Loading...
 
Skip to main content

View Articles

न तो मिनिमम गवर्नमेंट, न ही मैक्सिमम गवर्नेंस

प्रधानमंत्री के सर्वशक्तिमान होने की छवि टूटी
अनिल जैन - 2017-09-08 12:11 UTC
‘मिनिमम गवर्नमेंट-मैक्सिमम गवर्नेंस!’ पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने अपनी लगभग हर चुनावी रैली में इस सूत्र वाक्य को दोहराया था। उनकी सरकार भी बन गई और उसने अपने कार्यकाल का दो तिहाई समय पूरा भी कर लिया। इस दौरान उन्होंने अपनी मंत्रिपरिषद का तीन मर्तबा विस्तार और फेरबदल भी कर लिया, लेकिन ‘मिनिमम गवर्नमेंट-मैक्सिमम गवर्नेंस’ वाला उनका सूत्र वाक्य भी महज चुनावी जुमला ही साबित हुआ। न तो वे अपनी सरकार का आकार छोटा रख पाए और न ही कामकाज के स्तर पर वैसे परिणाम दे पाए जिसका वायदा उन्होंने सत्ता में आने से पहले किया था। तीसरे विस्तार और फेरबदल के बाद अब उनकी मंत्रिपरिषद में उनके सहित 76 सदस्य हो गए हैं। यह संख्या निर्धारित सीमा से छह कम है, यानी अभी छह मंत्री और बनाए जा सकते हैं।

आपदा प्रबंधन एक बड़ी चुनौती

मुंबई और ह्यूस्टन का अंतर तो देखिए
कल्याणी शंकर - 2017-09-06 12:55 UTC
टेक्सासः अमेरिका के टेक्सास मे एक सप्ताह मे 50 इंच की बारिश हुई और एकाएक बाढ़ आ गई। इस घटना के कारण टेक्सास ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस तरह की बारिश और बाढ़ वहां 500 सालों के बाद हुई। तूफान ने तो 10 लाख लोगों को अपनी जगह से हट जाने के लिए मजबूर कर दिया। 50 लोग तो उसमें मारे भी गए।

मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार: नीतीश के लिए खतरे की घंटी

उपेन्द्र प्रसाद - 2017-09-05 13:06 UTC
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया और उधर पटना में कयासों का बाजार गर्म हो गया है। मीडिया में अटकलबाजी चल रही थी कि नीतीश कुमार के दल से कम से कम दो सांसद मंत्री बनाए जाएंगे। नीतीश के सबसे ज्यादा विश्वस्त रामचन्द्र प्रसाद का नाम तो तय माना जा रहा था और दूसरे नाम के लिए करीब आधा दर्जन सांसदों के नाम बारी बारी से आ रहे थे। कभी हरिवंश का नाम आ रहा था, तो कभी वशिष्ठ नारायण का नाम लिया जा रहा था। कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर का नाम कुछ ज्यादा लोग ले रहे थे। भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमे का सामना कर रहे अनिल सहनी भी एक संभावित मंत्री के तौर पर जाने जा रहे थे। और यदि दूसरे मंत्री के रूप में सबसे ज्यादा नाम किसी का लिया जा रहा था, तो वे थे संतोष कुशवाहा। एक सातवां नाम भी था और वह था नीतीश के दल के मुख्य महासचिव केसी त्यागी का। मीडिया में तो उनका नाम नहीं था, लेकिन उनके समर्थक दावे के साथ उनके मंत्री बनने की बात कर रहे थे।

एक बलात्कारी बाबा के आगे लाचार सत्ता तंत्र

हमारे लोकतंत्र के लिए चिंताजनक संदेश
अनिल जैन - 2017-09-04 17:47 UTC
बलात्कार के मामले में सजा पाकर जेल की सलाखों के पीछे पहुंच चुके धर्मगुरू कहलाने वाले डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के मामले ने एक बार फिर इस हकीकत को उजागर किया है कि हमारे देश में धर्म के नाम पर लोगों की आस्था का शोषण करने वाले लंपट बाबाओं का घिनौना व्यापार किस कदर पनप रहा है और ऐसे बाबाओं को वोटों के लालची सत्ताधारियों का किस कदर संरक्षण हासिल रहता है।

मोदी को ब्रिक्स के गहन सहयोग की ओर प्रेरित करना चाहिए

ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के लिए एक रोडमैप बने
नित्य चक्रबर्ती - 2017-09-01 11:23 UTC
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन में हो रहे ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। ब्रिक्स के सदस्य देश हैं- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका। 3 से 5 सितंबर तक यह शिखर सम्मेलन चलता रहेगा। डोकलम क्षेत्र में तनाव कम होने के बाद ही प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स के सम्मेलन में जाने का फैसला किया। अब अपने चीन दौरे में भारत के प्रधानमंत्री चीन के चीन के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बातचीत करने का मौका भी प्राप्त करेंगे।

