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मंदसौर में किसानों पर गोली

बारुद के ढेर पर बैठी है मोदी सरकार?
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-06-09 12:07
मध्यप्रदेश में किसानों पर चली पुलिस की गोलियां कहीं इस बात के संकेत नहीं कि मोदी सरकार बारुद के ढेर पर बैठी है? यह संदेह इसलिए पैदा होता है कि सिर्फ मध्यप्रदेश में ही नहीं, बल्कि देश भर के किसानों में भारी आक्रोश है। खेती का उत्पादन अच्छा है, लेकिन अच्छा उत्पादन कृषि उत्पादकों के लिए ही विनाश का पैगाम लेकर आता है और उसके उत्पाद उन्हें अच्छी कीमत नहीं दे पाते। अच्छी कीमत तो दूर अनेक बार तो खेती के लिए लगाई गई पूंजी के बराबर आय भी किसान अपने उत्पादों ने नहीं कर पाता। और यदि किसानों ने वह पूंजी कर्ज लेकर जुटाई हो, तो फिर वे कर्ज की वापसी में विफल होने लगते हैं और उनकी यह विफलता उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर कर देती है।

मोदी और भाजपा को हराना आसान नहीं होगा

2019 में विपक्ष की एकता जरूरी है
कल्याणी शंकर - 2017-06-07 12:54
2004 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले मैंने डीएमके नेता करुणानिधि का इंटरव्यू लिया और उनसे पूछा कि वे यूपीए का हिस्सा क्यों बन रहे हैं। एक मिनट के लिए वे ठहरे और फिर कहा कि उनकी नजर में सोनिया के नेतृत्व वाले यूपीए के लिए सत्तारूढ़ एनडीए का विकल्प बनने के लिए जगह है। वे उस समय की राजनैतिक स्थिति को समझने में सफल रहे थे। 2004 के चुनाव में यूपीए सत्ता में आ गई। क्या विपक्षी एकता एक बार फिर जरूरी हो गई है?

भाजपा के 'मिशन केरल' को झटका

अमित शाह ने महसूस किया कि केरल गुजरात नहीं है
पी श्रीकुमारन - 2017-06-06 11:18
तिरुअनंतपुरमः वे आए। उन्होंने देखा। पर जीतने में वे विफल रहे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के तीन दिवसीय केरल दौरे का सार यही है।

2019 के चुनाव तक मंदिर मसले को गर्म रखेंगे योगी

मुख्यमंत्री की अयोध्या यात्रा का समय महत्वपूर्ण
प्रदीप कपूर - 2017-06-05 11:04
लखनऊः मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की पिछली अयोध्या यात्रा इस मायने में महत्वपूर्ण है कि यह उस समय हुई, जब भाजपा के बड़े नेताओं पर मुकदमे का ट्रायल शुरू हो रहा था और वे नेता अदालत में अपनी हाजिरी दे रहे थे।

बिहार का बढ़ता राजनैतिक अनिश्चय

नीतीश कुमार के सामने नई चुनौती
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-06-03 09:45
बिहार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और नीतीश कुमार आज एक ऐसे दोराहे पर खड़े हैं, जिसकी दोनों राहें अनिश्चितता से भरी है। मंडल राजनीति से निकले सभी राजनेतओ मे नीतीश कुमार निश्चय ही सबसे ज्यादा राजनैतिक कुशलता रखने वाले नेता रहे हैं, जो जनाधारहीन होने के बावजूद न केवल लंबे समय तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहे हैं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी अपनी छाप छोड़ते रहे हैं। उनमें ऐसी कुशलता है कि भारतीय जनता पार्टी से दोस्ती करने, उसका समर्थन लेने और उसको समर्थन देने के बावजूद वे अपनी सेक्युलर छवि बनाने में सफल रहे हैं। बिहार में वे खुद अपने बूते मुख्यमंत्री नहीं बन सकते, बावजूद इसके वे प्रधानमंत्री के दावेदार बन जाते हैं।

