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राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक स्वास्थ्य चिंताओं को नजरअंदाज करता है

निजी क्षेत्र को मेडिकल शिक्षा में छूट ही छूट मिली है
डॉ अरुण मित्रा - 2019-08-01 18:31 UTC
29 जुलाई, 2019 को लोकसभा में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक का पारित होना भारत के स्वास्थ्य सेवा इतिहास का एक काला दिन होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है, और खासकर तत्कालीन अध्यक्ष डॉ केतन देसाई द्वारा भ्रष्ट प्रथाओं के उजागर होने के बाद। निजी मेडिकल कॉलेजों के साथ मेडिकल काउंसिल के कुछ उच्चतर पदों पर बैठे लोगों के साथ नापाक गठबंधन की रिपोर्ट आ रही थी।

कमलनाथ ने दिया भाजपा को करारा झटका

दो विधायक पहुंचे कांग्रेस के पाले में
एल एस हरदेनिया - 2019-07-26 19:16 UTC
भोपालः कर्नाटक में मिली सफलता के बाद भाजपा को मध्यप्रदेश में गहरा झटका लगा, जब पार्टी के दो विधायकों ने बुधवार को आपराधिक कानून (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक 2019 पर मत विभाजन के दौरान कमलनाथ सरकार को वोट दिया। कांग्रेस ने इसे कर्नाटक प्रकरण का उत्तर कहा है।

प्रियंका की सोनभद्र यात्रा से कांग्रेसजनों में उत्साह बढ़ा

अब प्रियंका को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की हो रही है मांग
प्रदीप कपूर - 2019-07-26 10:34 UTC
लखनऊः प्रियंका गांधी ने खुद को एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित किया है, जो सड़क पर उतरकर पीड़ितों के साथ खड़े हो सकते हैं। जिस तरह से उन्होंने सोनभद्र जिले में आदिवासियों के परिवारों के साथ खुद को खड़ा किया, उससे तो ऐसा ही लगता है। गौरतलब हो कि सोनभद्र जिले में आदिवासियों का नरसंहार हुआ था।

ट्रंप को माथे पर बिठाने से यही हासिल होना था

भारतीय नेतृत्व हकलाते हुए लीपापोती कर रहा है
अनिल जैन - 2019-07-25 11:50 UTC
कश्मीर मसले पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने संबंधी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान सच हो या झूठ, फिलहाल तो उसने भारतीय कूटनीति और नेतृत्व को सवालों के घेरे में खडा कर दिया है। उसे भले ही भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर नकार दिया गया हो, लेकिन ट्रंप ने अपना बयान वापस नहीं लिया है। दरअसल, कश्मीर मसले पर मध्यस्थ बनने की अमेरिकी हसरत नई नहीं है। शीत युद्ध के समय से ही कश्मीर में अमेरिका की रुचि रही है। वह चाहता है कि कश्मीर या तो पाकिस्तान के कब्जे में आ जाए या फिर स्वतंत्र रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच बफर स्टेट बन जाए ताकि वहां वह अमना सैन्य अड्डा कायम कर दक्षिण एशिया में सक्रिय दखल बढा सके। इसीलिए अमेरिकी राष्ट्रपति समय-समय पर दबे स्वरों में कश्मीर पर पंच बनने की इच्छा जताते रहे हैं, लेकिन भारत की ओर से हमेशा यही कहा गया कि यह द्विपक्षीय मसला है और इसका समाधान भारत और पाकिस्तान ही आपस में निकाल सकते हैं।

कर्नाटक का नाटकः अभी असली ड्रामा बाकी है

उपेन्द्र प्रसाद - 2019-07-24 10:19 UTC
कर्नाटक के नाटक के एक दृश्य पर पर्दा गिर गया है। जनता दल (सेकुलर) के नेतृत्व वाली कुमारस्वामी की गठबंधन सरकार का पतन हो गया है। कुमारस्वामी सरकार को 99 मत मिले और विरोध में 105 मत पड़े। यह आंकड़ा अप्रत्याशित नहीं है, क्योंकि बागी कांग्रेस, जद(स) और निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में लाने में कुमारस्वामी विफल रहे और स्पीकर द्वारा विश्वासमत पर मतदान में विलंब कराने की राजनीति काम नहीं आई।

