Loading...
 
Skip to main content

View Articles

नोटबंदी विफल क्यों?

भ्रष्ट बैंककर्मियों ने भी मोदी के अरमान पर पानी फेरे
उपेन्द्र प्रसाद - 2016-12-14 11:09
जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुराने 500 और 1000 रुपयों के नोटों को बंद कर उनकी जगह 2000 और 500 रुपये के नये नोट लाने का फैसला किया था, तो उसे काले धन पर अबतक का किया गया सबसे बड़ा हमला माना गया था। यह समझा जा रहा था कि 3 लाख करोड़ से 5 लाख करोड़ रुपये बैंक में आएंगे ही नहीं और काला धन रखने वालों के वे पैसे मिट्टी में मिल जाएंगे। लेकिन वैसा कुछ हुआ नहीं। 85 फीसदी नोट बैंकों मे वापस आ चुके हैं और आने वाले 15 दिनों में और नोट भी आते रहेंगे। इसका मतलब है कि काला धन के खिलाफ की गई यह घोषणा विफल हो चुकी है।

कांग्रेस की नजर दलित मतदाताओं पर

राहुल दलित सम्मेलन को 10 जनवरी को संबोधित करेंगे
प्रदीप कपूर - 2016-12-13 11:48
लखनऊः अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष और सांसद पी एल पुनिया को अपना चेहरा बनाकर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में आक्रामक दलित कार्ड खेलने जा रही है। उत्तर प्रदेश चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए पार्टी दलितों को अपनी ओर आकर्षित करने में लगी हुई है।

विमुद्रीकरण की पहली परीक्षा उत्तर प्रदेश चुनाव में

बजट प्रावधानों के द्वारा मतदाताओं को लुभा सकते हैं मोदी
नित्य चक्रबर्ती - 2016-12-11 03:48
प्रधानमंत्री नरेन्द्र द्वारा नोटबंदी की घोषणा के एक महीने से भी ज्यादा हो गया है। विपक्षी पार्टियां उसके बाद से संसद नहीं चलने दे रही हैं। लाखों लोग बैंकों और एटीएम मशीनों के सामने कतार में खड़े हैं और अनेक लोगांे को पैसे मिल भी नहीं पा रहे। पूरी बैंकिग व्यवस्था ही लकवाग्रस्त हो गई है और लोग बैंकों में जमा अपने पैसे भी हासिल नहीं कर पा रहे हैं। अधिकांश अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि नोटबंदी का यह फैसला गलत था और इससे काले धन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। वे कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा कर एक बहुत बड़ी गलती की है। यदि उन्हें यह घोषणा करनी ही थी, तो उसके पहले पर्याप्त तैयारी भी होनी चाहिए थी।

अन्नाडीएमके को एनडीए में लाने के लिए भाजपा बेकरार

जीएसटी मसले पर पार्टी के नए नेताओं की परीक्षा होगी
कल्याणी शंकर - 2016-12-11 03:45
तमिलनाडु की महारानी कही जाने वाली जयललिता की मौत हो गई, लेकिन उनकी पार्टी जिंदा रह पाएगी? वह सिर्फ तमिलनाडु की राजनीति की खिलाड़ी नहीं थीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर की राजनीति को भी वह प्रभावित करती रहती थीं।

नोटबंदी का एक महीना: चारों तरफ बर्बादी और तबाही

उपेन्द्र प्रसाद - 2016-12-08 14:29
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब पिछले महीने 8 नवंबर को 1000 और 500 रुपये के पुराने नोटों को रद्द करने का निर्णय किया था, तो देश की जनता ने उसक पुरजोर स्वागत किया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस निर्णय से लोगों को शुरुआती कुछ दिनों में परेशानी होगी और उसके बाद सबकुछ ठीक हो जाएगा। लोगों को लगा था कि प्रधानमंत्री दो तीन दिनों की परेशानी की बात कर रहे हैं, लेकिन वित्तमंत्री ने कहा कि एटम मशीनों से नये नोटों का वितरण नहीं हो पा रहा है, क्योंकि नये नोट उनके अनुकूल नहीं हैं। अब उन मशीनों को दो या तीन सप्ताह में नये नोटों के अनुकूल बना दिया जाएगा, फिर सारी समस्या समाप्त हो जाएगी।