मोदी की छाया में भारत के तीन साल

आर्थिक विषमता और बेरोजगारी बढ़ी
अनिल सिन्हा - 2017-06-02 12:54
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने तीन साल गुजार दिए हैं। यह समय इतना तेजी से बीता कि पता ही न चला। एक तेज गति से चलती फिल्म के नायक की तरह मोदी ने देश को चलाया है। हालांकि गहराई से देखने पर लगता है कि जिस गंभीरता की उम्मीद उनसे लोगों ने की थी, वह उसके पास तक भी न पंहुच पाए। ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारा था और लोगों ने तेज विकास के लिए उन्हें चुना था। जाहिर है उनके कार्यकाल का आधा से अधिक समय पूरा हो जाने के बाद लोग जानना चाहेगें कि उनके शासन की दिशा क्या रही और नतीजे में देश के हाथ क्या आया। सवाल और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब हम पाते हैं कि मोदी ने इन तीन सालों में ंविपक्ष को दबाए रखने में पूरी सफलता प्राप्त की है और 2019 के चुनावों में उन्हें चुनौती देने वाली कोई बड़ी ताकत सामने नहीं है।

मायावती लड़ रही हैं अब अस्तित्व की लड़ाई

भीम सेना के कारण भी नींद हराम
प्रदीप कपूर - 2017-06-01 11:32
लखनऊः पिछले विधानसभा चुनाव में हुई दुर्गति के बाद बसपा सुप्रीमो अस्तित्व संकट की लड़ाई लड़ रही है। इसके बाद अ बवह अपनी राजनीति को बदलने के लिए भी तैयार दिख रही हैं।

कश्मीर समस्या का राजनैतिक समाधान ढूंढ़ना चाहिए

हिंसक समाधान खोजने से स्थानीय लोग आतंकवादियों के खेमे में जा सकते हैं
कल्याणी शंकर - 2017-05-31 11:29
कश्मीर की समस्या दिनोंदिन बदतर होती जा रही है। हताश और गुमराह युवा सड़कों पर उतरकर सुरक्षा बलों पर पथराव कर रहे हैं। सुरक्षा बल भी उनके खिलाफ ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आज हालत वहां 1990 से भी खराब है, जब वहां उग्रवाद अपने चरम पर था।

उत्तर प्रदेश में जंगलराज

बर्दी की रौब बहाल की जानी चाहिए
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-05-30 12:43
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति कभी बेहतर नहीं रही, लेकिन इस समय जो स्थिति है, वह पहले कभी नहीं रही होगी। चारों तरफ अराजकता का माहौल है। सभी तरह के अपराध बढ़ रहे हैं। 15 मार्च और 15 मई के बीच पिछले साल और इस साल के गंभीर अपराधों के मामलों की तुलना की जाय, तो उन अपराधों में 4 गुना से भी ज्यादा का इजाफा हुआ है। हत्या, बलात्कार, लूट, डकैती और अपहरण के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। जातीय तनाव ने भी विस्फोटक रुख अख्तियार कर लिया है।

गृहयुध्द की शक्ल लेता सामाजिक टकराव

प्रधानमंत्री की चुप्पी को देश के लिए शुभ नहीं
अनिल जैन - 2017-05-29 13:05
तीन साल पहले प्रधानमंत्री बनने के ढाई महीने बाद जब नरेंद्र मोदी ने स्वाधीनता दिवस पर लाल किले से पहली बार देश को संबोधित किया था तो उनके भाषण को समूचे देश ने ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे देशों ने भी बडे गौर से सुना था। विकास और हिंदुत्व की मिश्रित लहर पर सवार होकर सत्ता में आए नरेंद्र मोदी ने अपने उस भाषण में देश की आर्थिक और सामाजिक तस्वीर बदलने वाले कुछ कार्यक्रम पेश करते हुए देश से और खासकर अपनी पार्टी तथा उसके सहमना संगठनों के कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि अगले दस साल तक देश में सांप्रदायिक या जातीय तनाव के हालात पैदा न होने दें। प्रधानमंत्री ने कहा था- ‘जातिवाद, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद, सामाजिक या आर्थिक आधार पर लोगों में विभेद, यह सब ऐसे जहर हैं जो हमारे आगे बढने में बाधा डालते हैं। आइए, हम सब अपने मन में एक संकल्प लें कि दस साल तक हम इस तरह की किसी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। हम आपस में लडने के बजाय गरीबी से, बेरोजगारी से, अशिक्षा से तथा तमाम सामाजिक बुराइयों से लडेंगे और एक ऐसा समाज बनाएंगे जो हर तरह के तनाव से मुक्त होगा। मैं अपील करता हूँ कि यह प्रयोग एक बार अवश्य किया जाए।’