डोकलामः राजनीतिक महत्वकांक्षा पर व्यापार भारी

चीन के पीछे हटने के असली कारण
सुब्रत मजुमदार - 2017-08-31 11:21 UTC
सीमा को नया आकार देने के लिए चीन की ओर से बार-बार हो रहे उपद्रव के सबक के रूप में भारत ने पहली बार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा ली है। यह पहली बार हुआ है कि भारत को डराने की रणनीति का अंत विफलता में हुआ। चीन का अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ को यह अंत समझमें नहीं आया कि चीन की सैन्य ताकत से भारत डरा नहीं। एक समय तो इसने व्यंग्य किया और कटाक्ष में कहा,‘‘भारत ने 1962 के युद्द से सबक नहीं लिया।’’ युद्ध भड़काने की पूरी कोशिश रही, जैसे कहा गया कि भारत का उकसावा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूर्ण मुकाबले की शुरूआत कर सकता है और सीमा पर झड़प से उसे ज्यादातर नुकसान होगा।

मुख्यमंत्री चौहान ने शिक्षा आंदोलन कार्यक्रम शुरू किया

विपक्ष इसे विफलता छिपाने के सरकारी प्रयास के रूप में देखता है
एल एस हरदेनिया - 2017-08-31 11:13 UTC
भोपालः मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक यूनिक कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत स्कूली छात्रों के अंदर पढ़ने की आदत डालने की कोशिश की जा रही है। इस कार्यक्रम का नाम है ‘‘मिल बांचे’’। इस कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री, मंत्रिगण सरकारी अधिकारी और सभी चुने गए व मनोनित जनप्रतिनिधि स्कूल जाएंगे और वहां शिक्षक की भूमिका निभाएंगे।

बवाना उपचुनाव के संदेश

भारतीय जनता पार्टी अपराजेय नहीं
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-08-30 09:42 UTC
वैसे तो विधानसभा के चार उपचुनाव पिछले दिनों संपन्न हुए, लेकिन उनमें से दिल्ली के बवाना विधानसभा क्षेत्र का उपुचनाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण था। इसका एक कारण तो यही था कि यह हिन्दी हृदय प्रदेश की सीट थी और केन्द्र में किसकी सरकार बनती है, इसका मुख्य तौर से निर्धारण हिन्दी प्रदेश के चुनावी नतीजे ही करते हैं।

रास्ता लंबा है विपक्षी एकता का

पर देश को विकल्प की जरूरत है
अनिल सिन्हा - 2017-08-29 10:54 UTC
देश की राजनीति नई दिशा में जाने लगी है। हाल तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष की आशा के केंद्र बने हुए थे। अब शरद यादव ने नीतीश के झटके से उबरने के लिए विपक्ष को ताकत दी है। उन्होंने हाल के वर्षो में यह भूमिका दूसरी बार निभाई है। जब 2013 में वह नीतीश के साथ एनडीए से बाहर हो गए तो उन्होंने ईमानदारी से विपक्ष की एकता बनाने की कोशिश की। उन्होंने समाजवादी पार्टी और बसपा समेत सभी पार्टियों को एक मंच पर लाने की कोशिश की थी। यह काम उन्होंने इसके बावजूद किया कि वह 2013 में तो भाजपा का साथ छोड़ने के पक्ष में नहीं थे और न ही उन्होंने नरेंद्र मोदी को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया था। लेकिन वह इस व्यापक विपक्ष एकता को बनाने में विफल रहे।

राम रहीम सिंह जैसे लोग क्यों प्रभावी हैं?

इस रहस्य को सुलझाने के लिए शोध होना चाहिए
एल.एस. हरदेनिया - 2017-08-28 12:36 UTC
डेरा सच्चा सौदा के मुखिया गुरमीत राम रहीम सिंह के विरूद्ध बलात्कार का आरोप सही सिद्ध होने के बाद हरियाणा और आसपास के अनेक शहरों के घटनाक्रम से दो प्रमुख विचारणाीय मुद्दे उभरे हैं। पहला, हमारे देश में राम रहीम सिंह के अलावा भी अनेक इस तरह के व्यक्ति हैं जो स्वयं को ईश्वर का अवतार मानते हैं। उनका प्रभाव इतना गहरा होता है कि लाखों लोग उनके लिए अपनी जान देने को तैयार हो जाते हैं। इसका कारण पता लगाने के लिए एक दीर्घकालीन अनुसंधान की आवश्यकता है। क्या इनमें कोई सम्मोहन शक्ति होती है, जिससे वे अपने अनुयायियों के मन पर नियंत्रण कर लेते हैं? फिर उनकी तार्किक क्षमता लगभग समाप्त हो जाती है। गुरमीत सिंह के मामले में भी यह लगभग सौ प्रतिशत सही है।