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गंगापुत्र की त्रासदी

ताकि फिर कोई निगमानंद के हस्र को प्राप्त न हो
अवधेश कुमार - 2011-06-18 06:08
गंगा मुक्ति अभियानों में सक्रिय लोगों के लिए स्वामी निगमानंद की मृत्यु की खबर उसी परिमाण की वेदना और छटपटाहट पैदा करने वाली है जैसे अपने रिश्ते के किसी निकटतम की मौत। राष्ट्रीय स्तर पर निगमानंद का नाम मीडिया के लिए अवश्य सुपरिचित नहीं था, लेकिन हरिद्वार में कार्यरत मीडियाकर्मियों के लिए गंगा के लिए अपना जीवन तक दांव पर लगा देने वाले महामानव के रुप में वे हमेशा श्रद्धेय थे। 19 फरबरी से उनका आरंभ हुआ अनशन अंततः उनकी जीवनलीला के अंत के साथ ही खत्म हुआ। अंतिम सांस के समय वे उसी हिमालयन इंस्टीच्यूट अस्पताल में पड़े थे जहां स्वामी रामदेव थे।

जयललिता की दिल्ली यात्रा

सारे विकल्प खुले होने का सफल संदेश
कल्याणी शंकर - 2011-06-17 05:31
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता चेन्नई में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद दिल्ली आई और आकर वापस भी हो गईं। इस बीच उन्होंने एक संदेश जाहिर कर दिया है और वह यह है कि राष्ट्र की राजनीति में भी वह दखल देना चाहती है। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री खुद देश की प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखती हैं। यह बात किसी से पहले भी नहीं छिपी हुई थीं। इस बार दिल्ली आकर उन्होंने इसे और भी स्पष्ट कर दिया है।

क्या चेनिंथाला हटेंगे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से?

अगले महीने तक इसका फैसला हो जाएगा
पी श्रीकुमारन - 2011-06-16 05:17
लिरुअनंदतपुरमः क्या केरल प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष बदलने वाला है? यह सवाल आज प्रदेश के सभी कांग्रेसियों को मथे जा रहा है। केरल प्रदेश कांग्रेस समिति की कार्यकारिणी ने अभी कुछ दिन पहले ही एक व्यक्ति एक पद सिद्धांत लागू ेरने का फैसला किया। उस फैसले के बाद रमेश चेनिंथला के प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर बने रहने पर सवाल खड़ा हो गया है।

सपा ने मायावती सरकार के खिलाफ अपना अभियान तेज किया

भ्रष्टाचार और बिगड़ी कानून व्यवस्था पर ज्यादा जोर
प्रदीप कपूर - 2011-06-15 05:48
लखनऊः समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की सत्ता पर अगले विधानसभा चुनाव के बाद अपने बूते पर सत्ता हासलि करने के लिए जबर्दस्त अभियान शुरू कर दिया है। पिछले 7 और 8 जून को आगरा में संपन्न दो दिवसीय पार्टी सम्मेलन की समाप्ति के बाद पार्टी का उत्साह बढ़ा है। उसमें पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने अपने कार्यकर्त्ताओं को कहा था कि पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए वे आपसी मतभेद भुलाकर एक जुट हो जाएं। उन्होंने राज्य की जनता से अपील की थी कि वे बसपा की सरकार को उखाड़ फेंके और राज्य में सपा की सरकार के गठन में उनका साथ दें।

भ्रष्टाचार के खिलाफ गंभीर नहीं है केन्द्र

अन्ना को सघ परिवार से जोड़ने के मायने
उपेन्द्र प्रसाद - 2011-06-14 04:44
पिछले कुछ समय से भ्रष्टाचार हमारे देश की व्यवस्था और लोकतंत्र के सामने एक सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसके खिलाफ देश में जबर्दस्त जनाक्रोश है, पर इस जनाक्रोश के सामने सरकार शुरू से ही एक के बाद एक गड़बड़ियां करती जा रही हैं। जब पूरा विपक्ष 2 जी स्पेक्ट्रम मामले पर जेपीसी जांच की मांग कर रहा था, तो सरकार ने उस मांग को साफ साफ ठुकरा दिया था और उसकी जिद के कारण संसद का पूरा शीतकालीन सत्र बर्बाद हो गया। बजट सत्र में उसने जेपीसी जांच की मांग मान ली, क्योंकि उसे बजट पास करवाने थे। सरकार को भ्रष्टाचार के मामले पर रक्षात्मक रवैया अपनाकर इसके खिलाफ कदम उठाने की गंभीरता दिखानी चाहिए थी, लेकिन उसने अपनी कार्रवाइयों से यह साबित किया कि भ्रष्टाचार को वह ज्यादा तवज्जो देना ही नहीं चाहती।

