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जब पूरा समाज ही सन्निपात से ग्रस्त हो जाए

तो पुलिस, प्रशासन और अस्पतालों को संवेदनशील कौन बनाए?
अवधेश कुमार - 2013-01-12 17:02
क्या हमारे आपके शब्दकोष मे ऐसे शब्द हैं जिनसे 16 दिसंबर की सामने आई आपबीती को परिभाषित किया जाए। मृतका के दोस्त ने हमारे नागरिक समाज, पुलिस और अस्पताल के रवैये का जो विवरण दिया है उससे तो ह्दयहीन व्यक्ति का कलेजा भी मुंह को आ जाए। दोनों घायल नंगे छटपटाते रहे, लोग आते जाते रहे, रुककर उन्हें देखते भी रहे, पर उन्हें उठाकर अस्पताल पहुंचाने की बात तो दूर किसी ने उनके नंगे बदन पर कपड़ा तक डालने की जहमत नहीं उठाई।

क्या राष्ट्रपति शासन से हल हो पाएगा झारखंड का संकट?

कांग्रेस इंतजार करो और देखो की भूमिका में
कल्याणी शंकर - 2013-01-11 12:45
अर्जुन मुंडा सरकार के इस्तीफे के बाद झारखंड एक बार राजनैतिक संकट के भंवर में फंस चुका है। जब से इस राज्य का निर्माण हुआ है, उसी समय से ही यहां राजनैतिक अस्थिरता का माहौल रहा है। यहां अब तक दो बार लंबे समय के लिए राष्ट्रपति शासन का दौर रह चुका है। यदि किसी सरकार का गठन नहीं हुआ, तो एक बार फिर यहां राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

बलात्कार के लिए फांसी की सजा की मांग एक राजनैतिक स्टंट है

अब तो गांधीवादी भी फांसी की मांग कर रहे हैं
अमूल्य गांगुली - 2013-01-10 17:49
सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद देश में चारों तरफ से फांसी बलात्कारियों के लिए फांसी की मांग उठ रही थी। गांधीवादी अन्ना हजारे भी कह रहे थे कि बलात्कारियों को सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उत्तेजना की समाप्ति के बाद अब शांति से इस मसले पर विचार किए जाने की जरूरत है।

झारखंड में अब क्या होगा?

चाभी लालू के हाथ
उपेन्द्र प्रसाद - 2013-01-09 13:12
झारखंड में इतिहास ने एक बार फिर अपने आपको दुहराया है। वहां फिर सरकार का पतन हो गया है और एक नई सरकार के गठन की कवायद चल रही है। बिहार से अलग एक नये राज्य की मांग के पीछे इस क्षेत्र का विकास सबसे बड़ा तर्क था, लेकिन गठन के बाद ही यहां राजनैतिक अनिश्चय का माहौल बन गया और यह माहौल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। इसके कारण इसका विकास प्रभावित हुआ है। जहां बिहार 13 फीसदी प्रति साल की दर से विकास कर रहा है, वहीं झारखंड एक अदद सरकार के लिए हमेशा संघर्ष करता दिखाई पड़ रहा है।

नारायण दत्त तिवारी एक नई भूमिका में

अब वे समाजवादी पार्टी की बढ़ाएंगे ताकत
प्रदीप कपूर - 2013-01-08 16:21
लखनऊः उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने अब अपने लिए एक नई भूमिका चुन ली है। कांग्रेस द्वारा उपेक्षित किए जाने के बाद अब वे मुलायम सिंह के साथ जुड़ गए हैं और वे आगामी लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में जिताने के लिए काम करेंगे।

वर्ष के आगाज की यह उम्मीद

अंत निराशानक नहीं हो सकता
अवधेश कुमार - 2013-01-07 13:15
वर्ष 2012 का अंत अगर हमारे देश की बेटी की भयानक त्रासदी के साथ हुई तो दूसरी ओर इसके विरुद्ध देश भर में उभरा आक्रोश का परिदृश्य नए वर्ष के लिए बेहतर उम्मीद भी जगा रहा है। अगर 2011 के अंत एवं 2012 की शुरुआत को याद करें तो उस समय मुंबई में अन्ना हजारे और उनके साथियों के अनशन में जन समर्थन के अभाव से निराशा का माहौल पैदा हो गया था। उनके साथियों ने यह वक्तव्य दिया था कि हमारा आंदोलन इस समय निराशाजनक स्थिति में है और लोग सुझाव दें कि हम आगे क्या करें। सरकार और सरकारी पार्टी उस अभियान का उपहास उड़ा रही थी। यानी 2011 का अंत तथा 2012 की शुरुआत जनांदोलन एवं परिवर्तन के लिए बाध्यकारी दबाव की दृष्टि से निराशाजनक था। 2012 के अंत एवं 2013 की शुरुआत में स्थिति उलट है।

