गंगापुत्र की त्रासदी
ताकि फिर कोई निगमानंद के हस्र को प्राप्त न हो
2011-06-18 06:08
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गंगा मुक्ति अभियानों में सक्रिय लोगों के लिए स्वामी निगमानंद की मृत्यु की खबर उसी परिमाण की वेदना और छटपटाहट पैदा करने वाली है जैसे अपने रिश्ते के किसी निकटतम की मौत। राष्ट्रीय स्तर पर निगमानंद का नाम मीडिया के लिए अवश्य सुपरिचित नहीं था, लेकिन हरिद्वार में कार्यरत मीडियाकर्मियों के लिए गंगा के लिए अपना जीवन तक दांव पर लगा देने वाले महामानव के रुप में वे हमेशा श्रद्धेय थे। 19 फरबरी से उनका आरंभ हुआ अनशन अंततः उनकी जीवनलीला के अंत के साथ ही खत्म हुआ। अंतिम सांस के समय वे उसी हिमालयन इंस्टीच्यूट अस्पताल में पड़े थे जहां स्वामी रामदेव थे।