सीपीआई के नये महासचिव डी राजा के सामने कठिन चुनौती

भाजपा को चुनौती देने के लिए वामपंथी लोकतांंित्रक एकता वक्त की जरूरत
नित्य चक्रवर्ती - 2019-07-23 09:51 UTC
सुधाकर रेड्डी के इस्तीफे के बाद सीपीआई के नए महासचिव के रूप में कार्यभार संभाला है। राजा तीन दशकों से अधिक समय से पार्टी के जाने माने नेता हैं और वे सरकार और विपक्ष से निपटने में सीपीआई नेताओं में सबसे अधिक सक्रिय हैं। इस कठिन राजनीतिक दौर में भाजपा की चुनौती का सामना करने के लिए वाम और लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष ताकतों की व्यापक एकता बनाने में पार्टी अन्य वाम नेताओं के उनकी मदद करनी चाहिए।

मध्य प्रदेश में राजनैतिक पारा उबाल पर

भाजपा के विधायकों का विधानसभा में आक्रामक रुख
एल एस हरदेनिया - 2019-07-22 08:57 UTC
भोपालः कमलनाथ सरकार राज्य के गवर्नर और विपक्ष दोनों के साथ उलझ रही है। विपक्ष का एक वर्ग, मुख्य रूप से भाजपा, न केवल गुस्से में प्रदर्शन कर रहा है, बल्कि हिंसा की भाषा में बात भी कर रहा है। विधानसभा में भाजपा सदन के वेल में प्रवेश करके कार्यवाही बाधित कर रही है।

राजकोषीय अराजकता के दौर में प्रवेश कर चुका है भारत

लोगों के बुरे दिन शुरू होने वाले हैं
ज्ञान पाठक - 2019-07-20 10:19 UTC
हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को छोड़कर, किसी से भी पूछिए कि 2019-20 में भारत की अपेक्षित विकास दर क्या है? इसका उत्तर लगभग 7 प्रतिशत होगा जो सभी विश्वसनीय राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की गणना पर आधारित है। हालाँकि, चालू वित्त वर्ष के बजट ने भारत की जीडीपी, प्राप्तियों और व्यय की गणना 12 फीसदी की वृद्धि दर से की है, जबकि वास्तविक विकास दर में 6.8 प्रतिशत है। एक अच्छी दिखने वाली बैलेंस शीट बनाने के लिए इतनी बड़ी अतिशयोक्ति का सहारा लिया गया, लेकिन इससे सरकार को अपनी खुद की वित्तीय गड़बड़ियों को दूर करने में मदद नहीं मिलेगी। अर्थव्यवस्था की झूठी और बढ़ा चढ़ाकर पेश की गई तस्वीर वास्तविकता को छिपा नहीं सकती।

सोनभद्र का नरसंहारः क्यों चुप है हमारा सभ्य समाज?

उपेन्द्र प्रसाद - 2019-07-19 09:51 UTC
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में हुए आदिवासियों के नरसंहार ने पूरी व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। हमारा कथित सभ्य समाज कितना पाखंडी और निर्लज्ज है, इसका इसी से पता चलता है कि जब गुजरात में एक दलित की मूछ कटती है, तो यह कथिज सभ्य समाज पूरा आसमान सिर पर उठा लेता है। वह इसे एक अंतरराष्ट्रीय मसला बना देता है। पर जब आज आदिवासियों का नरसंहार हुआ है, तो उस पर वह पाखंडी कथित सभ्य समाज अपनी पूर्ण निर्लज्जता के साथ खामोश है। सभ्य समाज के सारे वर्ग, राजनैतिक से लेकर मीडिया तक, चुप है। सोशल मीडिया के दबाव में प्रियंक गांधी ने घटना स्थल का दौरा करना उचित समझा, लेकिन एक कथित दलित द्वारा एक ब्राह्मण विधायक की बेटी की शादी पर समाज में जितनी उत्तेजना थी, उसका सौंवा भाग भी आज देखने को नहीं मिल रही है।

भारतीय लोकतंत्र को एक प्रभावी विपक्ष की तलाश

राहुल के बाद कांग्रेस अपना घर करे दुरुस्त
कल्याणी शंकर - 2019-07-18 11:17 UTC
17 वीं लोक सभा का पहला सत्र बिना किसी गड़बड़ी के शुरू हो गया है, यहां तक कि पहली बार जीत कर आने वालों को भी अपने पहले भाषण देने का अवसर मिला है। जबकि 16 वें लोक सभा ने एक विभाजित और खंडित विपक्ष को देखा, वर्तमान लोकसभा में अभी तक केवल एक आवाज में बोलने का प्रयास देखा जा रहा है, लेकिन उस प्रयास के बाद निकल रही आवज कमजोर है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि विपक्ष को चुनावों में मिले झटके से उबरना अभी बाकी है।