Loading...
 
Skip to main content

View Articles

नफ़रत की राजनीति की आयु लंबी नहीं होती, पर बहुत नुकसानदायक होती है

नफरत की राजनीति से मुकाबला के लिए एकजुटता जरूरी
विशेष संवाददाता - 2019-08-08 16:47 UTC
हमारे देश के और दुनिया भर के बेहतरीन वैज्ञानिकों की अपने समाज के विषय में स्पष्ट समझ होती है जो मानवीय मूल्यों की ही पक्षधर होती है लेकिन हमारे यहां और दुनिया के कई देशों में आज जो सत्ता पर काबिज़ ताकतें हैं वे तमाम मनगढ़ंत अवधारणाओं को अपने हितों के लिए उभार रही हैं, जो कि समाज के लिए खतरनाक है। यह विचार प्रख्यात ऊर्जा विज्ञानी व जन विज्ञान कार्यकर्ता प्रबीर पुरकायस्थ के हैं। भोपाल में “आज के हालात - चुनौतियां और विकल्प” विषय शैलेन्द्र शैली स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए।

मौलाना आजाद और भारत छोड़ो आंदोलन

जरा याद करो कुर्बानी
एल एस हरदेनिया - 2019-08-08 09:16 UTC
सच पूछा जाए तो कांग्रेस ने भारत छोड़ो आंदोलन की तिथि तय नहीं की थी। वास्तव में अप्रत्यक्ष रूप से भारत छोड़ो आंदोलन की तिथि अंग्रेज़़ों ने तय कर दी थी। हुआ यह कि 7 और 8 अगस्त 1942 को बंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का अधिवेशन आयोजित किया गया था। अधिवेशन में ही 8 अगस्त को यह प्रस्ताव पारित हुआ कि अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद को कह दिया जाए कि अब आप भारत को छोड़ दें। गांधी जी को उम्मीद थी कि इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद शायद अंग्रेज़ शासक कांग्रेस को बातचीत के लिए आमंत्रित करेंगे। परंतु ऐसा नहीं हुआ और 9 अगस्त की प्रातः 4 और 5 बजे के बीच कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया उनमें महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुलकलाम आज़ाद, सरोजनी नायडू आदि शामिल थे। सच पूछा जाए तो कांग्रेस की पूरी की पूरी कार्यकारिणी के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया था।

क्यों पिछड़े हैं ओबीसी, दलित और आदिवासी?

सामाजिक पूंजी का अभाव उनके बढ़ते कदम को रोकता है
डाॅ अनिल यादव - 2019-08-07 10:12 UTC
भारत में आदिवासी, दलित व ओबीसी के लोग सब जगह पिछड़े हैं, तो उसका एक प्रमुख कारण इन वर्गों के व्यक्तियों के पास सामाजिक पूँजी का भारी अकाल होना भी है। अमेरिका की ड्युक विश्वविद्यालय के समाज शास्त्र के प्रोफेसर नान लिन ने एक अभूतपूर्व व्यापक परिवर्तनकारी “सामाजिक पूँजी” का सिद्धांत पेश किया, जिसे पूरी दुनिया में मान्यता मिली। नान लिन ने जबरदस्त तर्कों, तथ्यों, आंकड़ो द्वारा सिद्ध कर दिया कि “आप क्या जानते हैं और किसे जानते हैं, वह आपके जीवन और समाज में फर्क लाता है।” अर्थात यदि दो व्यक्ति एक समान योग्यता के हैं, मान लीजिये दोनों के पास बी. टेक. की डिग्री है, लेकिन एक व्यक्ति ‘किसे’ जानता है के मामले में आगे है, तो जीवन में भी वही आगे जाएगा।

कश्मीर के विशेष दर्जे की समाप्ति

मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-08-06 09:30 UTC
जनसंघ के दिनों से ही धारा 370 को समाप्त करना भाजपा नेताओं का सपना रहा है। इस सपने को नरेन्द्र मोदी की सरकार ने आखिरकार पूरा कर ही दिया। वैसे 370 पूरी तरह समाप्त हुआ भी नहीं है। इसके वे ही प्रावधान समाप्त हुए हैं, जिनसे जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था। भाजपा के नेता जब 370 को हटाने की मांग करते थे, तो उनका मतलब इस विशेष दर्जे को हटाने से ही होता था।

आरएसएस की पत्रिकाएं राष्ट्रीय मीडिया को हिन्दू विरोधी कहती है

उन पत्रिकाओं में ‘मुस्लिम अत्याचार’ को मिल रहा है कवरेज
एल एस हरदेनिया - 2019-08-05 10:52 UTC
भोपलः ‘उल्टा चोर कोतवाल से डाटे’ एक प्रसिद्ध हिंदी कहावत है। यह कहावत पूरी तरह से दो सप्ताहिक ‘आॅर्गेनाइजर’ और ‘पांचजन्य’ पर लागू होती है जो आरएसएस के संरक्षण में छपती हैं। लगभग हर अंक में दोनों में ‘नारद’ नामक एक कॉलम छपता है। संयोग से आरएसएस का मानना है कि नारद मानव सभ्यता के पहले रिपोर्टर थे। भोपाल स्थित पत्रकारिता विश्वविद्यालय, जब यह आरएसएस द्वारा नियंत्रित किया गया था, अपने छात्रों को बताता था कि यदि वे एक आदर्श खोजी पत्रकार बनना चाहते हैं तो उन्हें नारद से सीखना चाहिए। यहाँ मैं उल्लेख करना चाहूंगा कि जुलाई 2019 के महीने में प्रकाशित दोनों साप्ताहिकों में क्या लिखा था।

