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बजट से विकास और रोजगार नहीं बढ़ेगा

लोन और निवेश में फिर से वृद्धि अनिश्चित
एस सेतुरमन - 2017-02-06 12:31 UTC
नोटबंदी से तबाह देश की अर्थव्यवस्था की हकीकत को ढकने की भरसक कोशिश वित्तमंत्री ने अपने बजट में की है। लेकिन इसके कारण निजी निवेश में वृद्धि की शायद ही कोई गुंजायश है। इसके कारण रोजगार भी पैदा होने की संभावना नहीं है, जबकि मोदी की सरकार अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में प्रवेश कर रही है।

बजट में रोजगार कहां है?

वित्तमंत्री को इसकी चिंता भी करनी चाहिए थी
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-02-04 12:41 UTC
मोदी सरकार अपने कार्यकाल का आधा समय बिता चुकी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वादा था कि प्रत्येक साल दो करोड़ लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जाएंगे। यह वायदा तो अबतक पूरा नहीं हो सका है, लेकिन इस बजट से उम्मीद की जा रही थी कि वित्तमंत्री ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने के लिए कुछ कार्यक्रमो की घोषणा करेंगे। लेकिन इस मसले पर वित्तमंत्री ने अपने दो घंटे के लंबे भाषण पर कुछ कहा ही नहीं।

अमेरिका और चीन में व्यापार युद्ध की आशंका

भारत को इसका लाभ उठाना चाहिए
सुब्रत मजुमदार - 2017-02-03 12:45 UTC
एक कहावत है कि जब अमेरिका छींकता है, तो पूरी दुनिया को जुकाम हो जाता है। अब जब अमेरिकी राष्ट्रपति अमेरिका प्रथम और अमेरिकी खरीदें व अमेरिकी को रोजगार दें, तो चीन को कंपकंपी आ रही है। चीन निर्यातोन्मुख देश है और उसके विकास का इंजिन अमेरिका है। चीन का डर उस समय सामने आया, जब चीन के राष्ट्रपति शीपिंग ने कहा कि मैं इस बिन्दु को सामने रखना चाहता हूं कि दुनिया की समस्याओं के लिए भूमंडलीकरण जिम्मेदार नहीं है।
भारत

एक कामचलाऊ बजट: क्या जोखिम उठाने से डर रही सरकार?

उपेन्द्र प्रसाद - 2017-02-02 12:07 UTC
वित्तमंत्री अरुण जेटली के पेश किए गए ऐतिहासिक बजट में ऐतिहासिक प्रावधानों का अभाव है। यह बजट इसलिए ऐतिहासिक है कि यह पहली फरवरी को पेश किया गया है और अगला वित्तीय वर्ष शुरू होने के पहले ही इसे पारित कर दिया जाएगा। इसके साथ इसने एक और इतिहास बनाया है और वह यह है कि अब रेल बजट इसमें समाहित हो गया है। एक तीसरा इतिहास यह है कि योजना और गैर योजना खर्च के रूप में सरकारी खर्चों दिखाने की परंपरा समाप्त कर दी गई है।

मोदी का 2019 का सपना यूपी चुनाव से जुड़ा है

बस मायावती और अमित शाह की किस्मत का फैसला भी यही चुनाव करेगा
कल्याणी शंकर - 2017-02-01 12:03 UTC
इस विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जितने नेताओं और पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, उतना पहले कभी नहीं लगी थी। यहां दो क्षेत्रीय दल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। कांग्रेस उत्तर प्रदेश और देश में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने का संघर्ष कर रही है, तो यह भारतीय जनता पार्टी के दोनों बड़े नेता- नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के लिए अपने आपको साबित करने का प्रश्न बना हुआ है। इस चुनाव के बाद मुलायम सिंह यादव का रास्ता हमेशा के लिए बंद हो सकता है, तो मायावती और अजित के लिए भी यह अस्तित्व संकट का सवाल बनकर खड़ा है।

समुद्र तटीय गोवा में भाजपा के सामने चुनौतियों का पहाड़

प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस बिखराव की शिकार
अनिल जैन - 2017-01-31 11:37 UTC
समुद्र तटीय गोवा में पांच साल पहले कांग्रेस को आसानी से हराकर सत्ता पर काबिज हुई भारतीय जनता पार्टी के सामने विधानसभा चुनाव में इस बार चुनौतियों का पहाड खडा है। महज 40 निर्वाचन क्षेत्रों वाले देश के इस सबसे छोटे सूबे में अभी तक आमतौर पर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुकाबला होता रहा है लेकिन इस बार चुनावी परिदृश्य बिल्कुल बदला हुआ है। मुकाबला सीधे-सीधे दो पार्टियों के बीच न होकर चतुष्कोणीय हो गया है। भाजपा को अपनी सत्ता और साख बरकरार रखने के लिए सिर्फ अपनी परंपरागत प्रतिद्बंद्बी कांग्रेस और गोवा के चुनाव में पहली बार जोर आजमाईश कर रही आम आदमी पार्टी से ही नहीं बल्कि अपनी सहयोगी रही महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी), शिवसेना और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बगावत कर बाहर आए सुभाष वेलिंगकर के गोवा सुरक्षा मंच (जीएसएम) की साझा चुनौती का भी कडा मुकाबला करना पड रहा है।