मकबूल फिदा हुसैनः अपने धुन का पक्का एक रोमांसवादी कलाकार

अवधेश कुमार - 2011-06-14 04:38
लंदन में मकबूल फिदा हुसैन की मृत्यु से स्पंदनशील चरित्र वाले उनके प्रशंसकों एवं विरोधियों दोनों को धक्का लगा होगा। इससे बड़ी विडम्बना और क्या होगी कि जिस व्यक्ति को प्रसिद्ध पत्रिका फॉर्ब्स ने एक समय भारत के पिकासो की संज्ञा दी, उसे अंतिम सांस दूसरे देश की भूमि पर लेनी पड़ी।

राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का एक कार्यक्रम

यानी नया राजनीतिक दल कैसे बनाएँ
राजकिशोर - 2011-06-12 09:03
देश इस समय एक भयावह संकट से गुजर रहा है। भ्रष्टाचार और काला धन एक प्रमुख मुद्दे के रूप में उभरा है। भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन देश के सभी वर्गों को आकर्षित कर रहा है। उदारीकरण के मुट्ठी भर समर्थकों को छोड़ कर समाज का कोई भी वर्ग भविष्य के प्रति आश्वस्त नहीं है। किसान, मजदूर, मध्य वर्ग, छात्र, महिलाएं, लेखक, बुध्दिजीवी सभी उद्विग्न हैं। राजनीतिक दल न केवल अप्रासंगिक, बल्कि समाज के लिए अहितकर, हो चुके हैं। जिन्हें वाम दलों से आशा थी, वे पश्चिम बंगाल में सत्ता परिवर्तन से हताश नजर आते हैं। नेताओं को विदूषक बने अरसा हो गया। हर आंदोलन किसी एक मुद्दे से बंधा हुआ है। नागरिक जीवन की बेहतरी के लिए संगठित प्रयास नहीं हो रहे हैं। कमजोर आदमी की कोई सुनवाई नहीं है। कुछ लोगों की संपन्नता खतरनाक ढंग से बढ़ रही है।

असंभव नहीं नदियों का पुनर्जीवन

प्रदेश की 55 नदियों को पुनर्जीवित किया जाएगा
राजु कुमार - 2011-06-11 09:52
भोपालः पानी के अति दोहन एवं उसके संरक्षण के अभाव ने मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों को सूखाग्रस्त बना दिया है. स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि पानी को लेकर लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ रही है. 50 में से 30 अधिक जिलों में भूजल का स्तर 500 से 1000 फीट तक नीचे चला गया है. कुएं, बावड़ी, तालाब एवं नदियों के सूख जाने से मध्यप्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के लोग सूखे के कारण पलायन एवं भुखमरी का दंश झेल रहे हैं. प्रदेश के लिए पानी एक अहम मुद्दा है, पर कई योजनाओं एवं अभियानों के बावजूद स्थिति गंभीर बनी हुई है.

भाजपा में उमा भारती की वापसी

उत्तर प्रदेश के भाजपा नेता सकते में
प्रदीप कपूर - 2011-06-11 09:49
लखनऊः भाजपा में उमा भारती की वापसी के बाद पार्टी के कार्यकर्त्ताओं में तो उत्साह बढ़ा है, लेकिन प्रदेश के पार्टी नेता सकते में आ गए हैं।

दिल्ली पुलिस ने डायर जैसी कार्रवाई क्यों की?

राजकिशोर - 2011-06-10 09:39
रामलीला मैदान की घटना की तुलना जलियावाला बाग गोलीकांड से करना अनुचित नहीं है। दोनों घटनाओं में बहुत साम्य है। कुछ महत्वपूर्ण फर्क भी हैं। जलियावाला बाग में लोग सत्य पाल और सैफुद्दीन किचलू को रिहा करने की मांग के समर्थन में सभा करने आए थे। इन दोनों गांधीवादी नेताओं को गिरफ्तार कर पंजाब पुलिस ने किसी अनजान जगह पर छिपा रखा था। जनसभा का आयोजन करने वाले किसी तरह की हिंसा करने नहीं आए थे। हत्याकांड के बाद उनके पास से एक भी हथियार बरामद नहीं हुआ। लेकिन ब्रिगेडियर डायर को लगा कि अगर इस जन सभा को होने दिया गया, तो देश भर में बगावत हो जाएगी। वह ऐसी किसी बगावत को कुचलना चाहता था।