जनता से जुड़ने के लिए आभिजात्य माध्यमों का उपयोग क्यों?

बलात्कार वहां भी होते हैं, जहां इंटरनेट नहीं हैं
गर्गा चटर्जी - 2013-01-05 17:10
जस्टिस वर्मा कमिटी ने आम जनता का आह्वान करते हुए कहा है कि वे अपने अनुभवों, विचारों और जानकारियों के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध से संबंधित कानूनों मंे बदलाव के लिए सुझाव दें। जस्टिस वर्मा द्वारा जारी की गई इस नोटिस को अनेक अखबारों में प्रकाशित किया गया है। यह एक साधारण कदम है, लेकिन सरकार इसे इस तरह से पेश कर रही है, मानों बलात्कार के खिलाफ उठ रही आवाज के बीच वह कोई असाधारण कदम उठा रही हो। संसदीय समितियां प्रायः इस तरह की नोटिस जारी करती रहती हैं और लोगों का सुझाव मांगती रहती हैं।

समाज बदले बिना बलात्कार नहीं रुकेंगे

शर्मींदगी का बोझ पीडि़ता पर नहीं, बल्कि बलात्कारियों पर हो
कल्याणी शंकर - 2013-01-04 13:26
विलियम सेक्सपीयर के नाटक जुलियस सीजर में ब्रुटस अपने दोस्त कैसियस से कहता है कि जनहित में जुलियस सीजर को रोम का राजा बनने से रोका जाना चाहिए। कैसियस उसे समझाता है कि दोष हमारे सितारे में नहीं, बल्कि हममें है कि वैसा होने से रोक नहीं सकते। आज के संदर्भ में यह कथ्य कितना सार्थक है! समस्या का समाधान हमारे अंदर है, कहीं और नहीं।

अन्ना आंदोलन का विस्तार है यह जन असंतोष

राजनैतिक विकल्प के बिना समस्या का समाधान नहीं
उपेन्द्र प्रसाद - 2013-01-03 12:47
दिल्ली में एक चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के खिलाफ देश भर में हुआ प्रदर्शन अभूतपूर्व है। अन्ना का आंदोलन भी अभूतपूर्व आंदोलन था, जिसके सामने 1974 का जेपी आंदोलन भी फीका था। भ्रष्टाचार के खिलाफ हो रहे आंदोलन में अन्ना नेतृत्व की भूमिका में थे। लेकिन बलात्कार के खिलाफ जो आंदोलन अभी हो रहा है उसका नेता कोई भी नहीं है। यह देश के लोकतंत्र के लिए एक अनोखी घटना है कि बिना किसी नेतृत्व के देश भर में एक बड़ा आंदोलन बलात्कार के खिलाफ हो रहा है।

अब पता चलेगा गुजरात में भ्रष्टाचार का स्तर

मोदी पर कांग्रेस का चौतरफा हमला
एस एन वर्मा - 2013-01-02 13:33
नई दिल्ली। लोकायुक्त के पद पर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरए मेहता की नियुक्ति को चुनौती देने वाली गुजरात सरकार की याचिका को उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने के बाद कांग्रेस ने आज नरेन्द्र मोदी सरकार और बीजेपी पर जमकर हमला बोला है।कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि गुजरात सरकार अपने भ्रष्ट मंत्रियों के कारनामे पर पर्दा डालने के लिए लोकायुक्त की नियुक्ति को टाल रही थी। नरेंद्र मोदी को आड़े हाथ लेते हुए केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने आज कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री ने लोकायुक्त के गठन को ठंडे बस्ते में डाल रखा है क्योंकि लोकतंत्र में उनका यकीन नहीं है।