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सीबीआई को स्वायत्तता के पीछे

ब्यूरो हमेशा सरकार के अधीन ही रही है
हरिहर स्वरूप - 2013-05-20 15:02
क्या सीबीआइ्र को वास्तव में स्वतंत्र बनाया जा सकता है और इसे पूरी स्वायत्ता दी जा सकती है? शायद कभी नहीं, क्योंकि राजनीतिज्ञ इसका इस्तेमाल अपने प्रतिद्वंद्वियों से हिसाब चुकता करने के लिए करते रहे हैं और आगे भी करता रहना चाहेंगे। जब तक कोई राजनीतिज्ञ सत्ता में है, वह सीबीआई के इस्तेमाल के खिलाफ हंगामा करता है और जब वह खुद सत्ता में चला आता है, तो फिर वह खुशी से उसी एजेंसी का बॉस बनना चाहता है।

ममता सरकार के दो साल

बंगाल में अभी भी रोशनी की कमी
आशीष बिश्वास - 2013-05-18 09:38
ममता बनर्जी सरकार के दो साल पूरे हो रहे हैं। तीसरे साल में इस सरकार के प्रवेश के साथ कहीं उत्साह का माहौल नहीं दिख रहा। दो साल पूरा होने का उत्सव मनाने का कोई कारण भी नहीं दिखाई पड़ रहा।

कांग्रेस लगातार पतन की ओर

मनमोहन सिंह का प्रशंसक कोई नहीं रहा
कल्याणी शंकर - 2013-05-18 09:35
मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल के 4 साल पूरे होने जा रहे हैं। जब पहले कार्यकाल का एक साल पूरा हुआ था, तो श्री सिंह ने खुद ही अपनी सरकार को 10 में से 6 अंक दिए थे। पर अब जब वे अपनी सरकार के 9 साल पूरे कर चुके हैं और दूसरे कार्यकाल का भी अंतिम साल शुरू होने वाला है, शायद ही कोई उन्हें 10 में से 4 अंक भी देना चाहेगा।

केरल सीपीएम की गांठ

क्या ताजा सहमति टिक पाएगी?
पी श्रीकुमारन - 2013-05-17 05:42
तिरुअनंतपुरमः केरल सीपीएम फिलहाल बेहतर स्थिति में है और वहां शांति है। पर सवाल यह है कि क्या पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा आपस में उलझ रहे नेताओं के बीच स्थापित की गई सहमति कितने दिनों तक कायम रहेगी? जिस फॉर्मूले के तहत समझौता हुआ है, उस फाॅर्मूले में सीपीएम के प्रदेश नेताओं का विश्वास बना रहेगा?

पटना की परिवर्तन रैली: क्या खोई सत्ता पा सकेंगे लालू?

उपेन्द्र प्रसाद - 2013-05-15 11:46
पटना में आयोजित विशाल परिवर्तन रैली का आयोजन करके लालू यादव ने साबित कर दिया है कि वे सत्ता से बाहर रहकर भी गांधी मैदान में लोगों की भारी भीड़ जुटा सकते हैं। जुटी हुई भीड़ के आकार को देखते हुए लालू की यह रैली सफल कही जाएगी। यह रैली निश्चय ही नीतीश कुमार द्वारा आयोजित रैली से बहुत बड़ी थी। सच कहा जाय, तो लालू का जनाधार अभी भी नीतीश के जनाधार से बहुत बड़ा है। यदि नीतीश अकेले लालू के खिलाफ मैदान में उतर गए, तो वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के आगे कहीं भी टिक नहीं पाएंगे। इसका कारण बिहार की जाति की राजनीति है, जिसके उपज लालू और नीतीश दोनों हैं।

उमा भारती मध्यप्रदेश की राजनीति में हो रही हैं सक्रिय

भाजपा नेताओं के बीच बढ़ रहे हैं तकरार
एल एस हरदेनिया - 2013-05-14 10:44
भोपालः पिछले 4 मई को जब भोपाल में उमा भारती का जन्मदिन मनाया गया, तो अनेक लोगों त्यौरियां चढ़ गईं। दिन भर उनके जन्मदिन के उत्सव की धूम रही है और उसके दौरान उन्होंने लोगों को संकेत दिया कि मध्यप्रदेश की राजनीति से दूर रहने का उनका कोई इरादा नहीं है।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम

उत्तर भारत तक सिमट रह गई है भाजपा
हरिहर स्वरूप - 2013-05-14 08:13
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे एक खास प्रवृति की ओर इशारा करते हैं। वह यह है कि राज्यों में गठबंधन और संयुक्त सरकारों के दिन अब लद रहे हैं और लोग वहां एक पार्टी की सरकार चाहते हैं, हालांकि केन्द्र के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता, जहां गठबंधन की राजनीति अभी भी बहुत सालों तक चलने वाली है।

सूरत में की गयी मुसिलमों के आर्थिक व सामाजिक चुनौतियों पर चर्चा

एस एन वर्मा - 2013-05-12 14:43
सूरत। हीरों की तराशी के लिए संसार भर में प्रसिद्ध गुजरात के इस शहर में आज मुसिलमों के तरक्की और बेहतरी के लिए विद्वानों,समाजसेविओं और नेताओं ने गहन चिंतन की तथा साफ साफ शब्दों में सरकार को संदेश दिया गया कि मुसलमानों के उत्थान के बिना देश विश्व में नंबर वन नहीं बन सकता है। जब तक भारत का यह तबका पिछड़ा रहेगा देश प्रगति के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता।

शारधा का फुटा बुलबुला

ममता बनर्जी पहली बार संकट में
सौम्य बंदोपाध्याय - 2013-05-11 10:36
कोलकाताः दो साल पहले सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वामपंथियों से कहा था कि वे अब कम से कम 10 साल तक अपना मुह बंद रखें। सत्ता से हटाए जाने के बाद एक साल तक तो वे वास्तव में चुप ही रहे, क्योंकि उन्हें पता था कि प्रदेश के लोगों का मूड उनके खिलाफ है और वे यदि ममता बनर्जी के खिलाफ बोलेंगे, तो लोग उनकी बातों को अहमियत नहीं देंगे। एक साल बाद वे ममता के खिलाफ कुछ बोलने भी लगे हैं, पर बहुत ही संभल संभल कर, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि लोगों का मूड अ्रभी भी उनके खिलाफ है और ममता बनर्जी की लोकप्रियता पहले की तरह कायम है।

लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ तमिलनाडु में हिंसा का माहौल

जयललिता ने अपना रुख कठोर किया
एस सेतुरमन - 2013-05-10 10:06
लोकसभा के आमचुनाव का समय जैसे जैसे नजदीक आ रहा है, तमिलनाडु की राजनीति में तनाव बढ़ता जा रहा है और यह तनाव कभी कभी हिंसक रूप भी लेने लगा है। प्रदेश की दो मुख्य पार्टी- डीएमके और एआईएडीएमके- के नेता अपनी अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए पहले से ही सक्रिय हैं और इधर पिछले महीने एकाएक पीएमके के नेता डाॅ रामदाॅस भी सक्रिय हो गए। उन्होंने पिछले 25 मई को एक रैली आयोजित करने की योजना बनाई थी।