न तो मिनिमम गवर्नमेंट, न ही मैक्सिमम गवर्नेंस
प्रधानमंत्री के सर्वशक्तिमान होने की छवि टूटी
-
2017-09-08 12:11 UTC
‘मिनिमम गवर्नमेंट-मैक्सिमम गवर्नेंस!’ पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने अपनी लगभग हर चुनावी रैली में इस सूत्र वाक्य को दोहराया था। उनकी सरकार भी बन गई और उसने अपने कार्यकाल का दो तिहाई समय पूरा भी कर लिया। इस दौरान उन्होंने अपनी मंत्रिपरिषद का तीन मर्तबा विस्तार और फेरबदल भी कर लिया, लेकिन ‘मिनिमम गवर्नमेंट-मैक्सिमम गवर्नेंस’ वाला उनका सूत्र वाक्य भी महज चुनावी जुमला ही साबित हुआ। न तो वे अपनी सरकार का आकार छोटा रख पाए और न ही कामकाज के स्तर पर वैसे परिणाम दे पाए जिसका वायदा उन्होंने सत्ता में आने से पहले किया था। तीसरे विस्तार और फेरबदल के बाद अब उनकी मंत्रिपरिषद में उनके सहित 76 सदस्य हो गए हैं। यह संख्या निर्धारित सीमा से छह कम है, यानी अभी छह मंत्री और बनाए जा सकते हैं।