तमिलनाडु की राजनीति संक्रमण के दौर में

मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम की होगी कड़ी परीक्षा
अमूल्य गांगुली - 2016-12-07 12:34
इसे हम विडंबना ही कहेंगे कि जिस देश में मादा भ्रूण की हत्या तक की जा रही हो, वहां जयललिता और इन्दिरा गांधी जैसी महिलाओ को देवी का दर्जा दे दिया जाता है और उनकी पूजा भी की जाती है। आज भी यदि देश के सबसे ज्यादा लोकप्रिय प्रधानमंत्री के नाम के लिए सर्वे किया जाय, तो इन्दिरा गांधी का नाम सबसे पहले आता है। अब जयललिता भी इन्दिरा गांधी वाली सूची में शामिल हो गई हैं। अब उन्हें भी देश दशकों तक उनकी उपलब्धियों के लिए याद रखेगा।

झारखंड मे जमीन अधिकरण के खतरे

मुख्यमंत्री भूमि अधिकार कानून में बदलाव के लिए आतुर
अरुण श्रीवास्तव - 2016-12-06 13:57
रांचीः झारखंड मुक्ति मोर्चा के सदस्यों ने जनजातीय सलाहकार परिषद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफा लगभग 100 साल पुरान भूमि अधिकार कानूनों को संशोधित करने की ओर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम के खिलाफ दिया है। विपक्षी पार्टियां और जनजातीय समूहों ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गए इन कदमो के खिलाफ अपना आंदोलन और तेज करने का फैसला किया है।

कैशलेस अर्थतंत्र की ओर

आग लगी है, कुंआ खोदें
उपेन्द्र प्रसाद - 2016-12-05 12:36
पुराने 500 और 1000 रुपये नोटों को रद्द कर दिए जाने के बाद मची अफरातफरी के बीच केन्द्र सरकार अब कैशलेस अर्थतंत्र की वकालत कर रही है। अफरातफरी का माहौल समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है और जितनी रकम के नोटों का रद्द किया है, उतनी रकम के नोट छापने में 6 महीने या उससे भी ज्यादा लग सकते हैं, लेकिन देश तब तक के लिए इंतजार नहीं कर सकता। यदि पर्याप्त नोट छपने का इंतजार किया गया और तबतक इसी तरह की अफरातफरी मची रही, तो देश को भारी नुकसान हो जाएगा। वैसे नुकसान तो अभी भी हो ही रहा है। देश में अभूतपूर्व मुद्रासंकट चल रहा है, क्योंकि बड़े पैमाने पर कैश की कमी हो गई है। हमारे देश में भ्रुगतान के लिए कैश का ही ज्यादातर इस्तेमाल होता रहा है। एक अनुमान के अनुसार देश में 90 फीसदी भुगतान कैश के द्वारा ही होता है और केशलेस भुगतान मात्र 10 प्रतिशत ही होता रहा है।

जम्मू और कश्मीर के दो लाख हिन्दू देशविहीन

प्रधानमंत्री का विकास पैकेज नाकाफी
देवसागर सिंह - 2016-12-03 14:09
यह बहुत ही दुख की बात है कि पिछले 6 दशकों से जम्मू और कश्मीर में रह रहे 2 लाख लोग तकनीकी तौर पर अभी किसी भी देश के नहीं हैं। वे किसी भी देश के नागरिक नहीं हैं। भारत ने उन्हें अभी तक पूर्ण नागरिकता नहीं दी है। उनमें से अधिकांश हिन्दू हैं। ये वो लोग हैं, जो 1947 में भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत आ गए थे। उनमें से ज्यादातर लोग तो पाक अधिकृत जम्मू और कश्मीर के ही हैं।

संसद का सत्र एक बार फिर बाधित

विभाजित विपक्ष का लाभ उठा रहे हैं मोदी
कल्याणी शंकर - 2016-12-02 10:01
संसद का शीतकालीन सत्र एक बार फिर बेकार साबित होने जा रहा है। यह 16 नंवबर को शुरू हुआ था और कुछ दिनों बाद ही इसका अवसान भी हो जाएगा। लेकिन दोनों में से किसी भी सदन में कोई काम नहीं हो पा रहा है। इसका कारण नरेन्द्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को 500 और और 1000 रुपये के नोटों का किया गया विमुद्रीकरण था।