अखिलेश अपनी जीत के प्रति आश्वस्त

बसपा और भाजपा का सांप्रदायिक गणित काम नहीं आएगा
हरिहर स्वरूप - 2017-01-30 12:42 UTC
लखनऊ में हो रहे नाटक गजब के थे। एक रोज खबर आई कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मे गठबंधन हो गया है। दूसरे दिन खबर आई कि दोनों के बीच चल रही बातचीत भी समाप्त हो गई है और गठबंधन अब लगभग असंभव हो गया है। उसके बाद अनेक टिप्पणीकारों ने गठबंधन न होने पर दनादन अपनी टिप्पणियां भी कर डालीं। लेकिन अबली सुबह को यह खबर आई कि दोनों पाटियों के बीच गठबंधन हो गया है। कांग्रेस 105 सीट पर लड़ेगी और समाजवादी पार्टी 298 सीटों पर।

क्या प्रियंका कांग्रेस का पतन रोक पाएंगी?

वैसे राजनीति में सक्रिय होने का समय अच्छा चुना है
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-01-28 11:17 UTC
प्रियंका गांधी के कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में आने की चर्चा जोरों पर है। उत्तर प्रदेश में जब समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच चल रही गठबंधन की बातचीत टूट चुकी थी, तो कहते हैं कि प्रियंका ने आगे आकर असंभव सा दिखने वाले गठबंधन को संभव बना दिया और कांग्रेस को अपनी ताकत से कहीं बहुत ज्यादा सीटें दिलवा दीं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 29 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और लोकसभा चुनाव में तो दोनों शीर्ष नेता सोनिया गांधी और राहुल के अलावा अन्य सभी उम्मीदवार चुनाव हार गए थे। सोनिया और राहुल की जीत भी समाजवादी पार्टी के समर्थन के कारण संभव हुई थी। मुलायम सिंह यादव ने उन दोनों के खिलाफ अपना कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था और उनकी पार्टी के सदस्यों ने कांग्रेस के दोनों नेताओ को जीत सुनिश्चित कराने मे मदद की थी।

कांग्रेस और सपा एक साथ

क्या राहुल-अखिलेश की दोस्ती रंग लाएगी?
कल्याणी शंकर - 2017-01-27 11:03 UTC
अनेक महीनों तक उहापोह की स्थिति से गुजरने के बाद 131 साल पुरानी कांग्रेस और 25 साल पुरानी समाजवादी पार्टी ने आखिरकार उत्तर प्रदेश चुनाव में एक दूसरे के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है। यह पहला मौका है, जब दोनों एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। कांग्रेस गठबंधन की जूनियर पार्टनर है। कांग्रेस की अपनी सरकार पिछली बार 1989 में थी। उसके बाद उत्तर प्रदेश में उसकी कभी कोई सरकार नहीं बनी। किसी गठबंधन की सरकार में उसने कभी यहां हिस्सेदारी भी नहीं की।

उत्तर प्रदेश चुनाव में बसपा

अस्तिव बचाने की लड़ाई लड़ रही हैं मायावती
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-01-25 11:00 UTC
उत्तर प्रदेश मे हो रहा चुनाव बहुजन समाज पार्टी नेता मायावती के भविष्य के लिए निर्णायक साबित होने वाला है। इस समय बसपा उत्तर प्रदेश विधानसभा मे प्रमुख विपक्ष की भूमिका में है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव मेेेे 80 सीटें पाकर यह दूसरे सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उसके पहले तो यह अपने बूते पूर्ण बहुमत में थी। सच कहा जाय तो पिछले 15 सालों से उत्तर प्रदेश की दो सबसे बड़ी पार्टी सपा और बसपा ही हैं। 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में यह भारतीय जनता पार्टी को पछाड़कर दूसरे स्थान पर आ गई थी। इस तरह देश की सबसे अधिक आबादी वाले इस प्रदेश में सत्ता की लड़ाई पिछले कुछ चुनावों से सपा और बसपा के बीच ही चल रही थी।