तीन तलाक विरोधी विधेयक

विपक्ष ने इसे क्यों पारित होने दिया
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-08-03 10:20 UTC
मुस्लिम पुरूषों द्वारा अपनी पत्नियों को तीन तलाक देने की प्रथा को आपराधिक घोषित करने वाला विधेयक बहुत ही आसानी से राज्यसभा से पारित हो गया, जबकि जिन पार्टियों ने इसका राज्यसभा के पटल पर ही विरोध किया था, उनके सांसदों की संख्या बहुमत में है। इस विधेयक के पक्ष में मात्र 99 मत पड़े, जबकि राज्यसभा सांसदों की संख्या कुल संख्या उस दिन 240 थी। यानी 141 सांसदों ने इसके पक्ष में मतदान नहीं किया। इन 141 सांसदों में अरुण जेटली जैसे भाजपा सांसद भी शामिल हैं, जो अस्वस्थ होने के कारण मतदान के दिन उपस्थित नहीं हो सकते थे। इसके बावजूद यह तो स्पष्ट है कि वैसे सांसद भारी बहुमत में थे, जिनकी पार्टियों ने राज्यसभा में इस मसले पर हुई बहस के दौरान इस विधेयक का विरोध किया था।

विभाजित विपक्ष ने भाजपा को अजेय बनाया

विपक्ष के विश्वसनीय नेता के रूप में कांग्रेस विफल
अरुण श्रीवास्तव - 2019-08-02 10:27 UTC
एक बार फिर वही पुरानी कहानी राज्यसभा के पटल पर दोबारा देखी गई। ट्रिपल तलाक विधेयक को पराजित करने की अपनी प्रतिज्ञा के बावजूद वाम और धर्मनिरपेक्ष दलों ने भाजपा सरकार को मतदान अनुपस्थित रह कानून बनाने में मदद की। अगर इन ताकतों ने वोटिंग से परहेज नहीं किया होता तो बिल जरूर हार जाता।

मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

सरकारों ने उसकी कोई परवाह नहीं की
अनिल जैन - 2019-08-01 19:27 UTC
देश में उन्मादी भीड़ की दलित, मुस्लिम और अन्य कमजोर तबके के लोगों पर अकारण हिंसा यानी मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाएं जिस तरह तेजी से बढती जा रही हैं, वह बेहद चिंतित करने वाली हैं। ये घटनाएं देश में एक तरह से गृहयुद्ध का वातावरण बना रही हैं और देश की एकता के गंभीर संकट पैदा कर रही हैं। शायद यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तरह की घटनाओं के प्रति उदासीन बनी केंद्र और संबंधित राज्यों की सरकारों से जवाब तलब किया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने इन सरकारों को नोटिस जारी कर पूछा है कि मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए पिछले एक साल में क्या-क्या कदम उठाए हैं।

ईरान से अपने संबंध को लेकर भारत अमेरिका को विश्वास में ले

वॉशिंगटन भारत की ईरान नीति में बाधा नहीं डाल सकता
अशोक बी शर्मा - 2019-08-01 19:23 UTC
दक्षिण एशिया का एकीकरण अभी भी एक दूर का सपना है। पाकिस्तान इस क्षेत्र में एकीकरण के रास्ते में एकमात्र अड़चन है। दो प्रमुख शक्तियों भारत और पाकिस्तान के बीच कड़वाहट ने क्षेत्रीय निकाय, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) में एकीकरण की प्रक्रिया को रोक दिया है। इस्लामाबाद ने भारत की एक और सार्क देश, अफगानिस्तान तक पहुंच से वंचित कर दिया है। लेकिन ईरान, जो एक दक्षिण एशियाई देश नहीं है, ने नई दिल्ली को अपने चाबहार बंदरगाह का उपयोग करने और अफगानिस्तान में माल का परिवहन करने की पेशकश की है। भारत ने आंशिक रूप से बंदरगाह विकसित किया है और माल अफगानिस्तान भेजा जा रहा है। भारत ने चाबहार को अफगानिस्तान से जोड़ने वाली 240 किलोमीटर लंबी सड़क पहले ही विकसित कर ली है।

मध्यप्रदेश भाजपा का नेतृत्व बदहवाश

अनेक भाजपा विधायक कमलनाथ के संपर्क में
एल एस हरदेनिया - 2019-08-01 19:21 UTC
भोपालः स्थानीय अखबारों में छपी खबरें अगर कोई संकेत हैं, तो राज्य बीजेपी की स्थिति खराब है। पार्टी में ब्लेम गेम शुरू हो गया है। तमाम स्थानीय भाजपा नेताओं की उंगली विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव पर उठ रही है। इस बात की पूरी संभावना है कि भार्गव को हटाने की मांग की जा सकती है। भार्गव को कभी भी एक चतुर नेता नहीं माना गया। भाजपा में अभी भी कई लोगों का मानना है कि इस महत्वपूर्ण समय में भार्गव विपक्षी नेता के लिए उचित नहीं हैं। उन्हें उत्तेजक बयानों के लिए जाना जाता है। विधानसभा चुनाव की कार्यवाही के दौरान कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर कुछ साल पहले एक महिला कांग्रेस विधायक ने उन पर चप्पल फेंकी थी।