश, तो तेजस्वी कन्हैया को लेकर अभी भी सशंकित
अरुण श्रीवास्तव - 2020-10-07 10:39 UTC
जाहिर तौर पर एनडीए और ग्रैंड अलायंस, दोनों गठबंधनों के नेताओं ने एक प्रभावी सीट साझा करने के फॉर्मूले को सफल बनाने में कामयाबी हासिल की है, लेकिन बंद कमरे की चर्चाओं से निकलने वाले असंतोष के स्वर प्रमुख विस्फोटकों की ओर इशारा करते हैं।

बांग्लादेश ने भारत और चीन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है

बड़ी ताकतों के साथ मोलभाव करने के प्रति अब ढाका आश्वस्त है
आशीष विश्वास - 2020-10-06 09:47 UTC
भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंधों में मौजूदा गतिरोध उम्मीद से ज्यादा लंबा चल सकता है। विदेश सचिव श्री हर्षवर्धन श्रृंगला द्वारा की गई ढाका की हालिया यात्रा एक अच्छा प्रतीकात्मक संकेत थी, लेकिन दो मुद्दों पर बहुत कम आंदोलन हुआ है। भारत को 2012 से लंबित तीस्ता नदी जल बंटवारे के प्रस्ताव पर अपने रुख की घोषणा करना बाकी है। अब चीन ने बांग्लादेश के उत्तरी जिलों में 300 मिलियन डॉलर की परियोजना की पेशकश की है, ताकि शुष्क मौसम के दौरान स्थानीय पानी की जरूरतों और संबंधित समस्याओं का ध्यान रखा जा सके। भारत और म्यांमार के बीच दिल्ली में हाल ही में विदेश सचिव स्तर की वार्ता के दौरान 860,000 से अधिक की संख्या में, वर्तमान में, बांग्लादेश में रोहिंग्या घुसपैठ पर कोई विशेष प्रयास नहीं किए गए थे।

भाजपा की रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं चिराग

अतिशय विश्वास नीतीश को पड़ सकता है भारी
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-10-05 11:00 UTC
बिहार में इतिहास दुहराया जा रहा है। 2005 में केन्द्र में यूपीए की सरकार थी। उसमें रामविलास पासवान और लालू यादव मंत्री थे। उसी साल बिहार में विधानसभा के चुनाव हुए। तब चुनाव में लालू यादव का राजद और यूपीए का नेतृत्व कर रही कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़े, लेकिन केन्द्र में यूपीए सरकार का हिस्सा होने के बावजूद रामविलास पासवान अलग होकर लड़े। अब 2020 में केन्द्र में नीतीश कुमार और रामविलास पासवान एनडीए का हिस्सा हैं। बिहार में विधानसभा का चुनाव हो रहे हैं। एनडीए का नेतृत्व करने वाली भारतीय जनता पार्टी और नीतीश का जदयू मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं और रामविलास पासवान की पार्टी अलग से चुनाव लड़ रही है। उस समय चुनाव प्रचार के दौरान और उसके पहले से ही रामविलास पासवान बिहार को जंगल राज कहते थे और लालू यादव की आलोचना में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। आज उनका बेटा चिराग पासवान भी नीतीश कुमार की आलोचना में किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ रहे हैं।